प्रधानमंत्री मोदी ने 17वें सिविल सेवा दिवस को संबोधित किया

प्रधानमंत्री मोदी ने 17वें सिविल सेवा दिवस को संबोधित किया

प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने नई दिल्ली के विज्ञान भवन में 17वें सिविल सेवा दिवस के अवसर पर सिविल सेवकों को संबोधित किया और लोक प्रशासन में उत्कृष्टता के लिए पुरस्कार प्रदान किए। उन्होंने संविधान के 75वें वर्ष और सरदार वल्लभभाई पटेल की 150वीं जयंती की पृष्ठभूमि में इस समारोह के विशेष महत्व को रेखांकित किया।


उन्होंने सरदार पटेल के ‘भारत का स्टील फ्रेम’ वाले कथन का उल्लेख करते हुए सिविल सेवकों से अनुशासन, ईमानदारी और समर्पण की भावना से राष्ट्र सेवा की अपेक्षा की।


प्रधानमंत्री ने कहा कि आज जो नीतियां बनाई जा रही हैं, वे आने वाले हजार वर्षों को आकार देने वाली हैं। उन्होंने सामूहिक प्रयास, तकनीकी नवाचार और जनभागीदारी के महत्व पर बल दिया।


उन्होंने कहा कि भारत का आकांक्षी समाज—युवाओं, किसानों और महिलाओं के सपनों को साकार करने के लिए असाधारण गति की आवश्यकता है। समग्र विकास की बात करते हुए उन्होंने स्वच्छ जल, गुणवत्तापूर्ण शिक्षा, डिजिटल सुविधाएं और वित्तीय समावेशन को प्राथमिकता देने की बात कही।


उन्होंने उदाहरणस्वरूप विभिन्न जिलों और आकांक्षी ब्लॉकों में हुई उल्लेखनीय प्रगति का जिक्र किया, जैसे कि बच्चों की उपस्थिति में वृद्धि, नल जल कनेक्शन की उपलब्धता, संस्थागत प्रसव दर में वृद्धि और आंगनवाड़ी केंद्रों की दक्षता।


प्रधानमंत्री ने बताया कि भारत शासन, पारदर्शिता और नवाचार में नए मानक स्थापित कर रहा है। उन्होंने G-20 की सफल अध्यक्षता, जनभागीदारी आधारित पहल और सरकारी प्रक्रियाओं में बदलाव की चर्चा की।


उन्होंने बताया कि 40,000 से अधिक अनुपालन हटा दिए गए हैं और 3,400 से अधिक कानूनों को अपराधमुक्त किया गया है ताकि कारोबारी माहौल को बेहतर बनाया जा सके।


प्रधानमंत्री ने कहा कि अब सिविल सेवकों को नियामक की भूमिका से आगे बढ़कर ‘सक्षमकर्ता’ की भूमिका निभानी चाहिए। उन्होंने MSME और स्टार्टअप इकोसिस्टम के लिए अनुकूल माहौल बनाने की आवश्यकता पर बल दिया।


प्रौद्योगिकी के युग में स्मार्ट गवर्नेंस के लिए डेटा-संचालित निर्णय, डिजिटल उपकरणों का उपयोग और AI व क्वांटम जैसी उभरती तकनीकों में दक्षता को आवश्यक बताया गया। उन्होंने कहा कि मिशन कर्मयोगी और सिविल सेवा क्षमता निर्माण कार्यक्रम इस दिशा में अहम पहल हैं।


प्रधानमंत्री ने वैश्विक चुनौतियों जैसे जलवायु परिवर्तन, साइबर अपराध और आपदाओं की ओर ध्यान आकृष्ट किया और उनसे निपटने के लिए लचीली रणनीतियों की आवश्यकता पर बल दिया।


उन्होंने सिविल सेवकों को “पंच प्राण” के सिद्धांतों को अपनाने और राष्ट्र निर्माण में सक्रिय भागीदारी के लिए प्रेरित किया। उन्होंने कहा कि सच्चा योगदान सुविधा नहीं, सेवा में है।


प्रधानमंत्री ने आग्रह किया कि प्रत्येक सिविल सेवक राष्ट्र द्वारा दिए गए इस विशेषाधिकार का सर्वोत्तम उपयोग करे और 2047 तक विकसित भारत के लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए नई ऊंचाइयों की ओर अग्रसर हो।

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Journalist Anil Prabhakar

Editor UPVIRAL24 NEWS