वैश्विक स्तर पर आयुष चिकित्सा प्रणाली को बढ़ावा
आयुष मंत्रालय ने आयुष के लिए अंतरराष्ट्रीय सहयोग संवर्धन हेतु केन्द्रीय क्षेत्र योजना (आईसीस्कीम) विकसित की है। इस योजना के अंतर्गत, मंत्रालय आयुष से संबंधित उत्पादों एवं सेवाओं के निर्यात को बढ़ावा देने हेतु भारतीय आयुष औषधि निर्माताओं/आयुष सेवा प्रदाताओं को सहायता प्रदान करता है; आयुष चिकित्सा प्रणालियों के अंतरराष्ट्रीय प्रचार, विकास और मान्यता को सुगम बनाता है; विभिन्न हितधारकों के बीच परस्पर संवाद को बढ़ावा देता है और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर आयुष के बाजार के विकास को बढ़ावा देता है; विदेशों में आयुष अकादमिक पीठों की स्थापना के जरिए आयुष से संबंधित शिक्षा एवं अनुसंधान को बढ़ावा देता है और आयुर्वेद सहित अंतरराष्ट्रीय स्तर पर आयुष चिकित्सा प्रणालियों के बारे में जागरूकता एवं रुचि को बढ़ावा देने और सुदृढ़ करने हेतु प्रशिक्षण कार्यशालाओं/संगोष्ठियों का आयोजन करता है।
आयुष मंत्रालय ने 25 देश-दर-देश समझौता ज्ञापनों, 52 संस्थान-दर-संस्थान समझौता ज्ञापनों और 15 आयुष पीठों से संबंधित समझौता ज्ञापनों पर हस्ताक्षर किए हैं। देश-दर-देश समझौता ज्ञापनों, संस्थान-दर-संस्थान समझौता ज्ञापनों और आयुष पीठों से संबंधित समझौता ज्ञापनों का विवरण क्रमशः अनुलग्नक 'ए', 'बी' और 'सी' में संलग्न है।
आयुष मंत्रालय और विश्व स्वास्थ्य संगठन के बीच विभिन्न समझौतों के तहत, पारंपरिक चिकित्सा की विश्वसनीयता एवं विश्वव्यापी स्वीकृति बढ़ाने हेतु विभिन्न सहयोग किए गए हैं:
आयुष मंत्रालय के सहयोग से विश्व स्वास्थ्य संगठन ने आयुर्वेद, यूनानी और सिद्ध प्रणालियों के लिए मानकीकृत शब्दावली दस्तावेज विकसित व प्रकाशित किए हैं, जिससे इन पारंपरिक चिकित्सा पद्धतियों के लिए वैश्विक स्तर पर स्वीकृत, एकीकृत भाषा बनाने में मदद मिली है।
आयुर्वेद और यूनानी चिकित्सा पद्धति के अभ्यास और प्रशिक्षण के लिए अंतरराष्ट्रीय मानक निर्धारित करने हेतु संयुक्त रूप से मानक दस्तावेज तैयार किए गए हैं। ये दस्तावेज दुनिया भर के चिकित्सकों के लिए सुरक्षा, गुणवत्ता और योग्यता के बारे में मार्गदर्शन प्रदान करते हैं।
वैश्विक मांग को पूरा करने हेतु, विश्व स्वास्थ्य संगठन ने भारत सरकार के आयुष मंत्रालय के सहयोग से 2022 में वैश्विक पारंपरिक चिकित्सा केन्द्र (जीटीएमसी) की स्थापना की। यह केन्द्र साक्ष्य-आधारित पारंपरिक एवं पूरक चिकित्सा के एक वैश्विक ज्ञान केन्द्र के रूप में कार्य करता है।
इस सहयोग से भारतीय पारंपरिक चिकित्सा प्रणालियों को अंतरराष्ट्रीय रोग वर्गीकरण (आईसीडी) और अंतरराष्ट्रीय स्वास्थ्य हस्तक्षेप वर्गीकरण (आईसीएचआई) जैसे विश्व स्वास्थ्य संगठन के प्रमुख उपकरणों के साथ एकीकृत करने में मदद मिली है, जिससे दुनिया भर में आयुष प्रणालियों की हैसियत और मान्यता बढ़ी है।
विश्व स्वास्थ्य संगठन के प्रकाशन विकसित किए जा रहे हैं: सिद्ध में प्रशिक्षण एवं अभ्यास के लिए तकनीकी रिपोर्ट तथा योग में प्रशिक्षण के लिए तकनीकी रिपोर्ट।
वर्ष 2025-2034 के लिए पारंपरिक चिकित्सा वैश्विक रणनीति के विकास का समर्थन करना।
आयुर्वेद, सिद्ध और यूनानी की टीएम प्रणाली पर समग्र दृष्टिकोण एवं ध्यान केन्द्रित करते हुए, अंतरराष्ट्रीय स्वास्थ्य संबंधी उपायों के वर्गीकरण (आईसीएचआई) के लिए पारंपरिक चिकित्सा उपायों से संबंधित श्रेणियों और सूचकांक को विकसित करने हेतु एक समझौते पर हस्ताक्षर किए गए।