राजभवन लोक कल्याण की जिम्मेदारी : राज्यपाल
युवाओं को राष्ट्र और समाज के प्रति उनके दायित्व का बोध कराने की ज़रूरत
राज्यपाल श्री पटेल द्विवेदी-सप्रे युगीन प्रवृतियां और सरोकार विषय पर संगोष्ठी में हुए शामिल
भोपाल : राज्यपाल श्री मंगुभाई पटेल ने कहा है कि राजभवन लोक कल्याण की जिम्मेदारी है। इसी भाव के साथ उन्होंने प्रदेश के सभी 52 जिलों का भ्रमण कर आमजन, वंचित वर्ग के दुःख दर्द की जानकारी प्राप्त की है। उनके समाधान और विकास के कार्य किए हैं।
श्री पटेल आज भोपाल में माधवराव सप्रे स्मृति समाचार पत्र संग्रहालय संस्थान के द्वारा द्विवेदी-सप्रे युगीन प्रवृतियां और सरोकार विषय पर पं. झाबरमल्ल शर्मा सभागार में आयोजित संगोष्ठी को संबोधित कर रहे थे। राज्यपाल ने डॉ हरिकृष्ण दत्त शिक्षा सम्मान डॉ. कृपाशंकर चौबे और महेश गुप्ता सृजन सम्मान श्री गौरव अवस्थी को प्रदान किए। कार्यक्रम में राज्यपाल को पुस्तक ज्ञान तीर्थ सप्रे संग्रहालय और चित्र भेंट किए गए।
राज्यपाल श्री मंगुभाई पटेल ने कहा कि प्रकृति ने मानव को वाणी, बुद्धि जैसी अद्भुत शक्ति परमार्थ के लिए ही दी है। आवश्यकता युवाओं को राष्ट्र और समाज के प्रति उनके दायित्व का बोध कराने की है। उन्होंने कहा कि सबके साथ, विश्वास, प्रयासों के साथ विकास, राष्ट्र के विकास का आधार है। उन्होंने अमृत काल में सप्रे संग्रहालय की गतिविधियों की सराहना करते हुए, उसे भावी पीढ़ी को राष्ट्र के गौरव से जोड़ने का सेवा प्रकल्प बताया। उन्होंने कहा कि आचार्य महावीर प्रसाद द्विवेदी, कर्मयोगी माधव राव सप्रे ने बीसवीं सदी के आरंभिक तीन दशकों में समाज का बौद्धिक नेतृत्व किया। उनके महान अवदान से युवाओं को परिचित कराने की पहल सार्थक प्रयास है। संगोष्ठी राष्ट्रीय एकता के सूत्र के रूप में हिंदी की भूमिका के वैचारिक प्रवाह को तेज करेगी।
माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय, भोपाल के कुलपति प्रोफेसर के. जी. सुरेश ने कहा कि आचार्य द्विवेदी और माधव राव सप्रे समकालीन और बहुआयामी व्यक्ति थे। उन्होंने भारतीय संस्कृति पर गहरी छाप छोड़ी है। युगीन साहित्य की धारा का नेतृत्व किया है। उनकी विशिष्टता थी कि रचनात्मक क्षमता में उनसे बेहतर प्रतिभाओं की रचनाधर्मिता का वे आदर्श थे। उन्होंने कहा कि ऐसा ही बौद्धिक नेतृत्व वर्तमान समय की आवश्यकता है। उन्होंने युवा शक्ति को इतिहास के साथ जोड़ने और साहित्य पत्रकारिता की पारस्परिकता की परंपरा को जीवित रखने के लिए सप्रे संग्रहालय के प्रयासों की सराहना की।
आचार्य स्मृति रजत जयंती महोत्सव के संयोजक श्री गौरव अवस्थी ने आचार्य महावीर प्रसाद द्विवेदी स्मृति संरक्षण अभियान के प्रारंभ और विकास के विभिन्न पड़ावों और यादगार पलों का उल्लेख किया। वर्ष 1998 में रायबरेली शहर में ध्यानाकर्षण धरने से शुरू होकर वर्ष 2021 में 10 जनवरी संयुक्त राज्य अमेरिका में इकाई का गठन होने के प्रसंगों का उल्लेख किया। बताया कि आचार्य द्विवेदी की स्मृतियों को बच्चों तक ले जाने का प्रयास किया जा रहा है। प्रधान संपादक उत्तर प्रदेश हिंदी संस्थान डॉ अमिता दुबे ने कहा कि संस्थान द्वारा हिंदी सेवियों के सम्मान और हिंदी सेवी संस्थानों के साथ संयोजन के द्वारा हिंदी के विकास में सहयोग किया जा रहा है। संस्थान द्वारा साहित्य भारती और बालवाणी पत्रिकाओं का प्रकाशन किया जा रहा है। संस्थान के द्वारा 157 समर्पित रचनाकारों को सम्मानित किया गया है। उन्होंने प्रदेश के श्री रमेश चंद्र शाह को भारत भारतीय सम्मान से सम्मानित किए जाने के प्रसंग का स्मरण किया।
संस्थापक संयोजक सप्रे संग्रहालय, भोपाल श्री विजय दत्त श्रीधर ने संगोष्ठी की संकल्पना पर प्रकाश डाला। आचार्य स्मृति रजत जयंती महोत्सव को उनकी स्मृतियों को चिरस्थाई बनाने की पहल बताया। उन्होंने कहा कि राज्यपाल श्री मंगुभाई पटेल ने प्रदेश में जनजातीय चेतना के संचार के द्वारा समरसता का वातावरण स्थापित किया है। वह अभिनंदनीय है। कार्यक्रम का संचालन सुश्री मंगला ने किया, धन्यवाद ज्ञापन श्री विनोद कुमार शुक्ल ने किया।