आश्विन मास शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी को जगम्मनपुर किला से निकलेंगे भगवान शालिग्राम

आश्विन मास शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी को जगम्मनपुर किला से निकलेंगे भगवान शालिग्राम    रिपोर्ट :- विजय द्विवेदी    जगम्मनपुर, जालौन : विजयदशमी पर्व के उपरांत आश्विन मास शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी को जगम्मनपुर किला में विराजमान भगवान शालिग्राम जी मंदिर से निकलकर आम दर्शनार्थ बाजार स्थित रहस चबूतरा पर विराज होंगे ।  रामचरितमानस के रचयिता गोस्वामी तुलसीदास जी द्वारा जगम्मनपुर के तत्कालीन राजा उदोतशाह को प्रदत्त भगवान शालिग्राम जी एवं उनके साथ सदा रहने वाला दाहिनावर्ती शंख व एक मुखी रुद्राक्ष जगम्मनपुर किला में विराजमान है। प्रतिवर्ष अश्विन (क्वांर) मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी को भगवान शालिग्राम जी आम दर्शनार्थ जगम्मनपुर किला के मंदिर से निकलकर नगर भ्रमण के उपरांत बाजार स्थित भगवान लक्ष्मी नारायण के रहस चबूतरा पर विराजमान होते हैं। इस वर्ष यह पर्व 8 अक्टूबर को शाम 6:30 बजे से प्रारंभ होगा। जगम्मनपुर राज बंशज राजा सुकृत शाह व कुलीन क्षत्रियों एवं क्षेत्रीय लोगों के कन्धो पर सिंहासनारूढ विराजमान भगवान शालिग्राम जी नगर भ्रमण करते हुए शाम 8:30 बजे अपने गंतव्य बाजार स्थित लक्ष्मीनारायण रहस चबूतरा पर विराजमान हो जाएंगे । इस अवसर पर क्षेत्रीय व स्थानीय ग्रामीण भगवान का भजन कीर्तन कर रात्रि जागरण करेंगे । भगवान के दर्शनों का यह सिलसिला देर रात तक चलता रहता है। तदोपरांत दूसरे दिन सुबह लगभग 3:00 बजे ब्रह्म मुहूर्त में पुनः भगवान शालिग्राम जी राज वंशजों के कंधों पर आरूढ़ हो वापस जगम्मनपुर किला पहुंच कर मंदिर में विराजमान हो जाते हैं । लगभग 450 वर्ष से चल रही इस परंपरा में भले ही देशी रियासत युग की भव्यता न रही हो लेकिन वर्तमान राजवंशज सुकृत शाह एवं जगम्मनपुर गांव के तथा क्षेत्र के ग्रामीण लोग आज भी बड़ी श्रद्धा और उत्साह के साथ इस परंपरा का निर्वाहन करके इस धार्मिक आयोजन में हिस्सा लेते हैं।

आश्विन मास शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी को जगम्मनपुर किला से निकलेंगे भगवान शालिग्राम


रिपोर्ट :- विजय द्विवेदी


जगम्मनपुर, जालौन : विजयदशमी पर्व के उपरांत आश्विन मास शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी को जगम्मनपुर किला में विराजमान भगवान शालिग्राम जी मंदिर से निकलकर आम दर्शनार्थ बाजार स्थित रहस चबूतरा पर विराज होंगे ।

रामचरितमानस के रचयिता गोस्वामी तुलसीदास जी द्वारा जगम्मनपुर के तत्कालीन राजा उदोतशाह को प्रदत्त भगवान शालिग्राम जी एवं उनके साथ सदा रहने वाला दाहिनावर्ती शंख व एक मुखी रुद्राक्ष जगम्मनपुर किला में विराजमान है। प्रतिवर्ष अश्विन (क्वांर) मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी को भगवान शालिग्राम जी आम दर्शनार्थ जगम्मनपुर किला के मंदिर से निकलकर नगर भ्रमण के उपरांत बाजार स्थित भगवान लक्ष्मी नारायण के रहस चबूतरा पर विराजमान होते हैं। इस वर्ष यह पर्व 8 अक्टूबर को शाम 6:30 बजे से प्रारंभ होगा। जगम्मनपुर राज बंशज राजा सुकृत शाह व कुलीन क्षत्रियों एवं क्षेत्रीय लोगों के कन्धो पर सिंहासनारूढ विराजमान भगवान शालिग्राम जी नगर भ्रमण करते हुए शाम 8:30 बजे अपने गंतव्य बाजार स्थित लक्ष्मीनारायण रहस चबूतरा पर विराजमान हो जाएंगे । इस अवसर पर क्षेत्रीय व स्थानीय ग्रामीण भगवान का भजन कीर्तन कर रात्रि जागरण करेंगे । भगवान के दर्शनों का यह सिलसिला देर रात तक चलता रहता है। तदोपरांत दूसरे दिन सुबह लगभग 3:00 बजे ब्रह्म मुहूर्त में पुनः भगवान शालिग्राम जी राज वंशजों के कंधों पर आरूढ़ हो वापस जगम्मनपुर किला पहुंच कर मंदिर में विराजमान हो जाते हैं । लगभग 450 वर्ष से चल रही इस परंपरा में भले ही देशी रियासत युग की भव्यता न रही हो लेकिन वर्तमान राजवंशज सुकृत शाह एवं जगम्मनपुर गांव के तथा क्षेत्र के ग्रामीण लोग आज भी बड़ी श्रद्धा और उत्साह के साथ इस परंपरा का निर्वाहन करके इस धार्मिक आयोजन में हिस्सा लेते हैं।

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Journalist Anil Prabhakar

Editor UPVIRAL24 NEWS