प्रधानमंत्री मोदी ने उत्तर प्रदेश के संभल में श्री कल्कि धाम मंदिर का शिलान्यास किया

प्रधानमंत्री मोदी ने उत्तर प्रदेश के संभल में श्री कल्कि धाम मंदिर का शिलान्यास किया

“श्री कल्कि धाम मंदिर भारत के नए आध्यात्मिक केंद्र के रूप में उभरेगा”

“आज का भारत ‘विकास भी विरासत भी’ के मंत्र के साथ तेजी से आगे बढ़ रहा है”

भारत के सांस्कृतिक पुनरुत्थान के पीछे की प्रेरणा, हमारी पहचान पर गर्व और इसे स्थापित करने का आत्मविश्वास छत्रपति शिवाजी महाराज से मिलता है

“रामलला की उपस्थिति का वो अलौकिक अनुभव, वो दिव्य अनुभूति अब हमें भावुक कर जाती है”

“पहले जो कल्पना से परे था अब वो साकार हो गया है"

"आज जहां एक ओर हमारे तीर्थस्थलों का विकास हो रहा है, वहीं दूसरी ओर शहरों में हाईटेक इंफ्रास्ट्रक्चर भी तैयार किया जा रहा है"

"कल्कि काल चक्र में परिवर्तन के प्रणेता हैं और प्रेरणा के स्रोत भी हैं"

"भारत पराभव से भी विजय को खींच लाने वाला राष्ट्र है"

"आज पहली बार भारत उस मुकाम पर है जहां हम अनुसरण नहीं, बल्कि एक उदाहरण स्थापित कर रहे हैं"

"आज के भारत में हमारी शक्ति अनंत है, और हमारे लिए अपार संभावनाएं भी हैं"

"भारत जब भी बड़े संकल्प लेता है, तो उसका मार्गदर्शन करने के लिए दिव्य चेतना किसी न किसी रूप में हमारे बीच अवश्य आती है"


श्री प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने आज उत्तर प्रदेश के संभल जिले में श्री कल्कि धाम मंदिर का शिलान्यास किया। प्रधानमंत्री ने श्री कल्कि धाम मंदिर के मॉडल का भी अनावरण किया। श्री कल्कि धाम का निर्माण श्री कल्कि धाम निर्माण ट्रस्ट द्वारा किया जा रहा है जिसके अध्यक्ष आचार्य प्रमोद कृष्णम हैं। इस कार्यक्रम में कई संत, धर्मगुरु और अन्य गणमान्य व्यक्ति भाग ले रहे हैं।


प्रधानमंत्री ने धाम के उद्घाटन के 18 साल के इंतजार का जिक्र करते हुए कहा कि ऐसा लगता है कि अभी कई अच्छे काम बाकी हैं, जिन्हें मेरे लिए छोड़ा गया है। उन्होंने कहा कि जनता और संतों के आशीर्वाद से वह अधूरे कार्यों को पूरा करते रहेंगे।


आज छत्रपति शिवाजी महाराज की जयंती है। इस अवसर पर प्रधानमंत्री ने छत्रपति शिवाजी महाराज को श्रद्धांजलि दी। उन्होंने आज के सांस्कृतिक पुनरुत्थान, गौरव और हमारी पहचान में आस्था के लिए शिवाजी महाराज को श्रेय दिया।


प्रधानमंत्री ने मंदिर की वास्तुकला पर प्रकाश डालते हुए विस्तार से बताया कि इस मंदिर में 10 गर्भगृह होंगे, जहां भगवान के सभी 10 अवतार विराजमान होंगे। इन 10 अवतारों के जरिए प्रधानमंत्री श्री मोदी ने बताया कि धर्मग्रंथों में मानव रूप सहित भगवान के सभी रूपों को प्रस्तुत किया गया है। प्रधानमंत्री ने कहा, "जीवन में कोई भी भगवान की चेतना का अनुभव कर सकता है। हमने भगवान को 'सिंह (शेर), वराह (सूअर) और कच्छप (कछुआ)' के रूप में अनुभव किया है।" उन्होंने कहा कि भगवान की इन स्वरूपों में स्थापना लोगों की भगवान के प्रति मान्यता की समग्र छवि प्रस्तुत करेगी। प्रधानमंत्री ने श्री कल्कि धाम मंदिर की आधारशिला रखने का अवसर देने के लिए भगवान को धन्यवाद दिया। प्रधानमंत्री ने इस अवसर पर उपस्थित सभी संतों को उनके मार्गदर्शन के लिए नमन किया और श्री आचार्य प्रमोद कृष्णम को भी धन्यवाद दिया।


प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने कहा कि आज का कार्यक्रम भारत के सांस्कृतिक पुनर्जागरण का एक और अनूठा क्षण है। अयोध्या धाम में श्री राम मंदिर के अभिषेक और हाल ही में अबू धाबी में मंदिर के उद्घाटन का उल्लेख करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि जो कभी कल्पना से परे था वह अब वास्तविकता बन गया है।


प्रधानमंत्री ने लगातार हो रहे ऐसे आयोजनों के महत्व को रेखांकित किया। वे आध्यात्मिक उत्थान के बारे में बात करते रहे और काशी में विश्वनाथ धाम, काशी के परिवर्तन, महाकाल महलोक, सोमनाथ और केदारनाथ धाम का उल्लेख किया। उन्होंने कहा, हम 'विकास भी विरासत भी' के मंत्र के साथ आगे बढ़ रहे हैं। उन्होंने एक बार फिर आध्यात्मिक केंद्रों के पुनरुद्धार को उच्च तकनीक वाले शहरी बुनियादी ढांचों से,नए मेडिकल कॉलेजों की स्थापना को मंदिर निर्माण के साथ और विदेशी निवेश के साथ-साथ विदेशों से कलाकृतियों की वापसी से जोड़ा। उन्होंने कहा कि इससे पता चलता है कि समय का चक्र घूम चुका है। उन्होंने लाल किले से अपने आह्वान- 'यही समय है, सही समय है' को याद किया और इस वक्त के साथ चलने की जरूरत पर जोर दिया।


प्रधानमंत्री ने अयोध्या में श्री राम जन्मभूमि मंदिर में प्राण-प्रतिष्ठा समारोह को याद करते हुए 22 जनवरी, 2024 से एक नए 'काल चक्र' की शुरुआत की अपनी बात दोहराई और हजारों साल तक चले श्रीराम के शासन के प्रभाव पर प्रकाश डाला। इसी तरह, अब रामलला विराजमान के साथ भारत अपनी नई यात्रा शुरू कर रहा है, जहां आजादी के अमृत काल में विकसित भारत का संकल्प महज इच्छा नहीं रह गया है। प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत की संस्कृति और परंपरा हर कालखंड में इसी संकल्प के साथ जीवित रही है। भगवान श्री कल्कि के स्वरूपों के बारे में आचार्य प्रमोद कृष्णम जी के शोध और अध्ययन के बारे में बात करते हुए प्रधानमंत्री ने इसके विभिन्न पहलुओं और शास्त्रीय ज्ञान पर प्रकाश डाला। उन्होंने बताया कि भगवान कल्कि के स्वरूप भगवान श्री राम की तरह हजारों वर्षों तक भविष्य का मार्ग निर्धारित करेंगे।


प्रधानमंत्री ने कहा कि "कल्कि काल चक्र में बदलाव के सर्जक हैं और प्रेरणा के स्रोत भी हैं।" उन्होंने कहा कि कल्कि धाम भगवान को समर्पित एक ऐसा स्थान बनने जा रहा है जो अभी तक अवतरित नहीं हुआ है। उन्होंने इस बात पर प्रकाश डाला कि भविष्य के बारे में ऐसी अवधारणा सैकड़ों हजारों साल पहले धर्मग्रंथों में लिखी गई थी। श्री मोदी ने पूरी आस्था के साथ इन मान्यताओं को आगे बढ़ाने और इसके लिए अपना जीवन समर्पित करने के लिए आचार्य प्रमोद कृष्णम की सराहना की। उन्होंने कल्कि मंदिर की स्थापना के लिए पिछली सरकारों से आचार्य जी की लड़ी गई लंबी लड़ाई का जिक्र किया और इसके लिए कोर्ट के उनके चक्कर लगाने का भी जिक्र किया। प्रधानमंत्री ने आचार्य जी के साथ अपनी हालिया बातचीत को याद करते हुए कहा कि उन्होंने आचार्य जी को केवल एक राजनीतिक व्यक्तित्व के रूप में जाना था, लेकिन अब धर्म और आध्यात्मिकता के प्रति उनके समर्पण को जान चुका हूं। प्रधानमंत्री ने विश्वास व्यक्त करते हुए कहा कि आज प्रमोद कृष्णम जी मन की शांति के साथ मंदिर का काम शुरू करने में सक्षम हुए हैं। उन्होंने भरोसा जताया कि यह मंदिर बेहतर भविष्य के प्रति वर्तमान सरकार के सकारात्मक दृष्टिकोण का प्रमाण होगा।


प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि भारत हार के जबड़े से जीत छीनना जानता है। उन्होंने भारतीय समाज की दृढ़ता पर प्रकाश डालते हुए कहा, "आज भारत के अमृत काल में, भारत की महिमा, ऊंचाई और ताकत का बीज अंकुरित हो रहा है।" उन्होंने आगे कहा कि जैसे संत और धार्मिक नेता नए मंदिरों का निर्माण कर रहे हैं, वैसे ही उन्हें राष्ट्र के मंदिर का निर्माण का काम सौंपा गया है। उन्होंने कहा, ''मैं दिन-रात राष्ट्र के मंदिर की भव्यता और महिमा के विस्तार के लिए काम कर रहा हूं।'' प्रधानमंत्री श्री मोदी ने जोर देकर कहा, "आज, पहली बार, भारत उस स्तर पर पहुंचा है जहां हम किसी का अनुसरण नहीं कर रहे हैं बल्कि उदाहरण स्थापित कर रहे हैं।" इस प्रतिबद्धता के नतीजों को गिनाते हुए प्रधानमंत्री ने भारत के डिजिटल प्रौद्योगिकी और नवाचार का केंद्र बनने, भारत के 5वीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने, चंद्रयान की सफलता, वंदे भारत और नमो भारत जैसी आधुनिक ट्रेनों, आगामी बुलेट ट्रेन, उच्च-तकनीक राजमार्ग और एक्सप्रेसवे के मजबूत नेटवर्क का उल्लेख किया। प्रधानमंत्री ने कहा कि यह उपलब्धि भारतीयों को गर्व महसूस करा रही है और देश में सकारात्मक सोच तथा आत्मविश्वास की यह लहर अद्भुत है। इसीलिए आज हमारी क्षमताएं अनंत हैं, और हमारे लिए संभावनाएं भी अपार हैं।”


प्रधानमंत्री श्री मोदी ने जोर देकर कहा कि किसी राष्ट्र को सामूहिकता के जरिए सफल होने की ऊर्जा मिलती है। उन्होंने आज भारत में एक भव्य सामूहिक चेतना देखी। प्रधानमंत्री ने कहा कि प्रत्येक नागरिक ‘सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास और सबका प्रयास’ की भावना के साथ काम कर रहा है।


प्रधानमंत्री ने पिछले 10 वर्षों के अपने प्रयासों को सूचीबद्ध किया। उन्होंने प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत 4 करोड़ से अधिक पक्के घर,11 करोड़ शौचालय, 2.5 करोड़ परिवारों को बिजली, 10 करोड़ से अधिक घरों को नल का जल, 80 करोड़ नागरिकों को मुफ्त राशन, 10 करोड़ महिलाओं को रियायती गैस सिलेंडर, 50 करोड़ आयुष्मान कार्ड, 10 करोड़ किसानों को किसान सम्मान निधि,महामारी के दौरान मुफ्त टीका, स्वच्छ भारत जैसी उपलब्धियां गिनाईं।


प्रधानमंत्री ने सरकार के काम की गति और उसके पैमाने के लिए देश के नागरिकों को श्रेय दिया। उन्होंने बताया कि आज के लोग गरीबों को सरकारी योजनाओं का लाभ दिलाने में मदद कर रहे हैं और योजनाओं को शत-प्रतिशत सभी लोगों तक पहुंचाने के अभियान में भाग ले रहे हैं। उन्होंने कहा कि गरीबों की सेवा की भावना भारत के आध्यात्मिक मूल्यों से आई है जो 'नर में नारायण' की भावना को प्रेरित करती है। उन्होंने नागरिकों से 'विकसित भारत के निर्माण' और 'अपनी विरासत पर गर्व करने'के पांच सिद्धांतों की अपनी अपील दोहराई।


प्रधानमंत्री ने कहा, "भारत जब भी बड़े संकल्प लेता है, तो उसका मार्गदर्शन करने के लिए दैवीय चेतना किसी न किसी रूप में हमारे बीच जरूर आती है।" प्रधानमंत्री ने गीता-दर्शन का जिक्र करते हुए कहा कि निरंतर काम करने की जरूरत है। उन्होंने कहा, “अगले 25 वर्षों तक इसी कर्त्तव्य काल में हमें कड़ी मेहनत की पराकाष्ठा प्राप्त करनी है। हमें निस्वार्थ भाव से देश सेवा को सर्वोपरि रखकर कार्य करना है। हमारे हर प्रयास से देश को क्या लाभ होगा, यह प्रश्न सबसे पहले हमारे मन में आना चाहिए। यह प्रश्न राष्ट्र की सामूहिक चुनौतियों का समाधान प्रस्तुत करेगा।”


इस अवसर पर अन्य लोगों के अलावा उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री श्री योगी आदित्यनाथ और श्री कल्कि धाम के पीठाधीश्वर आचार्य प्रमोद कृष्णम उपस्थित थे।

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Journalist Anil Prabhakar

Editor UPVIRAL24 NEWS