जालौन : क्षय रोगियों का इलाज हुआ अब और आसान

क्षय रोगियों का इलाज हुआ अब और आसान   राजकीय मेडिकल कालेज में बना नोडल डीआर टीबी सेंटर, जल्द मिलेगा इलाज    जालौन : क्षय रोगियों को अब इलाज के लिए झांसी जाने की जरूरत नहीं होगी। उरई मुख्यालय केराजकीय मेडिकल कालेज में नोडल डीआर (ड्रग रेजिस्टेंट)टीबी सेंटर बनाया गया है। इसकी व्यवस्थाओं को अंतिम रूप दिया जा रहा है। यहाँ जल्द ही मरीजों को भर्ती होने की सुविधा मिलने लगेगी।  जिला क्षय रोग अधिकारी डा. सुग्रीव बाबू ने बताया कि जिले में क्षय रोगियों को बेहतर इलाज मुहैया कराने के लिए नोडल डीआर टीबी सेंटर बनाया गया है।     इस सेंटर में ऐसेमरीज भर्ती होंगे, जो ड्रग रजिस्टेंट होते हैं। ऐसे मरीज पर टीबी की साधारण दवाएं काम नहीं करती हैं। उनके लिए विशेष टीबी की दवाएं निर्धारित हैं,जिनका डाक्टर की देखरेख में उपचार होता है। उन्होंने बताया कि फिलहाल ऐसे मरीज झांसी मेडिकल कालेज में बने नोडल डीआर टीबी सेंटर में भेजे जाते थे लेकिन जिले के अधिकारियों की पहल पर उरई में भी डीआर टीबी सेंटर खोल दिया गया है। यहां आठ बेड महिला व आठ बेड पुरुष क्षय रोगियों के लिए आरक्षित हैं। यहां मरीज भर्ती होंगे और उनका बेहतर इलाज किया जाएगा।    जिला क्षय रोग अधिकारी ने बताया कि टीबी कई प्रकार की होती है और किसी भी उम्र में हो सकती है। ऐसे में टीबी से बचाव के लिए जरूरी है कि समय से टीबी का इलाज लिया जाए। टीबी का इलाज बीच में छ़ोड़ने या टीबी के इलाज में देरी करने पर टीबी की बीमारी गंभीर रुप ले लेती है। ऐसे मरीजों को ड्रग रजिस्टेंट (डीआर) की श्रेणी में आने की संभावना बढ़ जाती है। ऐसे मरीजों की जांच ट्रूनेट मशीन से की जाती है।     ट्रनेट मशीनें समुदायिक स्वास्थ्य केंद्र माधौगढ़, जालौन, कोंच, नदीगांव के अलावा जिला क्षय रोग नियंत्रण केंद्र में स्थापित हैं। डीआर टीबी श्रेणी वाले मरीज की जांच में पुष्टि होने पर उसे मेडिकल कालेज में बनाए जाने वाले नोडल डीआर टीबी सेंटर में भर्ती कराया जाएगा। उन्होंने बताया कि नोडल डीआर टीबी सेंटर का नोडल अधिकारी राजकीय मेडिकल कालेज के क्षय रोग विभाग के असिस्टेंट प्रोफेसर डा. विशाल अग्रवाल को बनाया गया है। डीआर टीबी सेंटर बनने के बाद झांसी जाने में मरीजों को रास्ते में होने वाली परेशानी से  निजात मिलेगी।    ऐसे पहचानें टीबी के लक्षण  14 दिन से अधिक बुखार या खांसी आए या फिर दोनों आए।  सीने में दर्द हो रहा हो, अगर खांसी के साथ मुंह से खून भी आए।  भूख कम लगे, तेजी से वजन घटे
क्षय रोगियों का इलाज हुआ अब और आसान   राजकीय मेडिकल कालेज में बना नोडल डीआर टीबी सेंटर, जल्द मिलेगा इलाज    जालौन : क्षय रोगियों को अब इलाज के लिए झांसी जाने की जरूरत नहीं होगी। उरई मुख्यालय केराजकीय मेडिकल कालेज में नोडल डीआर (ड्रग रेजिस्टेंट)टीबी सेंटर बनाया गया है। इसकी व्यवस्थाओं को अंतिम रूप दिया जा रहा है। यहाँ जल्द ही मरीजों को भर्ती होने की सुविधा मिलने लगेगी।  जिला क्षय रोग अधिकारी डा. सुग्रीव बाबू ने बताया कि जिले में क्षय रोगियों को बेहतर इलाज मुहैया कराने के लिए नोडल डीआर टीबी सेंटर बनाया गया है।     इस सेंटर में ऐसेमरीज भर्ती होंगे, जो ड्रग रजिस्टेंट होते हैं। ऐसे मरीज पर टीबी की साधारण दवाएं काम नहीं करती हैं। उनके लिए विशेष टीबी की दवाएं निर्धारित हैं,जिनका डाक्टर की देखरेख में उपचार होता है। उन्होंने बताया कि फिलहाल ऐसे मरीज झांसी मेडिकल कालेज में बने नोडल डीआर टीबी सेंटर में भेजे जाते थे लेकिन जिले के अधिकारियों की पहल पर उरई में भी डीआर टीबी सेंटर खोल दिया गया है। यहां आठ बेड महिला व आठ बेड पुरुष क्षय रोगियों के लिए आरक्षित हैं। यहां मरीज भर्ती होंगे और उनका बेहतर इलाज किया जाएगा।    जिला क्षय रोग अधिकारी ने बताया कि टीबी कई प्रकार की होती है और किसी भी उम्र में हो सकती है। ऐसे में टीबी से बचाव के लिए जरूरी है कि समय से टीबी का इलाज लिया जाए। टीबी का इलाज बीच में छ़ोड़ने या टीबी के इलाज में देरी करने पर टीबी की बीमारी गंभीर रुप ले लेती है। ऐसे मरीजों को ड्रग रजिस्टेंट (डीआर) की श्रेणी में आने की संभावना बढ़ जाती है। ऐसे मरीजों की जांच ट्रूनेट मशीन से की जाती है।     ट्रनेट मशीनें समुदायिक स्वास्थ्य केंद्र माधौगढ़, जालौन, कोंच, नदीगांव के अलावा जिला क्षय रोग नियंत्रण केंद्र में स्थापित हैं। डीआर टीबी श्रेणी वाले मरीज की जांच में पुष्टि होने पर उसे मेडिकल कालेज में बनाए जाने वाले नोडल डीआर टीबी सेंटर में भर्ती कराया जाएगा। उन्होंने बताया कि नोडल डीआर टीबी सेंटर का नोडल अधिकारी राजकीय मेडिकल कालेज के क्षय रोग विभाग के असिस्टेंट प्रोफेसर डा. विशाल अग्रवाल को बनाया गया है। डीआर टीबी सेंटर बनने के बाद झांसी जाने में मरीजों को रास्ते में होने वाली परेशानी से  निजात मिलेगी।    ऐसे पहचानें टीबी के लक्षण  14 दिन से अधिक बुखार या खांसी आए या फिर दोनों आए।  सीने में दर्द हो रहा हो, अगर खांसी के साथ मुंह से खून भी आए।  भूख कम लगे, तेजी से वजन घटे

क्षय रोगियों का इलाज हुआ अब और आसान 

राजकीय मेडिकल कालेज में बना नोडल डीआर टीबी सेंटर, जल्द मिलेगा इलाज


जालौन : क्षय रोगियों को अब इलाज के लिए झांसी जाने की जरूरत नहीं होगी। उरई मुख्यालय केराजकीय मेडिकल कालेज में नोडल डीआर (ड्रग रेजिस्टेंट)टीबी सेंटर बनाया गया है। इसकी व्यवस्थाओं को अंतिम रूप दिया जा रहा है। यहाँ जल्द ही मरीजों को भर्ती होने की सुविधा मिलने लगेगी।

जिला क्षय रोग अधिकारी डा. सुग्रीव बाबू ने बताया कि जिले में क्षय रोगियों को बेहतर इलाज मुहैया कराने के लिए नोडल डीआर टीबी सेंटर बनाया गया है। 


इस सेंटर में ऐसेमरीज भर्ती होंगे, जो ड्रग रजिस्टेंट होते हैं। ऐसे मरीज पर टीबी की साधारण दवाएं काम नहीं करती हैं। उनके लिए विशेष टीबी की दवाएं निर्धारित हैं,जिनका डाक्टर की देखरेख में उपचार होता है। उन्होंने बताया कि फिलहाल ऐसे मरीज झांसी मेडिकल कालेज में बने नोडल डीआर टीबी सेंटर में भेजे जाते थे लेकिन जिले के अधिकारियों की पहल पर उरई में भी डीआर टीबी सेंटर खोल दिया गया है। यहां आठ बेड महिला व आठ बेड पुरुष क्षय रोगियों के लिए आरक्षित हैं। यहां मरीज भर्ती होंगे और उनका बेहतर इलाज किया जाएगा।


जिला क्षय रोग अधिकारी ने बताया कि टीबी कई प्रकार की होती है और किसी भी उम्र में हो सकती है। ऐसे में टीबी से बचाव के लिए जरूरी है कि समय से टीबी का इलाज लिया जाए। टीबी का इलाज बीच में छ़ोड़ने या टीबी के इलाज में देरी करने पर टीबी की बीमारी गंभीर रुप ले लेती है। ऐसे मरीजों को ड्रग रजिस्टेंट (डीआर) की श्रेणी में आने की संभावना बढ़ जाती है। ऐसे मरीजों की जांच ट्रूनेट मशीन से की जाती है। 


ट्रनेट मशीनें समुदायिक स्वास्थ्य केंद्र माधौगढ़, जालौन, कोंच, नदीगांव के अलावा जिला क्षय रोग नियंत्रण केंद्र में स्थापित हैं। डीआर टीबी श्रेणी वाले मरीज की जांच में पुष्टि होने पर उसे मेडिकल कालेज में बनाए जाने वाले नोडल डीआर टीबी सेंटर में भर्ती कराया जाएगा। उन्होंने बताया कि नोडल डीआर टीबी सेंटर का नोडल अधिकारी राजकीय मेडिकल कालेज के क्षय रोग विभाग के असिस्टेंट प्रोफेसर डा. विशाल अग्रवाल को बनाया गया है। डीआर टीबी सेंटर बनने के बाद झांसी जाने में मरीजों को रास्ते में होने वाली परेशानी से  निजात मिलेगी।


ऐसे पहचानें टीबी के लक्षण

14 दिन से अधिक बुखार या खांसी आए या फिर दोनों आए।

सीने में दर्द हो रहा हो, अगर खांसी के साथ मुंह से खून भी आए।

भूख कम लगे, तेजी से वजन घटे

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Journalist Anil Prabhakar

Editor UPVIRAL24 NEWS