नीति आयोग ने नई दिल्ली में ट्रेड वॉच क्वार्टरली का तीसरा संस्करण लॉन्च किया

नीति आयोग ने नई दिल्ली में "ट्रेड वॉच क्वार्टरली" का तीसरा संस्करण लॉन्च किया

 “वित्त वर्ष 2024-25 की तीसरी तिमाही के लिए ट्रेड वॉच क्वार्टरली का नवीनतम संस्करण, भारत के व्यापारिक और सेवा व्यापार का समयबद्ध और डेटा-समृद्ध विश्लेषण प्रदान करता है, साथ ही विकसित हो रही अमेरिकी व्यापार नीतियों और भारत के लिए उनके निहितार्थों का गहन अन्वेषण करता है:” डॉ. अरविंद विरमानी, सदस्य, नीति आयोग

नीति आयोग के सदस्य डॉ. अरविंद विरमानी ने 14 जुलाई, 2025 को नई दिल्ली में वित्तीय वर्ष 2025 (अक्टूबर से दिसंबर) की तीसरी तिमाही के लिए "ट्रेड वॉच क्वार्टरली" पुस्तिका के तीसरे संस्करण का विमोचन किया।

इस तिमाही के लिए भारत की व्यापार स्थिति का व्यापक विश्लेषण प्रस्तुत करने के अतिरिक्‍त, इस संस्करण का विषयगत खंड अमेरिकी टैरिफ संरचनाओं में हाल के बदलावों पर केंद्रित है, जो अंतर्राष्ट्रीय व्यापार के पुनर्गठन और भारत की निर्यात प्रतिस्पर्धात्मकता पर इसके निहितार्थों के बारे में महत्वपूर्ण अंतर्दृष्टि प्रदान करता है।

वित्त वर्ष 2025 की तीसरी तिमाही (अक्टूबर-दिसंबर 2024) में भारत के व्यापार निष्‍पादन ने भू-राजनीतिक अस्थिरता के बीच सतर्क गतिशीलता प्रदर्शित की। वित्त वर्ष 2025 की तीसरी तिमाही में व्यापारिक निर्यात 3 प्रतिशत (108.7 बिलियन डॉलर तक) बढ़ा, जबकि आयात में 6.5 प्रतिशत (187.5 बिलियन डॉलर तक) की वृद्धि हुई। सेवा निर्यात में 17 प्रतिशत की वृद्धि से प्रेरित 52.3 बिलियन डॉलर के सेवा अधिशेष ने घाटे के अंतर को कम करने में मदद की, जिसने वैश्विक सेवा अर्थव्यवस्था में भारत की बढ़ती शक्ति को रेखांकित किया। निर्यात संरचना स्थिर बनी हुई है और कुछ उत्पाद जैसे विमान, अंतरिक्ष यान और पुर्जे 200 प्रतिशत से अधिक की वर्ष-दर-वर्ष वृद्धि के साथ शीर्ष दस निर्यातों में शामिल हो गए हैं। इसके अतिरिक्त, भारत वर्ष 2024 में 269 बिलियन डॉलर के डिजिटल तरीके से डिलीवर की गई सेवाओं (डीडीएस) के निर्यात के साथ विश्‍व के पांचवें सबसे बड़े निर्यातक के रूप में स्थान पर रहा।

इस तिमाही के संस्करण का विषयगत केंद्रबिंदु उभरती अमेरिकी व्यापार और टैरिफ संरचनाएं तथा भारत की निर्यात प्रतिस्पर्धात्मकता पर उनके प्रभाव हैं। प्रमुख प्रतिस्पर्धियों की तुलना में भारत का सापेक्ष टैरिफ लाभ अमेरिकी बाज़ार में विशेष रूप से फार्मास्यूटिकल्स, कपड़ा और विद्युत मशीनरी जैसे क्षेत्रों में बाज़ार हिस्सेदारी बढ़ाने का एक कार्यनीतिक अवसर प्रदान करता है। उभरते वैश्विक व्यापार परिवेश में नए व्यापार संयोजनों का लाभ उठाने के लिए बेहतर नीति-निर्माण की आवश्यकता है।

इस अवसर पर डॉ. विरमानी ने नवीनतम व्यापार गतिशीलता को गहन विश्लेषणात्मक गहराई के साथ प्रस्तुत करने वाले एक व्यापक व्यापार प्रकाशन के लिए पूरी टीम को बधाई दी। उन्‍होंने कहा कि भारत की उभरती हुई व्यापार भागीदारी, बढ़ती प्रतिस्पर्धा, नवोन्‍मेषण और अमेरिका जैसे प्रमुख बाजारों में अपनी उपस्थिति को मजबूत करने के रणनीतिक प्रयासों द्वारा संचालित अर्थव्यवस्था की गहन प्रगति को दर्शाती है, जो अमेरिकी व्यापार नीति में हाल के बदलावों के अनुरूप है।

डॉ. विरमानी ने यह भी रेखांकित किया कि ऐसे समय में जब भू-राजनीतिक बदलावों, प्रौद्योगिकीय बदलावों और नीतिगत अनिश्चितता के कारण वैश्विक व्यापार का स्वरूप बदल रहा है, यह संस्करण नीति निर्माताओं, उद्योग और शिक्षा जगत के लिए एक मूल्यवान संसाधन के रूप में कार्य करता है। यह समग्र व्यापार सुगमता को बढ़ाने और वैश्विक बाजारों में मज़बूत भागीदारी सुनिश्चित करने के लिए दूरदर्शी सुझाव प्रदान करता है।

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Journalist Anil Prabhakar

Editor UPVIRAL24 NEWS