जीएसटी की दरों में अभूतपूर्व कटौती के बाद दिल्ली: उपभोक्ताओं एवं व्यापार के लिए क्या—क्या बदल गया
परिचय
ताज़ा जी.एस.टी सुधारो के केंद्र में सस्ती आवश्यक वस्तुएं,अधिक मजबूत बाज़ार एवं दिल्ली के व्यापारों के लिए नए अवसर पैदा करने की भावना है। अनेक प्रकार के माल एवं सेवाओ पर कर की दरों को घटा कर एवं तर्कसंगत बना कर सरकार ने घरों पर आर्थिक दबाव घटाया कर एवं आर्थिक गतिविधि बढ़ाने की कोशिश की है।
दिल्ली के व्यापारियों,विनिर्माताओं एवं सेवा प्रदाताओं के लिए इस परिवर्तन से मांग बढ़ने एवं प्रतिस्पर्धा का वातावरण सुधरने की उम्मीद है। करोल बाग़ के आॅटोमोबाइल एवं सिलेसिलाए कपड़ों के बाज़ार से लेकर सदर बाज़ार और खारी बावली के थोक व्यपार, चावड़ी बाज़ार के थोक—कागज़—गत्ता बाज़ार, चांदनी चौक की गतिविधियों से भरपूर गालियों तक चोतरफा प्रभाव पड़ेगा। इसके साथ ही उपभोग की वस्तुओंएवं आवश्यक सेवाओं के लिए बड़े पैमाने पर घटी कर की दरों से राज्य भर के परिवारों के लिए जीवन लागत कम हो जाएगी।
ऑटेमेटिव कलपुर्जे एवं खुदरा बाजार
ऑटोमोटिव कलपुर्जों के व्यापार के लिए दिल्ली में प्रमुख केंद्र करोल बाग़ एवं कश्मीरी गेट हैं। यह क्षेत्र अपने थोक एवं खुदरा बाजारों के लिए प्रसिद्ध हैं। यह परिवारचालित व्यापार एवं एम.एस.एम.ई. ऐसा नेटवर्क बनाते हैं जो न सिर्फ दिल्ली में भारी संख्या में मौजूद वाहनों की आवश्यकता को पूरा करते हैं बल्कि पूरे उत्तर भारत में भी वाहनों के कलपुर्जों की मांग को पूरा करते हैं। यह व्यापार पड़ोसी देशों को वाहनों के यह कलपुर्जे निर्यात भी करते हैं। दिल्ली के ऑटो केन्द्रों का बांग्लादेश को मासिक निर्यात ही सालाना 1000 करोड़ रुपए मूल्य का है। दिल्ली के बाज़ार, भारत भर के ऑटो कंपोनेन्ट बाजारों के लिए महत्वपर्ण वितरण केंद्र हैं। भारत के ऑटो कंपोनेन्ट बाज़ार का कारोबार माली साल 2024 में ६.१४ लाख करोड़ रुपए था।
ऑटो पार्ट्स पर जीएसटी में कटौती के बाद कर की दर २८% से घटकर १८% रह गई है। इससे ग्राहकों एवं मैकेनिकों के लिए वाहनों के रखरखाव की लागत-७.८% तक घट जाएगी। सस्ते कलपुर्जों का अर्थ है कि वाहनों की सर्विस का बिल घटेगा जिससे उनके मालिकों में घिसे—पिटे कलपुर्जों को बदलने की प्रवृत्ति को प्रोत्साहन मिलेगा। इससे दिल्ली की सड़को पर वाहनों की सुरक्षा एवं दक्षता बढ़ेगी।
व्यापारों के लिए करों में कटौती से संगठित जीएसटी आदाता व्यापारियों की प्रतिस्पर्धात्मक स्थिति सुधरेगी। दाम में अंतर घटने से अधिकृत कलपुर्जे अपेक्षाकृत अधिक वहनीय हो गए हैं। इससे अमानकीकृत, नकली मुहर वाले कलपुर्जों का प्रयोग हतोत्साहित होगा।
यात्रा एवं आतिथ्य सेवाएं
राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली पर्यटकों, व्यापारिक आगंतुकों एवं मेडिकल पर्यटन का प्रमुख केंद्र है। इसलिए यहां पर ठहरने के लिए लक्जरी संपत्तियों से लेकर पहाड़गंज एवं करोलबाग में बजट स्टे की सुविधा भी उपलब्ध है। साल 2024 में दिल्ली के होटलों में उपलब्ध ठहरने के कुल स्थान में लगभग 10,273 रूपए की औसत दैनिक दर से औसतन 72.9 जगह भरी हुई दर्ज की गई।
रूपए 7500 प्रति रात से कम किराए वाले कमरों पर जीएसटी की दर को घटा कर 5 फीसद कर दिए जाने से दिल्ली के होटलों में ठहरने की लागत में प्रत्यक्ष कमी आई है। उदाहरण के लिए रूपए 5000 प्रति रात की दर से कमरा बुक करने पर सिर्फ 250 रूपए कर ही उसके अतिरिक्त खर्च होगा (5%)। इससे होटल में ठहरने पर खर्च 6.25 प्रतिशत घट गया है। पर्यटक अथवा यात्री के एक से अधिक रातों तक ठहरने पर यह बचत बढ़ती ही जाएगी जिससे होअलों के कमरे अधिक संख्या एवं दिनों के लिए भरेंगे।
कमरों के किराए में राहत के पूरक के रूप में होटलों, रेस्तरां, कैफे एवं केटररों द्वारा प्रयुक्त प्रमुख उपादानों पर कर की दरों को 18 प्रतिशत से घटाकर 5 प्रतिशत कर दिया गया है। रसोई के इन प्रमुख उपादानों के दाम में इस 13 प्रतिशत कर छूट से रेस्तरां एवं होटलों की खाने—पीने की वस्तुओं की लागत में प्रत्यक्ष कमी आएगी। इससे मेन्यू के दाम स्थिर होने में मदद मिलेगी तथा लघु एवं मध्यम आकार की खानपान की जगहों को अधिक लाभ प्राप्त होगा। कर में कटौती से दिल्ली के निवासियों को व्यक्तिगत लाभ भी होगा क्योंकि होटलों में विवाह समारोह एवं पारिवारिक समारोहों का आयोजन अब सस्ता हो गया है। रसोई के उपादानों की लागत घटने से घर के बाहर जा कर खाना, खाने वालों के लिए खानपान अब सस्ता हो जाएगा। साल 2022—23 में 20.37 प्रतिशत नौकरियों की अधिक मांग के साथ
आतिथ्य सेवाओं के क्षेत्र में दिल्ली—एनसीआर नौकरियों की उपलब्धता के लिहाज से शीर्ष केंद्र हैं। इस सेक्टर में सतत तेजी से दिल्ली के होटलों एवं रेस्तरां में बड़ी संख्या में रोजगाररत कार्यबल के लिए और अधिक संख्या में नई नौकरियां पैदा होंगी तथा कमाई भी अधिक होगी।
डेरी उत्पाद
दूध एवं डेरी उत्पादों का दिल्ली में जबरदस्त मात्रा में उपभोग होता है। महानगर में मदर डेरी एवं अमूल जैसी सहकारी डेरियों के विशाल वितरण नेटवर्क के माध्यम से इन उतपादों की रोजाना आपूर्ति होती है। पटपडत्रगंज में मदर डेरी संयंत्र की तरह दिल्ली में दूघ प्रसंस्करण संयंत्रों में कामगार एवं डिलीवरी एजंटों तथा मुहल्लों के बाजारों में स्थानीय विकेताओं के रूप में हजारों लोग रोजगाररत हैं।
अनेक प्रकार के डेरी उत्पादों पर जीएसटी की वसूली समाप्त करके सरकार ने इन आइटमों का दाम पहले से प्रत्यक्ष सस्ता कर दिया है। उदाहरण के लिए पहले 90 रूपए दाम वाला पनीर का 200 ग्राम पैक 0 प्रतिशत जीएसटी के बाद घट कर अब 85.7 रूपए का हो गया है। इसी तरह अपेक्षाकृत लंबे समय तक नहीं फटने के कारण शहरी उपभोक्ताओं का पसंदीदा यूएचटी दूध भी अब सस्ता हो गया है। घी एवं मक्खन जैसी घरों में रोजमर्रा प्रयोग की वस्तुओं पर भी जीएसटी की दर 12 प्रतिशत से घटाकर 5 प्रतिशत किए जाने से ये सस्ती हो गई हैं। इससे रोजमर्रा प्रयोग के खाद्य पदार्थ सस्ते हो गए जो उपभोग बढ़ाने का प्रत्यक्ष उपाय है। इसके अलावा पनीर जैसे प्रोटीन समृद्ध खाद्य पदार्थ के सस्ते हो जाने से इसका उपभोग बढ़ने की गुंजाइश बनी है जिससे पोषण का स्तर सुधरेगा और वह स्वास्थ्य के लिए दूरगामी लाभप्रद होगा।
डेरी उत्पादों की मांग में वृद्धि से दिल्ली से कारोबार कर रही डेरी कंपनियों एवं सहकारी संस्थाओं को भी लाभ होगा। इसके साथ ही अधिक मात्रा में बिक्री का लाभ अंतत: पशुपालक किसानों के पास वापस पहुंचेगा जिससे उनकी आमदनी एवं आजीविका बढ़ेगी।
बीमा सेवाएँ
बीमा कंपनियों के लिए भी दिल्ली बहुत बड़ा बाजार है क्योंकि दिल्ली के मध्यवर्ग एवं वेतनभोगी निवासियों में से भारी संख्या में लोग अपने परिवार के लिए बीमा पॉलिसी खरीदते हैं। वित्त वर्ष 25 में भारत के बीमाप्रदाताओं ने कुल लगभग 7.05 लाख करोड़ रूपए बीमा प्रीमियम के रूप में अर्जित किए। इसके साथ ही वित्त वर्ष 25 में बीमा उद्योग ने 11 लाख नए बीमा एजेंट राष्ट्रीय स्तर पर अपने कारोबार में शामिल किए। कनॉट प्लेस एवं नेहरू प्लेस में बीमा कंपनियों के मुख्यालयों एवं शाखा कार्यालयों के साथ वित्तीय केंद्र होने के कारण इस कार्यबल में से अच्छी खासी संख्या में लोगों को दिल्ली ही सेवा प्रदान करती है।
स्वास्थ्य एवं जीवन बीमा प्रीमियमों पर पर 18 प्रतिशत जीएसटी हटाया जाना घरों को प्रत्यक्ष एवं अच्छी खासी राशि की वित्तीय राहत है। अब बीमा प्रीमियम में चुकाया गया प्रत्येक रूपया आवश्यक रूप में सीधे बीमा कवरेज में निवेश होता है न कि कर के भुगतान में। इसके कारण अब जीवन एवं स्वास्थ्य बीमे की मद में कुल सालाना 100,000 रूपए प्रीमियम का भुगतान करने वाले परिवार को वार्षिक 18,000 रूपए की बचत हाने लगी है। परिवारों द्वारा इस बचत राशि को उपभोग अथवा निवेश में लगाए जाने पर यह अंतत: आर्थिक सहायता के रूप में काम आती है। दूरगामी अर्थों में दिल्ली के नागरिकों को बीमा का अधिक कवरेज मिलने से उनकी और अधिक वित्तीय सुरक्षा सुनिश्चत हो पाएगी।
इतना ही नहीं अर्थव्यवस्था के सेक्टर के रूप में बीमा कारोबार में एजेंटों, अंडरराइटरों एवं प्रशासनिक कर्मियों के रूप में विशाल सफेदपोश कार्यबल रोजगाररत है। इस लिहाज से बीमा पॉलिसियों की मांग बढ़ने से बिक्री में वृद्धि होगी जिससे दिल्ली के वित्तीय सेवाओं के दायरे में विस्तार से रोजगार के अनेक नए अवसर पैदा होंगे।
अन्य उपभोक्ता सेवाएँ
फुटवियर/पादपोशाक, पर्यावरण वहनीय फर्नीचर, सौंदर्य एवं स्वास्थ्यवर्धक सेवा, एवं प्रिंटिंग—पेपर पैकेजिंग आदि तमाम धंधे दिल्ली के एमएसएमई इंजन को गतिशील रखते हुए उसकी उपभोग पिटारी में सन्निहित हैं। मुनासिब दाम के फुटवियर एवं प्रसंस्कृत चमड़े, फर्नीचर एवं प्रिंटिंग व स्टेशनरी की वस्तुओं पर जीएसटी की दरों में कटौती से उनके उपभोक्ता मूल्य गिर रहे हैं जिससे लघु व्यापारियों पर अधिक कार्यशील पूंजी जुटाने का दबाव घटेगा।
फुटवियर एवं चमड़े की वस्तुएं
दिल्ली में करोलबाग, सदर बाजार, नारायणा एवं ओखला आदि फुटवियर यानी चप्पल—जूतों—सैंडल्स की बिक्री के बड़े केंद्र हैं। इनसे फुटवियर के थोक व्यापार एवं लघु स्तर पर विनिर्माण को बल मिलता है। इस सेक्टर में हाथ से काम करने वाले कारीगरों एवं मजदूरों की बड़ी संख्या में मांग के कारण कमजोर वर्गों के बहुत से लोग रोजगार पाते हैं। इनमें से 40 प्रतिशत महिला कामगार हैं। राष्ट्रीय स्तर पर इस उद्योग में 40.42 लाख लोग रोजगाररत हैं जबकि दिल्ली में इनके व्यापार एवं फिनिशिंग का ही मुख्य कारोबार है।
फुटवियर एवं प्रसंस्कृत चमड़े पर जीएसटी की दरों को 12 प्रतिशत से घटा कर 5 प्रतिशत करने से बैग, बैल्ट एवं अन्य एक्सेसरियों के विनिर्माताओं के लिए कच्चे माल की लागत में प्रत्यक्ष कटौती हुई है जिससे उनकी प्रतिस्पर्धात्मक क्षमता बढ़ी है। इससे उपभोक्ता मांग भी अवश्य बढ़ेगी। उदाहरण के लिए 2000 रूपए मूल्य के जूतों पर अब मात्र 100 रूपए जीएसटी लग रहा है(5% की दर से) जिससे उपभेक्ता के लिए उत्पाद 6.25 प्रतिशत सस्ता हो जाना चाहिए।
फर्नीचर
बांस,केन एवं रतन फर्नीचर पर जीएसटी की दर अब मात्र 5 प्रतिशत है। इससे घरों के लिए सस्ता फर्नीचर खरीदना आसान हो गया है तथा कारीगरों एवं फुटकर विक्रेताओं के लिए तैयार माल की मांग के लिए आश्वस्ति भी सुनिश्चित हो रही है। फर्नीचर सेक्टर में दिल्ली भर में फैले आॅपचारिक शोरूम एवं अनौपचारिक वर्कशॉपों में हजारों लोग रोजगाररत हैं। इसके प्रमुख बाजार कीर्तिनगर, जेल रोड एवं पचकुइयां रोड हैं।
फर्नीचर के दाम गिरने से उसकी मांग बढ़ना तय है जिससे पारंपरिक हस्तशिल्प इकाइयों को को सतत काम मिलेगा। इस उपाय से वहनीय एवं पारंपरिक शिल्प को सहारा मिल रहा है जो पर्यावरण एवं सांस्कृतिक प्रोत्साहन के लक्ष्यों के अनुरूप है।
सौंदर्य एवं स्वास्थ्य संवर्धन सेवाएं
सौंदर्य एवं स्वास्थ्य संवर्धन सेवाओं पर जीएसटी की दर भी 18 प्रतिशत (आईअीसी सहित) से घटाकर 5% (बिना आईटीसी) कर दी गई है। इससे उपभोक्ताओं के लिए इन सेवाओं की लागत प्रत्यक्ष रूप में घट गई है। इससे ऐसे उद्योग को सहारा मिलेगा जो अधिकतर महिला बहुल है। सौदर्य प्रसाधिकाओं/ब्यूटीशियनों, थेरेपिस्टों एवं सहायक कर्मियों का कार्यबल एमएसएमई नीत है। दामों के निचले पायदान तक गिरने से आसपास के सैलूनों में तथा स्वतंत्र उद्यमियों के यहां ग्राहकों की आवाजाही बढ़ेगी और उनकी स्थिर कमाई के अवसर बढ़ेंगे।
प्रिंटिंग, पैकेजिंग एवं स्टेशनरी
कॉपियां/एक्सरसाइज बुक एवं पेंसिल अब जीएसटी के बोझ से मुक्त हैं। उन पर जीएसटीअब 0 प्रतिशत हो गया, इससे परिवारों पर स्कूल की लागत का बोझ घटेगा और स्टेशनरी बाजारों में सतत खुदरा बिक्री में सहायता मिलेगी।
कार्टनों एवं डब्बों पर जीएसटी की दर 12 फीसद से घटाकर 5 प्रतिशत कर दी गई है। इससे लघु विनिर्माताओं एवं ऑनलाइन विक्रेताओं के लिए पैकेजिंग की लागत में भारी कमी आएगी। इसी तरह प्रिंटिंग जॉबवर्क पर जीएसटी की दर को भी 12 प्रतिशत से घटाकर 5 प्रतिशत करने से संगठित प्रिंटरों की दुकान अब अधिक प्रतिस्पर्धात्मक हो गई हैं।
कुल मिला कर इन उपायों ने घरों को रोजमर्रा प्रयोग की वस्तुओं के दाम सस्ते करके एमएसएमई को पीठ सीधी करने का अवसर भी दे दिया है।
निष्कर्ष
जीएसटी प्रणाली में हालिया सुधारों ने दिल्ली की अर्थव्यवस्था को बहुक्षेत्रीय व्यापार संवर्धन का अवसर प्रदान किया है। उपभोग के प्रमुख आइटमों एवं आवश्यक व्यापारिक सहूलियतों पर जोर देने से होने वाले मोटे प्रभावों में शामिल हैं— अपने रोजमर्रा खर्चों में परिवारों को प्रत्यक्ष राहत तथा व्यापारों एवं व्यापारियों को लाभ। लागत में कटौती एवं प्रतिस्पर्धात्मकता में सुधार से यह लाभ मुख्यत: एमएसएमई क्षेत्र को होगा।
इसलिए दरों में इन कटौतियों से दिल्ली की अर्थव्यवस्था में तेजी आएगी। इनसे खास तौर पर आगामी त्योहारी मौसम संहित उपभोक्ताओं को फौरन राहत तो मिलेगी ही साथ में दूरगामी लाभ का मार्ग भी प्रशस्त होगा जैसे— अधिक संख्या में नौकरियां एवं बाजारों में लोच आएगी।