औषधि एवं प्रसाधन सामग्री अधिनियम के तहत 8 चिकित्सा सामानों के लिए नई विनियामकीय व्यवस्था
चिकित्सा उपकरण नियम (2017) के तहत अपने विनियमाकीय आदेश के कार्यान्वयन के दौरान निर्बाध आपूर्ति श्रृंखला और पहुंच सुनिश्चित करने के लिए 6 माह का समय दिया गया
भारतीय उद्योग की जरूरतों के समाधान के लिए एक सक्रिय और संवेदनशील दृष्टिकोण अपनाते हुए केन्द्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय ने आज आठ विनियमित चिकित्सा उपकरण की निर्बाध पहुंच सुनिश्चित करने के लिए एक अहम फैसला लिया है।
मंत्रालय ने पूर्व में औषधि एवं प्रसाधन सामग्री अधिनियम के तहत निम्नलिखित चिकित्सा सामानों को अधिसूचित किया था, जो 1 अप्रैल, 2021 (चिकित्सा उपकरण नियम 2017 के तहत दिनांक 8 फरवरी, 2019 के एस.ओ. 775(ई) के मुताबिक) से प्रभावी हो गया थाः
सभी प्रत्योरोपित होने वाले चिकित्सा उपकरण;
सीटी स्कैन उपकरण;
एमआरआई उपकरण;
डेफिब्रिलेटर;
पीईटी उपकरण;
डायलिसिस मशीन;
एक्स-रे मशीन; और
बोन मैरो (अस्थि मज्जा) सेल सेपरेटर।
इस क्रम में संबंधित आदेश के मुताबिक, आयातकों/ विनिर्माताओं को 1 अप्रैल, 2021 से उक्त उपकरणों के आयात/ विनिर्माण के लिए, जैसी स्थिति हो, केन्द्रीय लाइसेंसिंग प्राधिकरण या राज्य लाइसेंसिंग प्राधिकरण से आयात/विनिर्माण लाइसेंस लेने की जरूरत है।
नई विनियामकीय व्यवस्था को सुचारू रूप से लागू करने के दौरान, इन चिकित्सा उपकरणओं की आपूर्ति श्रृंखला को बनाए रखने और पहुंच सुनिश्चित करने के क्रम में, केन्द्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय ने अब फैसला किया है कि इन उपकरणों के आयात/ विनिर्माण में लगे मौजूदा आयातक/ विनिर्माता ने अगर पहले ही एमडीआर, 2017 के प्रावधानों के तहत, जैसी स्थिति हो, उपकरण (या उपकरणों) के संबंध में आयात/ विनिर्माण लाइसेंस के लिए आवेदन जमा कर दिया है, तो आवेदन को वैध माना जाएगा और आयातक/ विनिर्माता इस आदेश के जारी होने के 6 महीने तक या, स्थिति के आधार पर केन्द्रीय लाइसेंसिंग प्राधिकरण या राज्य लाइसेंसिंग प्राधिकरण द्वारा संबंधित आवेदन पर फैसला लेने तक, जो भी पहले हो, आयात/ विनिर्माण जारी रख सकता है।
इस संबंध में औषध महानियंत्रक (भारत) ने सीडीएससीओ की वेबसाइट के माध्यम से 18 अप्रैल, 2021 को आदेश जारी कर दिया है।