मां का दूध बच्चों के लिए अमृत समान, कई बीमारियों से बचाने में करता है मदद

मां का दूध बच्चों के लिए अमृत समान, कई बीमारियों से बचाने में करता है मदद   शुरू के छह माह तक बच्चे को केवल स्तनपान कराएं   जालौन : मां का दूध शिशु के लिए सर्वोत्तम आहार है। मां के दूध में वह सभी पोषक तत्व होते हैं जो बच्चे के विकास के लिए आवश्यक होते हैं। इसके अलावा मां के दूध में पर्याप्त मात्रा में पानी भी होता है, इसलिए छह माह तक बच्चे को पानी भी नहीं देना है। इस  दौरान सिर्फ और सिर्फ स्तनपान ही कराना है। शिशु को जन्म के एक घंटे के भीतर स्तनपान जरूर कराना चाहिए। मां का पहला पीला गाढ़ा दूध बच्चे के लिए अमृत समान होता है, जो बच्चों को तमाम बीमारियों से बचाता है। यह बात मुख्य चिकित्सा अधिकारी (सीएमओ) डॉ. एनडी शर्मा ने कही। सीएमओ गुरुवार को अपने कार्यालय में विश्व स्तनपान सप्ताह के अंतर्गत आयोजित गोष्ठी और मीडिया वर्कशाप को संबोधित कर रहे थे।   उन्होंने कहा स्तनपान बच्चे का मौलिक अधिकार भी है। आंकड़े बताते हैं कि जिन शिशुओं को एक घंटे के अंदर स्तनपान नहीं कराया गया है, उनकी मृत्यु की आशंका 33 फीसदी अधिक होती है। छह माह तक शिशु को केवल स्तनपान कराने पर दस्त और निमोनिया जैसी बीमारियों का  खतरा कम रहता है। उन्होंने बताया कि बच्चे को मां का दूध कम से कम दो साल तक पिलाना चाहिए। स्तनपान कराने से न केवल शिशुओं बल्कि उनकी माताओं को भी लाभ होता है। मात्र  स्तनपान कराने से ही बच्चों की मृत्यु दर में कमी लाई जा सकती है। उन्होंने कहा कि पांच साल के कम आयु के बच्चों में होने वाली 13 प्रतिशत मृत्यु दर को स्तनपान कराकर कम किया  जा सकता है। उन्होंने बताया कि भारत सरकार ने स्तनपान और ऊपरी आहार को बढ़ावा देने के लिए वर्ष 2016 में मां कार्यक्रम की शुरुआत की थी। मां का अभिप्राय है, मां का असीम  आशीर्वाद। मां कार्यक्रम का नारा है, स्तनपान विकल्प नहीं संकल्प है। मां कार्यक्रम के अंतर्गत  सभी इकाइयों को बेबी फ्रेंडली बनाने का काम किया जा रहा है। उन्होंने बताया कि एक अगस्त   से सात अगस्त तक विश्व स्तनपान सप्ताह का आयोजन किया जा रहा है। इसमें स्वास्थ्य  कर्मियों, बाल विकास सेवा एवं पुष्टाहार (आईसीडीएस) विभाग, शिक्षा विभाग, पंचायती राज  विभाग और राजस्व विभाग की मदद से सभी को प्रोत्साहित और संवेदीकरण करने का प्रयास  किया जा रहा है। उन्होंने बताया कि स्तनपान को लेकर किसी तरह का भ्रम न पालें। मां के दूध  में शिशु की आवश्यकतानुसार पानी होता है। इसलिए छह माह तक ऊपर से पानी देने की   आवश्यकता नहीं है। शिशु की मांग के अनुसार माताएं स्तनपान कराएं। बच्चों को निप्पल या  सुंदर दिखने वाले मुलायम खिलौने चबाने के लिए न दें। इस दौरान अपर मुख्य चिकित्सा  अधिकारी आरसीएच डॉ. अरविंद भूषण, डॉ. एसडी चौधरी, डीपीएम डॉ. प्रेमप्रताप आदि मौजूद रहे।

मां का दूध बच्चों के लिए अमृत समान, कई बीमारियों से बचाने में करता है मदद 

शुरू के छह माह तक बच्चे को केवल स्तनपान कराएं 

जालौन : मां का दूध शिशु के लिए सर्वोत्तम आहार है। मां के दूध में वह सभी पोषक तत्व होते हैं जो बच्चे के विकास के लिए आवश्यक होते हैं। इसके अलावा मां के दूध में पर्याप्त मात्रा में पानी भी होता है, इसलिए छह माह तक बच्चे को पानी भी नहीं देना है। इस  दौरान सिर्फ और सिर्फ स्तनपान ही कराना है। शिशु को जन्म के एक घंटे के भीतर स्तनपान जरूर कराना चाहिए। मां का पहला पीला गाढ़ा दूध बच्चे के लिए अमृत समान होता है, जो बच्चों को तमाम बीमारियों से बचाता है। यह बात मुख्य चिकित्सा अधिकारी (सीएमओ) डॉ. एनडी शर्मा ने कही। सीएमओ गुरुवार को अपने कार्यालय में विश्व स्तनपान सप्ताह के अंतर्गत आयोजित गोष्ठी और मीडिया वर्कशाप को संबोधित कर रहे थे। 

उन्होंने कहा स्तनपान बच्चे का मौलिक अधिकार भी है। आंकड़े बताते हैं कि जिन शिशुओं को एक घंटे के अंदर स्तनपान नहीं कराया गया है, उनकी मृत्यु की आशंका 33 फीसदी अधिक होती है। छह माह तक शिशु को केवल स्तनपान कराने पर दस्त और निमोनिया जैसी बीमारियों का  खतरा कम रहता है। उन्होंने बताया कि बच्चे को मां का दूध कम से कम दो साल तक पिलाना चाहिए। स्तनपान कराने से न केवल शिशुओं बल्कि उनकी माताओं को भी लाभ होता है। मात्र  स्तनपान कराने से ही बच्चों की मृत्यु दर में कमी लाई जा सकती है। उन्होंने कहा कि पांच साल के कम आयु के बच्चों में होने वाली 13 प्रतिशत मृत्यु दर को स्तनपान कराकर कम किया  जा सकता है। उन्होंने बताया कि भारत सरकार ने स्तनपान और ऊपरी आहार को बढ़ावा देने के लिए वर्ष 2016 में मां कार्यक्रम की शुरुआत की थी। मां का अभिप्राय है, मां का असीम  आशीर्वाद। मां कार्यक्रम का नारा है, स्तनपान विकल्प नहीं संकल्प है। मां कार्यक्रम के अंतर्गत  सभी इकाइयों को बेबी फ्रेंडली बनाने का काम किया जा रहा है। उन्होंने बताया कि एक अगस्त 

से सात अगस्त तक विश्व स्तनपान सप्ताह का आयोजन किया जा रहा है। इसमें स्वास्थ्य  कर्मियों, बाल विकास सेवा एवं पुष्टाहार (आईसीडीएस) विभाग, शिक्षा विभाग, पंचायती राज  विभाग और राजस्व विभाग की मदद से सभी को प्रोत्साहित और संवेदीकरण करने का प्रयास  किया जा रहा है। उन्होंने बताया कि स्तनपान को लेकर किसी तरह का भ्रम न पालें। मां के दूध  में शिशु की आवश्यकतानुसार पानी होता है। इसलिए छह माह तक ऊपर से पानी देने की 

आवश्यकता नहीं है। शिशु की मांग के अनुसार माताएं स्तनपान कराएं। बच्चों को निप्पल या  सुंदर दिखने वाले मुलायम खिलौने चबाने के लिए न दें। इस दौरान अपर मुख्य चिकित्सा  अधिकारी आरसीएच डॉ. अरविंद भूषण, डॉ. एसडी चौधरी, डीपीएम डॉ. प्रेमप्रताप आदि मौजूद रहे।

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Journalist Anil Prabhakar

Editor UPVIRAL24 NEWS