प्रधानमंत्री मोदी ने नई दिल्ली के प्रगति मैदान में 90वीं इंटरपोल महासभा को संबोधित किया

प्रधानमंत्री मोदी ने नई दिल्ली के प्रगति मैदान में 90वीं इंटरपोल महासभा को संबोधित किया

"स्थानीय हितों के लिए वैश्विक सहयोग का हमारा आह्वान"

"कानून का कार्यान्वयन जो हमारे पास नहीं है उसे पाने, जो हमारे पास है उसकी रक्षा करने, जिसे हमने संरक्षित किया है उसकी संरक्षा बढ़ाने और इसे सबसे जरूरतमंद लोगों तक पहुंचाने में हमारी मदद करता है"

"हमारे पुलिस बल न केवल लोगों की रक्षा करते हैं, बल्कि हमारे लोकतंत्र की भी सेवा करते हैं"

“जब खतरे वैश्विक हों, तो प्रतिक्रिया सिर्फ स्थानीय स्तर पर नहीं हो सकती! अब समय आ गया है कि दुनिया इन खतरों को हराने के लिए एक साथ आए"

"इनके सुरक्षित ठिकानों को खत्म करने के लिए वैश्विक समुदाय को और भी तेज गति से काम करने की आवश्यकता है"

"अपराध, भ्रष्टाचार और आतंकवाद को हराने में संचार, समन्वय और सहयोग का इस्तेमाल करें"

प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने दिल्ली के प्रगति मैदान में 90वीं इंटरपोल महासभा को संबोधित किया।


सभा को संबोधित करते हुए, प्रधानमंत्री ने नई दिल्ली में 90वीं इंटरपोल महासभा के अवसर पर सभी गणमान्य व्यक्तियों का गर्मजोशी से स्वागत किया। प्रधानमंत्री ने इस बात पर प्रकाश डाला कि भारत अपनी स्वतंत्रता के 75वें वर्ष का उत्सव मना रहा है, जो लोगों और संस्कृतियों का उत्सव है। प्रधानमंत्री ने यह भी बताया कि इंटरपोल वर्ष 2023 में अपनी स्थापना के 100वें वर्ष का उत्सव मनाएगा। उन्होंने कहा कि यह पूर्व-निरीक्षण के साथ-साथ भविष्य का फैसला करने का समय है। श्री मोदी ने कहा कि यह खुशी मनाने और चिंतन करने, असफलताओं से सीखने और भविष्य की ओर आशा के साथ देखने का सही समय है।


प्रधानमंत्री ने भारतीय संस्कृति के साथ इंटरपोल के दर्शन के संबंध पर प्रकाश डाला और इंटरपोल के 'एक सुरक्षित दुनिया के साथ पुलिस को जोड़ने' के आदर्श वाक्य के बीच समानता के बारे में बताया, जिसमें वेदों के उद्धरण "आनो भद्रा क्रतवो यन्तु विश्वतः" यानी सभी दिशाओं से महान विचारों को आने दें। श्री मोदी ने विस्तार से बताया कि यह दुनिया को एक बेहतर जगह बनाने के लिए सार्वभौमिक सहयोग का आह्वान है। भारत के अद्वितीय वैश्विक दर्शन के बारे में बताते हुए, प्रधानमंत्री ने इस बात पर प्रकाश डाला कि संयुक्त राष्ट्र शांति अभियानों में बहादुर पुरुषों और महिलाओं को भेजने में भारत शीर्ष योगदानकर्ताओं में से एक है। श्री मोदी ने कहा, "हमने भारत को आजादी मिलने से पहले ही दुनिया को एक बेहतर जगह बनाने के लिए बलिदान दिया था।" उन्होंने कहा कि विश्वयुद्धों में हजारों भारतीयों ने अपने प्राणों की आहुति दी है। कोविड टीकों और जलवायु संबंधी लक्ष्यों के बारे में प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत ने किसी भी तरह के संकट में नेतृत्व करने की इच्छा दिखाई है। श्री मोदी ने कहा, “ऐसे समय में जब राष्ट्र और समाज अंतर्मुखी हो रहे हैं, भारत और भी अधिक अंतर्राष्ट्रीय सहयोग का आह्वान करता है। स्थानीय हितों के लिए वैश्विक सहयोग का हमारा आह्वान है।”


प्रधानमंत्री ने यह भी कहा कि दुनिया भर में पुलिस बल न केवल लोगों की रक्षा कर रहे हैं, बल्कि सामाजिक कल्याण को आगे बढ़ा रहे हैं। श्री मोदी ने कहा, "वे किसी भी संकट की स्थिति में समाज की प्रतिक्रिया की अग्रिम पंक्ति में हैं।” प्रधानमंत्री ने कोविड संकट का उदाहरण देते हुए कहा कि पुलिस कर्मियों ने लोगों की मदद करने के लिए अपनी जान जोखिम में डाल दी। उन्होंने कहा, "उनमें से कई ने लोगों की सेवा में सर्वोच्च बलिदान भी दिया।”


प्रधानमंत्री ने भारत की भौगोलिक व सांस्कृतिक विविधता के साथ-साथ इसके आकार और भारत की विशालता के बारे में बताया। उन्होंने कहा, "भारतीय पुलिस संघीय और राज्य स्तर पर, 900 से अधिक राष्ट्रीय और राज्य के लगभग दस हजार कानूनों को लागू करने के लिए सहयोग करें।" उन्होंने कहा, “हमारे पुलिस बल संविधान द्वारा किए गए वादे के अनुसार लोगों की विविधता और अधिकारों का सम्मान करते हुए काम करते हैं। वे न केवल लोगों की रक्षा करते हैं बल्कि हमारे लोकतंत्र की भी सेवा करते हैं।” इंटरपोल की उपलब्धियों के बारे में चर्चा करते हुए, प्रधानमंत्री ने कहा कि इंटरपोल ने पिछले 99 वर्षों में 195 देशों में विश्व स्तर पर पुलिस संगठनों को जोड़ा है, और इस गौरवशाली आयोजन को यादगार बनाने के लिए, भारत सरकार एक स्मारक टिकट और सिक्का जारी कर रही है।


प्रधानमंत्री ने आतंकवाद, भ्रष्टाचार, मादक पदार्थों की तस्करी, अवैध शिकार और संगठित अपराध जैसे कई उभरते हानिकारक वैश्वीकृत खतरों के बारे में याद दिलाया। उन्होंने कहा, “इन खतरों के परिवर्तन की गति पहले की तुलना में तेज है। जब खतरे वैश्विक हों, तो प्रतिक्रिया सिर्फ स्थानीय स्तर पर नहीं हो सकती! समय आ गया है कि दुनिया इन खतरों को हराने के लिए एक साथ आए।"


अंतर्राष्ट्रीय आतंकवाद की बुराइयों पर प्रकाश डालते हुए, प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत कई दशकों से इसका मुकाबला कर रहा है, इससे भी पहले कि जब दुनिया ने इसकी पहचान की। श्री मोदी ने कहा, “हम सुरक्षा और संरक्षा की कीमत जानते हैं। हमारे हजारों लोगों ने इस लड़ाई में सर्वोच्च बलिदान दिया।” प्रधानमंत्री ने विस्तार से बताया कि आतंकवाद अब केवल भौतिक रूप में नहीं लड़ा जाता है, बल्कि ऑनलाइन कट्टरता और साइबर खतरों के माध्यम से तेजी से फैल रहा है। प्रधानमंत्री ने बताया कि एक हमले को अंजाम दिया जा सकता है अथवा सिस्टम को केवल एक बटन के क्लिक से ध्वस्त किया जा सकता है। अंतर्राष्ट्रीय रणनीतियों को और विकसित करने की आवश्यकता को दोहराते हुए, प्रधानमंत्री ने कहा, “प्रत्येक राष्ट्र उनके खिलाफ रणनीतियों पर काम कर रहा है। लेकिन हम अपनी सीमाओं के भीतर जो करते हैं, वह अब काफी नहीं है।” उन्होंने सुझाव दिया कि शीघ्र पता लगाने और चेतावनी प्रणाली की स्थापना, परिवहन सेवाओं की सुरक्षा, संचार के बुनियादी ढांचे की सुरक्षा, महत्वपूर्ण बुनियादी ढांचे की सुरक्षा, तकनीकी और प्रौद्योगिकीय सहायता, खुफिया सूचनाओं का आदान-प्रदान, और विभिन्न अन्य चीजों को एक नए स्तर पर ले जाया जाए।


प्रधानमंत्री ने भ्रष्टाचार के खतरों के बारे में विस्तार से बताया। उन्होंने कहा कि भ्रष्टाचार और वित्तीय अपराधों ने कई देशों के नागरिकों के कल्याण को नुकसान पहुंचाया है। श्री मोदी ने कहा, "भ्रष्ट लोग दुनिया के विभिन्न हिस्सों में अपराध की आय को रखने का एक तरीका ढूंढ लेते हैं। यह पैसा उस देश के नागरिकों का है, जहां से उन्हें लिया गया है।” अक्सर, यह दुनिया के कुछ सबसे गरीब लोगों से लिया गया है। इसके अलावा, पैसा कई हानिकारक कामों में लगाया जाता है।


प्रधानमंत्री ने इस बात पर जोर दिया कि उनके सुरक्षित ठिकानों को खत्म करने के लिए वैश्विक समुदाय को और भी तेजी से काम करने की आवश्यकता है। उन्होंने कहा, “भ्रष्ट, आतंकवादियों, ड्रग कार्टेल, अवैध शिकार करने वाले गिरोहों या संगठित अपराध के लिए कोई सुरक्षित ठिकाना नहीं हो। एक ही स्थान पर लोगों के खिलाफ इस तरह के अपराध सभी के खिलाफ अपराध हैं, मानवता के खिलाफ अपराध हैं।” प्रधानमंत्री ने यह भी कहा, "पुलिस और कानून का अमल कराने वाली एजेंसियों को सहयोग बढ़ाने के लिए प्रक्रियाओं और प्रोटोकॉल तैयार करने की आवश्यकता है। भगोड़े अपराधियों के लिए रेड कॉर्नर नोटिस तेज करके इंटरपोल मदद कर सकता है। प्रधानमंत्री ने कहा, "एक सुरक्षित और संरक्षित दुनिया हमारी साझा जिम्मेदारी है। जब अच्छी ताकतें सहयोग करती हैं, तो अपराध की ताकतें काम नहीं कर सकतीं।”


प्रधानमंत्री ने सभी गणमान्य व्यक्तियों से अपील करते हुए कहा कि वे नई दिल्ली में राष्ट्रीय पुलिस स्मारक एवं राष्ट्रीय युद्ध स्मारक का दौरा करने पर विचार करें और भारत को सुरक्षित रखने के लिए अपने प्राणों की आहुति देने वाले वीरों को श्रद्धांजलि दें। प्रधानमंत्री ने आशा व्यक्त करते हुए कहा कि 90वीं इंटरपोल महासभा अपराध, भ्रष्टाचार और आतंकवाद से निपटने के लिए एक प्रभावी और सफल मंच साबित होगी। प्रधानमंत्री ने अंत में कहा, "अपराध, भ्रष्टाचार और आतंकवाद को हराने में संचार, समन्वय और सहयोग का इस्तेमाल करें।”


कार्यक्रम स्थल पर पहुंचने पर, प्रधानमंत्री को इंटरपोल अध्यक्ष द्वारा कार्यकारी समिति से मिलवाया गया। इसके बाद प्रधानमंत्री ने एक सामूहिक तस्वीर खिंचवाई और इंटरपोल के शताब्दी स्टैंड का अवलोकन किया। इसके बाद प्रधानमंत्री ने रिबन काटकर और राष्ट्रीय पुलिस विरासत प्रदर्शन का उद्घाटन किया और वहां का भ्रमण भी किया।


मंच पर पहुंचने पर, प्रधानमंत्री ने एंट्रेंस ऑफ द कलर्स- आईटीबीपी दल द्वारा एक मार्च पास्ट का निरीक्षण किया। इसके बाद भारत का राष्ट्रगान और इंटरपोल गान संपन्न हुआ। प्रधानमंत्री को इंटरपोल के अध्यक्ष ने बोन्साई का पौधा भेंट किया। इसके बाद, प्रधानमंत्री ने 90वीं इंटरपोल महासभा के आयोजन को यादगार बनाने के लिए एक स्मारक डाक टिकट और 100 रुपये का सिक्का जारी किया।


इस अवसर पर केंद्रीय गृह मंत्री श्री अमित शाह, इंटरपोल के अध्यक्ष श्री अहमद नासेर अल रईस, इंटरपोल के महासचिव श्री जर्गन स्टॉक और सीबीआई निदेशक श्री सुबोध कुमार जायसवाल उपस्थित थे।


पृष्ठभूमि


इंटरपोल की 90वीं महासभा 18 से 21 अक्टूबर तक आयोजित की जा रही है। बैठक में 195 इंटरपोल सदस्य देशों के प्रतिनिधिमंडल शामिल हो रहे हैं जिनमें देशों के मंत्री, पुलिस प्रमुख, राष्ट्रीय केंद्रीय ब्यूरो के प्रमुख और वरिष्ठ पुलिस अधिकारी शामिल हैं। महासभा इंटरपोल की सर्वोच्च नियंत्रक संगठन है और इसके कामकाज से संबंधित महत्वपूर्ण निर्णय लेने के लिए वर्ष में एक बार बैठक करती है।


लगभग 25 वर्षों के अंतराल के बाद भारत में इंटरपोल महासभा की बैठक हो रही है- यह पिछली बार 1997 में हुई थी। भारत की स्वतंत्रता के 75वें वर्ष के समारोह के साथ नई दिल्ली में 2022 में इंटरपोल महासभा की मेजबानी करने के भारत के प्रस्ताव को महासभा द्वारा जबर्दस्त बहुमत से स्वीकार कर लिया गया था। यह आयोजन पूरी दुनिया को भारत की कानून-व्यवस्था की प्रणाली के सर्वोत्तम तौर-तरीकों को प्रदर्शित करने का अवसर प्रदान करता है।

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Journalist Anil Prabhakar

Editor UPVIRAL24 NEWS