जालौन : हर हाल में 31 अगस्त तक गठित हो आतंरिक शिकायत समिति

हर हाल में 31 अगस्त तक गठित हो आतंरिक शिकायत समिति     महिला उत्पीड़न रोकने के लिए कार्यालयों में महिला उत्प़ीड़न समिति का गठन करना अनिवार्य    जालौन : कार्यस्थल पर महिलाओं का लैंगिक उत्पीड़न रोकने को आंतरिक शिकायत समिति का गठन करना ऐसे हर विभाग को अनिवार्य है, जहां पर दस से अधिक कर्मचारी तैनात है। महिला कल्याण विभाग के निदेशक मनोज कुमार राय ने वीडियो कांफ्रेसिंग के माध्यम से सभी जिला प्रोबेशन अधिकारियों को निर्देशित किया कि वह अपने अपने जिलों मे सभी कार्यालयों में आतंरिक शिकायत निवारण समिति का गठन कराए। उन्होंने इसके लिए 31 अगस्त तक की मोहलत दी गई है। 10 से अधिक कर्मचारियों वाले संगठनों/कार्यालयों में समिति न गठित होने पर नियोजक पर 50 हजार रुपये का जुर्माना लग सकता है।    जिला प्रोबेशन अधिकारी डा. अमरेंद्र कुमार पौत्स्यायन ने बताया कि कार्यस्थल पर महिलाओं का लैंगिक उत्पीड़न(निवारण प्रतिशेध और प्रतितोष) अधिनियम 2013 की धारा-4 के अंतर्गत ऐसे सभी संगठन या संस्थान जिनमें 10 से अधिक कर्मचारी हैं, वह आंतरिक शिकायत समिति गठित करने के लिए बाध्य हैं। इसका उद्देश्य महिलाओं को लैंगिक उत्पीड़न सम्बन्धी मामलों में त्वरित और समुचित न्याय दिलाना है। पीड़ित महिला कार्यस्थल पर लैंगिक उत्पीड़न से सम्बन्धित शिकायत आन्तरिक परिवाद समिति में दर्ज करा सकती है। समिति का गठन कार्यस्थल पर वरिष्ठ स्तर पर नियोजित महिला की अध्यक्षता में होगा, जिसमें दो सदस्य सम्बन्धित कार्यालय से एवं एक सदस्य गैर सरकारी संगठन से नियोजक द्वारा नामित किये जायेंगे। समिति के कुल सदस्यों में से आधी सदस्य महिलाएं होंगी। ऐसे कार्यस्थल जहां कार्मिकों की संख्या 10 से कम है, वहां की पीड़िता द्वारा लैंगिक उत्पीड़न की शिकायत प्रत्येक जनपद में जिलाधिकारी द्वारा गठित ‘स्थानीय समिति’ (लोकल कमेटी) में दर्ज करायी जा सकती है। यदि कोई नियोजक कार्यस्थल में नियमानुसार आन्तरिक समिति का गठन न किये जाने पर दोषी ठहराया जाता है, तो नियोजक पर 50 हजार रुपए तक का अर्थदण्ड लगाया जा सकता है।     उन्होंने बताया कि यदि किसी कार्यालय में दस कर्मचारी है और सभी पुरुष है तो ऐसे कार्यालय में भी आतंरिक शिकायत निवारण समिति का गठन करना अनिवार्य है। इसके लिए सामाजिक संगठन की महिला को समिति में रखा जा सकता है। उन्होंने बताया कि जिले में करीब 71 विभाग है। जिसमें 31 विभागों में आतंरिक शिकायत समिति का गठन हो चुका है।    घटना के 90 दिनों के भीतर की जा सकती है शिकायत :     अधिनियम के तहत लैंगिक उत्पीड़न की शिकायत घटना के 90 दिनों के भीतर आंतरिक शिकायत समिति या स्थानीय शिकायत समिति में दर्ज करानी चाहिए। शिकायत लिखित रूप में की जानी चाहिए। यदि किसी कारणवश पीड़िता लिखित रूप में शिकायत करने में सक्षम नहीं है तो समिति के सदस्यों को उनकी मदद करनी चाहिए। यदि शिकायत नियोजक के विरूद्ध है तो वह भी स्थानीय समिति में दर्ज कराई जायेगी। अधिनियम के अनुसार पीड़िता की पहचान गोपनीय रखी जाना अनिवार्य है।

हर हाल में 31 अगस्त तक गठित हो आतंरिक शिकायत समिति 


महिला उत्पीड़न रोकने के लिए कार्यालयों में महिला उत्प़ीड़न समिति का गठन करना अनिवार्य


जालौन : कार्यस्थल पर महिलाओं का लैंगिक उत्पीड़न रोकने को आंतरिक शिकायत समिति का गठन करना ऐसे हर विभाग को अनिवार्य है, जहां पर दस से अधिक कर्मचारी तैनात है। महिला कल्याण विभाग के निदेशक मनोज कुमार राय ने वीडियो कांफ्रेसिंग के माध्यम से सभी जिला प्रोबेशन अधिकारियों को निर्देशित किया कि वह अपने अपने जिलों मे सभी कार्यालयों में आतंरिक शिकायत निवारण समिति का गठन कराए। उन्होंने इसके लिए 31 अगस्त तक की मोहलत दी गई है। 10 से अधिक कर्मचारियों वाले संगठनों/कार्यालयों में समिति न गठित होने पर नियोजक पर 50 हजार रुपये का जुर्माना लग सकता है।


जिला प्रोबेशन अधिकारी डा. अमरेंद्र कुमार पौत्स्यायन ने बताया कि कार्यस्थल पर महिलाओं का लैंगिक उत्पीड़न(निवारण प्रतिशेध और प्रतितोष) अधिनियम 2013 की धारा-4 के अंतर्गत ऐसे सभी संगठन या संस्थान जिनमें 10 से अधिक कर्मचारी हैं, वह आंतरिक शिकायत समिति गठित करने के लिए बाध्य हैं। इसका उद्देश्य महिलाओं को लैंगिक उत्पीड़न सम्बन्धी मामलों में त्वरित और समुचित न्याय दिलाना है। पीड़ित महिला कार्यस्थल पर लैंगिक उत्पीड़न से सम्बन्धित शिकायत आन्तरिक परिवाद समिति में दर्ज करा सकती है। समिति का गठन कार्यस्थल पर वरिष्ठ स्तर पर नियोजित महिला की अध्यक्षता में होगा, जिसमें दो सदस्य सम्बन्धित कार्यालय से एवं एक सदस्य गैर सरकारी संगठन से नियोजक द्वारा नामित किये जायेंगे। समिति के कुल सदस्यों में से आधी सदस्य महिलाएं होंगी। ऐसे कार्यस्थल जहां कार्मिकों की संख्या 10 से कम है, वहां की पीड़िता द्वारा लैंगिक उत्पीड़न की शिकायत प्रत्येक जनपद में जिलाधिकारी द्वारा गठित ‘स्थानीय समिति’ (लोकल कमेटी) में दर्ज करायी जा सकती है। यदि कोई नियोजक कार्यस्थल में नियमानुसार आन्तरिक समिति का गठन न किये जाने पर दोषी ठहराया जाता है, तो नियोजक पर 50 हजार रुपए तक का अर्थदण्ड लगाया जा सकता है। 


उन्होंने बताया कि यदि किसी कार्यालय में दस कर्मचारी है और सभी पुरुष है तो ऐसे कार्यालय में भी आतंरिक शिकायत निवारण समिति का गठन करना अनिवार्य है। इसके लिए सामाजिक संगठन की महिला को समिति में रखा जा सकता है। उन्होंने बताया कि जिले में करीब 71 विभाग है। जिसमें 31 विभागों में आतंरिक शिकायत समिति का गठन हो चुका है।


घटना के 90 दिनों के भीतर की जा सकती है शिकायत : 


अधिनियम के तहत लैंगिक उत्पीड़न की शिकायत घटना के 90 दिनों के भीतर आंतरिक शिकायत समिति या स्थानीय शिकायत समिति में दर्ज करानी चाहिए। शिकायत लिखित रूप में की जानी चाहिए। यदि किसी कारणवश पीड़िता लिखित रूप में शिकायत करने में सक्षम नहीं है तो समिति के सदस्यों को उनकी मदद करनी चाहिए। यदि शिकायत नियोजक के विरूद्ध है तो वह भी स्थानीय समिति में दर्ज कराई जायेगी। अधिनियम के अनुसार पीड़िता की पहचान गोपनीय रखी जाना अनिवार्य है।

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Journalist Anil Prabhakar

Editor UPVIRAL24 NEWS