आजादी का अमृत महोत्सव के हिस्से के रूप में विशाखापत्तनम में जनजातीय गौरव दिवस के तहत 5 दिवसीय राज्य स्तरीय शिल्प मेला शुरू

आजादी का अमृत महोत्सव के हिस्से के रूप में विशाखापत्तनम में जनजातीय गौरव दिवस के तहत 5 दिवसीय राज्य स्तरीय शिल्प मेला शुरू

मुख्य विशेषताएं :

राज्य स्तरीय शिल्प मेला (प्रदर्शनी सह बिक्री) 15 नवम्‍बर से 19 नवम्‍बर, 2021 तक निर्धारित है

बिरसा मुंडा जयंती के उपलक्ष्य में आश्रम के विद्यालयों एवं आवासीय विद्यालयों में प्रश्नोत्तरी प्रतियोगिता, कला एवं चित्रकला प्रतियोगिता का भी आयोजन किया जा रहा है

प्रधानमंत्री की अध्यक्षता में केन्‍द्रीय मंत्रिमंडल ने 15 नवम्‍बर को जनजातीय गौरव दिवस (आदिवासी गौरव दिवस) के रूप में घोषित किया, जो आदिवासियों की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत के उत्सव का प्रतीक होगा और स्वतंत्रता संग्राम में उनकी भूमिका को भी याद रखेगा। जनजातीय कार्य मंत्रालय 15 नवम्‍बर से शुरू हो रहे जनजातीय गौरव सप्ताह के दौरान विभिन्न पहल भी करेगा।

इस संदर्भ में, जनजातीय सांस्कृतिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण मिशन, आदिवासी कल्‍याण विभाग, आंध्र प्रदेश सरकार ने आईटीडीए, जीसीसी, ट्राईफेड, जनजातीय हस्तशिल्प समितियों आदि के सहयोग से विशाखापत्तनम में एक राज्य स्तरीय जनजातीय शिल्प मेला सह बिक्री का आयोजन किया है। पहला जनजातीय गौरव दिवस आंध्र प्रदेश राज्य में आदिवासी समुदायों की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत को याद करने के लिए भगवान बिरसा मुंडा की 146वीं जयंती पर आयोजित किया गया था। यह कार्यक्रम केन्‍द्रीय जनजातीय कार्य मंत्रालय द्वारा समर्थित था।

आर.के. बीच ग्राउंड, विश्वप्रिया फंक्शन हॉल के सामने, आर.के. बीच,  विशाखापत्तनम में 5 दिवसीय राज्य स्तरीय शिल्प मेला (प्रदर्शनी सह बिक्री) 15 नवम्‍बर से 19 नवम्‍बर, 2021 तक आयोजित किया जा रहा है।

मुख्य अतिथि आंध्र प्रदेश के आदिवासी कल्याण विभाग के निदेशक श्री पी. रंजीत बाशा (आईएएस) ने कहा कि आंध्र प्रदेश राज्य में आदिवासी हस्तशिल्प और शिल्पकार के कौशल की एक समृद्ध विरासत है, जो पारंपरिक और विशिष्ट हैं और आमतौर पर एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी तक चली जाती हैं। उन्होंने कहा कि ये हस्तशिल्प शिल्पकारों के लिए आजीविका का साधन बन गए हैं। उन्होंने कहा कि पारंपरिक जनजातीय हस्तशिल्प को बनाए रखने में आदिवासी हस्तशिल्प को बढ़ावा देने के लिए विभिन्न रणनीतियों के माध्यम से पता लगाना अनिवार्य है और यह आदिवासी शिल्प मेला उस दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।

इस मेले में आदिवासी हस्‍तशिल्‍पों की निम्‍नलिखित श्रेणियों को शामिल किया गया है:

बांस के उत्पाद, जैसे - सजावटी सामान और फर्नीचर आइटम

ताड़ के पत्तों से बने सजावटी सामान

जनजातीय खाद्य संबंधित उत्पाद, जैसे - बाजरा युक्त बिस्कुट, काजू सिरप, सभी प्रकार के बाजरे

जूट उत्पाद, जैसे - सजावटी, गैग आदि

हिल ब्रूम की विभिन्न किस्में

कपड़े से संबंधित उत्पाद

लाख के उत्पाद

टेराकोटा उत्पाद

लकड़ी टर्निंग उत्पाद

गढ़ा लौह उत्पाद

इन्‍सेंटिव स्‍टि‍क - अगरबती

रेशम के उत्पाद आदि

सभी श्रेणियों के आदिवासी हस्तशिल्पों को विशेष रूप से सावरा, कोंडा रेड्डी और कोंडा डोरा, नुका डोरा, कोया, जटापू, कोंडा कम्मारा, गौड़ा, वाल्मीकि, भगतहा, कोटिया आदि जैसे कमजोर समुदायों के आदिवासी समूहों सहित विभिन्न आदिवासी समुदायों से एकत्र किया गया है।

प्रदर्शनी मोड में कुल 25 स्टाल हैं और इसमें बांस के उत्पाद, जनजातीय उत्पाद सहित हल्दी, बाजरा जैसे कृषि उत्पाद, जीसीसी, ट्राइफेड और पडेरू एजेंसी से कॉफी के लिए एक स्टाल शामिल हैं।

मेले में प्रतिदिन जनजातीय सांस्कृतिक कार्यक्रम होंगे, जिनमें दिमसा के आदिवासी नृत्य, कोम्मू नृत्य, सावरा-अंडेला रावली नृत्य, चेंचू नृत्य, मयूरा नृत्य, मयूरा आदि शामिल हैं।

आंध्र प्रदेश राज्य में बिरसा मुंडा जयंती के हिस्से के रूप में आश्रम स्कूलों और आवासीय विद्यालयों में प्रश्नोत्तरी प्रतियोगिताओं के अलावा, कला और चित्रकला प्रतियोगिताएं भी आयोजित की जा रही हैं।

“जनजाति गौरव दिवस” के एक हिस्‍से के रूप में प्रधानमंत्री द्वारा वर्चुअल तौर पर 50 एकलव्य मॉडल आवासीय विद्यालयों की आधारशिला रखी गई थी, जिनमें से तीन आंध्र प्रदेश यानी पेदाबयालु, जी. मोदुगुला और अराकू घाटी में स्थित हैं।

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Journalist Anil Prabhakar

Editor UPVIRAL24 NEWS