क्या आप सिनेमाई रोमांचक यात्रा पर जाने के लिए तैयार हैं?

क्या आप सिनेमाई रोमांचक यात्रा पर जाने के लिए तैयार हैं?    अरुणा जयवर्धना द्वारा निर्देशित श्रीलंकाई फिल्म "मारिया: द ओशन एंजल" आईएफएफआई 53 में गोल्डन पीकॉक के लिए प्रतिस्पर्धा कर रही है    श्रीलंका (तब सीलोन कहा जाता था) में सिनेमा की शुरुआत 1901 में हुई, देश में पहली बार ब्रिटिश गवर्नर वेस्ट रिजवे और दूसरे बोअर युद्ध के कैदियों के लिए एक निजी प्रदर्शन के तहत एक फिल्म दिखाई गई। यह एक लघु फिल्म थी, जिसमें बोअर युद्ध में ब्रिटेन की जीत, महारानी विक्टोरिया को दफनाया जाना और एडवर्ड सप्तम के राज्याभिषेक को दिखाया गया था। उपनिवेशवाद की प्रतिच्छाया में शुरू होकर, लगभग 22 मिलियन की आबादी वाले इस छोटे द्वीप देश ने मनोरंजन उद्योग में एक लंबा सफर तय किया है। श्रीलंका में सिनेमा अब एक सार्वजनिक कार्यक्रम और संस्कृति का उत्सव बन गया है।    53वें आईएफएफआई में, अरुणा जयवर्धना द्वारा निर्देशित "मारिया: द ओशन एंजेल" (2022) अंतर्राष्ट्रीय प्रतियोगिता श्रेणी के तहत प्रतिष्ठित गोल्डन पीकॉक के लिए प्रतिस्पर्धा कर रही है। यह फिल्म, समुद्र के बीच में मछुआरों के एक समूह और उनके द्वारा की गई एक आकस्मिक खोज के इर्द-गिर्द घूमती है। क्या यह दैवीय हस्तक्षेप है? या क्या यह खोज उन्हें स्वयं को और एक-दूसरे को अलग-अलग रोशनी में केवल देखने की अनुमति देगा? "मारिया: द ओशन एंजेल" इन चीज़ों की पड़ताल करती है, जब फिल्म में युवा लड़के महासागर की यात्रा के लिए रवाना होते हैं।    आईएफएफआई में फीचर फिल्म श्रेणी के लिए पहला गोल्डन पीकॉक पुरस्कार लेस्टर जेम्स पेरीज की फिल्म 'गैमपेरालिया' (1963) के लिए दिया गया था, जिन्हें श्रीलंकाई सिनेमा का जनक माना जाता है। क्या 53वें संस्करण में इतिहास खुद को दोहराएगा? हमें जल्द ही पता चल जाएगा! लेकिन तब तक एक सिनेमाई रोमांचक यात्रा के लिए तैयार हो जाइए और “मारिया: द ओशन एंजल” को देखना न भूलें।    आईएफएफआई के बारे में:    1952 में स्थापित भारतीय अंतर्राष्ट्रीय फिल्म महोत्सव (आईएफएफआई) एशिया के सबसे प्रमुख फिल्म समारोहों में से एक है। भारत के अंतर्राष्ट्रीय फिल्म महोत्सव का उद्देश्य फिल्मों, उनकी कहानियों और उनके निर्माण से जुड़े लोगों का उत्सव मनाना है। ऐसा करके, हम फिल्मों के लिए प्रबुद्ध सराहना और उत्साहपूर्ण प्रेम का पोषण, प्रचार और प्रसार करना चाहते हैं – दूर-दूर तक चर्चा और गहरा जुडाव; लोगों के बीच प्रेम, समझ और बंधुत्व के सेतुओं का निर्माण और उन्हें व्यक्तिगत व सामूहिक उत्कृष्टता के नए शिखर को छूने के लिए प्रेरित करना। यह महोत्सव हर साल गोवा एंटरटेनमेंट सोसाइटी तथा मेजबान राज्य, गोवा के सहयोग से सूचना और प्रसारण मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा आयोजित किया जाता है।

क्या आप सिनेमाई रोमांचक यात्रा पर जाने के लिए तैयार हैं?


अरुणा जयवर्धना द्वारा निर्देशित श्रीलंकाई फिल्म "मारिया: द ओशन एंजल" आईएफएफआई 53 में गोल्डन पीकॉक के लिए प्रतिस्पर्धा कर रही है


श्रीलंका (तब सीलोन कहा जाता था) में सिनेमा की शुरुआत 1901 में हुई, देश में पहली बार ब्रिटिश गवर्नर वेस्ट रिजवे और दूसरे बोअर युद्ध के कैदियों के लिए एक निजी प्रदर्शन के तहत एक फिल्म दिखाई गई। यह एक लघु फिल्म थी, जिसमें बोअर युद्ध में ब्रिटेन की जीत, महारानी विक्टोरिया को दफनाया जाना और एडवर्ड सप्तम के राज्याभिषेक को दिखाया गया था। उपनिवेशवाद की प्रतिच्छाया में शुरू होकर, लगभग 22 मिलियन की आबादी वाले इस छोटे द्वीप देश ने मनोरंजन उद्योग में एक लंबा सफर तय किया है। श्रीलंका में सिनेमा अब एक सार्वजनिक कार्यक्रम और संस्कृति का उत्सव बन गया है।


53वें आईएफएफआई में, अरुणा जयवर्धना द्वारा निर्देशित "मारिया: द ओशन एंजेल" (2022) अंतर्राष्ट्रीय प्रतियोगिता श्रेणी के तहत प्रतिष्ठित गोल्डन पीकॉक के लिए प्रतिस्पर्धा कर रही है। यह फिल्म, समुद्र के बीच में मछुआरों के एक समूह और उनके द्वारा की गई एक आकस्मिक खोज के इर्द-गिर्द घूमती है। क्या यह दैवीय हस्तक्षेप है? या क्या यह खोज उन्हें स्वयं को और एक-दूसरे को अलग-अलग रोशनी में केवल देखने की अनुमति देगा? "मारिया: द ओशन एंजेल" इन चीज़ों की पड़ताल करती है, जब फिल्म में युवा लड़के महासागर की यात्रा के लिए रवाना होते हैं।


आईएफएफआई में फीचर फिल्म श्रेणी के लिए पहला गोल्डन पीकॉक पुरस्कार लेस्टर जेम्स पेरीज की फिल्म 'गैमपेरालिया' (1963) के लिए दिया गया था, जिन्हें श्रीलंकाई सिनेमा का जनक माना जाता है। क्या 53वें संस्करण में इतिहास खुद को दोहराएगा? हमें जल्द ही पता चल जाएगा! लेकिन तब तक एक सिनेमाई रोमांचक यात्रा के लिए तैयार हो जाइए और “मारिया: द ओशन एंजल” को देखना न भूलें।


आईएफएफआई के बारे में:


1952 में स्थापित भारतीय अंतर्राष्ट्रीय फिल्म महोत्सव (आईएफएफआई) एशिया के सबसे प्रमुख फिल्म समारोहों में से एक है। भारत के अंतर्राष्ट्रीय फिल्म महोत्सव का उद्देश्य फिल्मों, उनकी कहानियों और उनके निर्माण से जुड़े लोगों का उत्सव मनाना है। ऐसा करके, हम फिल्मों के लिए प्रबुद्ध सराहना और उत्साहपूर्ण प्रेम का पोषण, प्रचार और प्रसार करना चाहते हैं – दूर-दूर तक चर्चा और गहरा जुडाव; लोगों के बीच प्रेम, समझ और बंधुत्व के सेतुओं का निर्माण और उन्हें व्यक्तिगत व सामूहिक उत्कृष्टता के नए शिखर को छूने के लिए प्रेरित करना। यह महोत्सव हर साल गोवा एंटरटेनमेंट सोसाइटी तथा मेजबान राज्य, गोवा के सहयोग से सूचना और प्रसारण मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा आयोजित किया जाता है। 

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Journalist Anil Prabhakar

Editor UPVIRAL24 NEWS