विश्व हृदय दिवस (29 सितंबर) पर विशेष
हृदय रोग के लक्षणों को हल्के में न लें
लक्षण दिखने पर तुरंत कराएं जांच
जालौन : सीढ़ियां चढ़ते हुए अक्सर सांस फूलने लगती है, इसे चिकित्सीय भाषा में डिशनिया कहते हैं। अगर लगातार सांस फूलने की समस्या हो या कड़े शारीरिक परिश्रम के बिना ही सांस फूलने लगे तो इसे गंभीरता से लेना चाहिए। इसका कारण एनजाइना, हार्ट अटैक, हार्ट फेलियर और हृदय की असामान्य धड़कनें हो सकता है। क्योंकि जब हृदय की कार्यप्रणाली प्रभावित होती है तो वह उतनी मात्रा में रक्त पंप नहीं कर पाता है, जितनी शरीर को आवश्यकता होती है, इसकी प्रतिक्रिया शरीर तेज-तेज सांस लेकर देता है ताकि शरीर के अंदर ज्यादा मात्रा में ऑक्सीजन आ सके। ऐसी स्थिति में तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें। यह सलाह मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ.. एनडी शर्मा ने दी।
उन्होंने बताया कि छाती में बेचैनी और भारीपन महसूस होने को हल्के में न लें। छाती में दर्द के साथ अगर सांस फूले तो यह खतरे का संकेत है। वैसे पसीना आना कोई बीमारी या बुरी बात नहीं है लेकिन अगर आप बेतहाशा पसीना आने से पीड़ित हों तो डॉक्टर से संपर्क करें। अगर आपको लगातार चक्कर आएं तो इसे सिर्फ थकान या कमजोरी न मानें। अच्छा खाने और भरपूर सोने के बाद भी थकान महसूस हो तो इसे हल्के में न लें। धमनियां ब्लॉक होने से भी यह समस्या हो जाती हैं। बांहों का सुन्न हो जाना इसका कारण हृदय रोग हो सकता है। बोलने में जबान लड़खड़ाना भी हार्ट अटैक का गंभीर लक्षण हो सकता है। एनसीडी के नोडल अधिकारी व एसीएमओ डॉ. वीरेंद्र सिंह कहते है कि वर्तमान जीवनशैली, गलत खानपान, मोटापा, तनाव, नशा आदि कारणों से दुनियाभर में बहुत सारे लोग कई गंभीर बीमारियों का शिकार हो जाते हैं। इनमें से कई बीमारियां जानलेवा होती हैं। हृदय संबंधी बीमारियां भी इन्हीं में से है, जिस कारण बहुत सारे लोगों की मौत हो जाती है। पहले जहां उम्रदराज लोगों में हृदय रोग की समस्या देखी जाती थी, अब कम उम्र में भी दिल से जुड़ी बीमारियां शुरू हो जाती हैं। हृदय संबंधी बीमारियों के प्रति जागरूकता के उद्देश्य से हर साल 29 सितंबर को विश्व हृदय दिवस मनाया जाता है। कम उम्र के लोगों में हृदय रोग की समस्या चिंताजनक है। इसलिए लोगों को इस बारे में जानकारी होना आवश्यक है ताकि वह अपने खान-पान और जीवन शैली में बदलाव करके इस रोग से बच सकें।
हृदय रोग का मुख्य कारण
-शरीर में कोलेस्ट्राल का बढ़ना।
-शारीरिक श्रम न के बराबर करना
-बढ़ता मोटापा भी बड़ी समस्या
हृदय रोग संबंधी लक्षण
-सीढ़िया चढ़ने या पैदल चलने में सांस फूलना
-बाएं हाथ और सीने में भारीपन होना
-थकावट होना और ज्यादा पसीना आना
जिला अस्पताल में तैनात डा. संजीव गुप्ता का कहना है कि दिल को स्वस्थ रखना बहुत जरुरी हो गया है। अपनी जीवन शैली में बदलाव करके और अच्छी आदतें अपनाकर इस घातक रोग से बचा जा सकता है। आज के समय में यहरोग कम उम्र के युवाओं को भी अपनी चपेट में ले रहा है। युवाओं में बढ़ते धूम्रपान की आदत भी इस रोग के खतरे को कई गुना ज्यादा बढ़ा देती है। आज के समय में युवा जंक फूड का सेवन भी बहुत अधिक करते हैं, जिसके कारण शरीर में जरुरत से ज्यादा नमक की मात्रा पहुचंती है। नमक में पाया जाने वाला मुख्य कंपाउंड सोडियम होता है। जिससे उच्च रक्त चाप की शिकायत हो जाती है, जो हृदय रोग को बढ़ावा देती है। इसलिए युवाओं को इस रोग से बचाव के लिए अपनी इन खराब आदतों को छोड़ देना चाहिए। जिला अस्पताल में रोजाना आने वाले सौ मरीजों में 20 से 22 बीपी और हृदय रोग संबंधी मरीज होते हैं।
केस-शहर का निवासी 33 वर्षीय मनोज ने बताया कि चलने में थकावट होती थी और सांस फूलती थी। डाक्टर को दिखाने पर उन्होंने इसीजी की सलाह दी। इसमे इनजाइना पेन के लक्षण दिखने पर टीएमटी जांच कराई तो हृदय संबंधी बीमारी पता चली। अब डाक्टर ने ऐतिहयात बरतने की सलाह दी है। डाक्टर के अनुसार जीवनशैली अपना रहे हैं।