उपराष्ट्रपति ने उच्च शिक्षा में बहुविषयकता का आह्वान किया


उपराष्ट्रपति ने उच्च शिक्षा में बहुविषयकता का आह्वान किया

एसटीईएम पाठ्यक्रमों में उदार कला पाठ्यक्रमों को एकीकृत करने के महत्व पर जोर दिया

बच्चों में कला और साहित्य के प्रति जिज्ञासा जागृत करें; स्कूलों में भाषा और सामाजिक विज्ञान की अनदेखी नहीं कर सकते : उपराष्ट्रपति

मानविकी के छात्रों को प्रौद्योगिकीय बदलावों से अवगत रहना चाहिए

श्री नायडू ने शिक्षा और प्रशासन के सभी स्तरों पर भारतीय भाषाओं के प्रयोग को बढ़ाने का आह्वान किया

उपराष्ट्रपति ने हिंदी सहित अधिक-से-अधिक भारतीय भाषाओं को सीखने पर जोर दिया
उपराष्ट्रपति ने संसद और राज्य विधायी सदनों में बहस के स्‍तर में गिरावट पर चिंता व्यक्त की
उपराष्ट्रपति ने केआरईए विश्वविद्यालय में मानविकी में उन्नत अध्ययन केन्‍द्र का वर्चुअल रूप से उद्घाटन किया

उपराष्ट्रपति श्री एम. वेंकैया नायडू ने आज विश्वविद्यालयों से अच्छी तरह से विकसित व्यक्तियों को तैयार करने और हमारे जनसांख्यिकीय लाभांश की पूरी क्षमता का एहसास करने के लिए उच्च शिक्षा में बहु-विषयकता बढ़ाने का आह्वान किया। उन्होंने कहा कि आने वाले वर्षों में कई कैरियर प्रक्षेपवक्रों के लिए कर्मचारियों को विविध क्षेत्रों में व्यापक ज्ञान की आवश्यकता होगी।

इस संबंध में श्री नायडू ने उदार कलाओं के पुनरुद्धार और एसटीईएम (विज्ञान, प्रौद्योगिकी, इंजीनियरिंग और गणित) पाठ्यक्रमों के साथ उन्‍हें जोड़ने का आह्वान किया। उन्होंने कहा कि विभिन्न आकलनों से पता चला है कि कला और सामाजिक विज्ञान के संपर्क से छात्रों में रचनात्मकता, बेहतर आलोचनात्मक सोच, उच्च सामाजिक और नैतिक जागरूकता तथा बेहतर टीम वर्क के साथ-साथ और संवाद कौशल में वृद्धि होती है। उन्‍होंने कहा कि 21वी21वी सदी की अर्थव्‍यवस्‍था में, जहां अर्थव्‍यवस्‍था का कोई भी क्षेत्र अकेले काम नहीं कर सकता, ऐसे गुणों की अत्‍यधिक मांग है। श्री नायडू ने मानविकी की पृष्ठभूमि के छात्रों को नवीनतम प्रौद्योगिकीय बदलावों से अवगत होने के महत्व को भी रेखांकित किया, ताकि वे अपने शोध अध्ययनों में इन प्रगतियों को लागू कर सकें।

केआरईए विश्वविद्यालय में मानविकी के उन्नत अध्ययन के लिए मोटूरी सत्यनारायण केन्‍द्र के वर्चुअल रूप से उद्घाटन के दौरान श्री नायडू ने इस बात पर प्रकाश डाला कि भारत में प्राचीन काल से समग्र शिक्षा की एक ‘परंपरा’ थी। उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 ऐसी समग्र शिक्षा के महत्व को पहचानती है और विषयों के बीच ‘कठोर और कृत्रिम बाधाओं’ को तोड़ने का प्रयास करती है।

उपराष्ट्रपति ने आईआईटी बॉम्बे जैसे कॉलेजों के प्रयासों की सराहना की, जिसने हाल ही में एक अंतर्विषयी स्नातक पाठ्यक्रम शुरू किया है, जिसमें एक पाठ्यक्रम में लिबरल आर्ट्स , विज्ञान और इंजीनियरिंग शामिल हैं। उन्होंने सुझाव दिया कि अन्य संस्थानों को भी बहु-विषयक पाठ्यक्रमों की पेशकश करने के लिए आगे आना चाहिए।

श्री नायडू ने स्कूलों में रटकर सीखने की प्रथाओं पर चिंता व्यक्त करते हुए अभिभावकों से अपील की कि वे छोटी उम्र से ही बच्चों में कला और साहित्य के प्रति जिज्ञासा पैदा करें। श्री नायडू ने कहा, ‘‘विज्ञान और इंजीनियरिंग के शीर्ष राष्ट्रीय संस्थानों में जगह बनाने की दौड़ में, हम भाषाओं और सामाजिक विज्ञान जैसे स्कूलों में आवश्यक विषयों की अनदेखी कर रहे हैं।’’

श्री नायडू ने नए केन्‍द्र की स्थापना के लिए केआरईए विश्वविद्यालय के कर्मचारियों और प्रशासन एवं श्री मोटूरी सत्यनारायण के परिवार की सराहना की। उन्होंने अच्छे परिवारों से उच्च शिक्षा में इसी तरह की पहल शुरू करने के लिए आगे आने और सरकार का साथ देने की अपील की।

उन्होंने सुझाव दिया कि ऐसे केन्‍द्रों को विविध आवाजों को प्रोत्साहित करके सामाजिक विज्ञान में नवीन अनुसंधान को प्रोत्साहित करना चाहिए। उन्होंने यह भी सुझाव दिया कि सामाजिक विज्ञान के विद्वानों को सामाजिक मुद्दों की बेहतर समझ प्राप्त करने के लिए चिकित्सकों और नीति निर्माताओं के साथ मिलकर काम करना चाहिए।

इस अवसर पर उपराष्ट्रपति ने स्वतंत्रता सेनानी और सांसद श्री मोटूरी सत्यनारायण को भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित की। भारतीय भाषाओं, विशेष रूप से हिंदी के एक उन्‍नायक के रूप में उनके योगदान को याद करते हुए, श्री नायडू ने शिक्षा और प्रशासन के सभी स्तरों पर भारतीय भाषाओं को उचित महत्व देने का आह्वान किया। उन्होंने कहा, ‘‘भाषा हमें पहचान, स्वाभिमान देती है और हमें वह बनाती है जो हम हैं। हमें अपनी मातृभाषा में बोलने में गर्व महसूस करना चाहिए’’।

श्री नायडू ने कहा कि अपनी मातृभाषा में कुशल होने से बेहतर सीखने और रचनात्मकता को बढ़ावा मिलता है और अन्य भाषाओं को सीखने में आसानी होती है। उन्होंने कहा कि हमें अपनी मातृभाषा में सक्षम होने के साथ-साथ हिंदी सहित अधिक-से-अधिक भाषाएं सीखनी चाहिए।

श्री नायडू ने संसद और राज्य विधायी सदनों में बहस के गिरते स्तर पर भी चिंता व्यक्त की। उन्होंने लोगों से 4 ‘सी’ - चरित्र, आचार, दक्षता और क्षमता के आधार पर अपना प्रतिनिधि चुनने का आह्वान किया। श्री नायडू ने अपील करते हुए कहा, “इसके बजाय, कुछ लोग भारतीय लोकतंत्र को 4 ‘सी’ के एक और सेट - जाति, समुदाय, नकदी और आपराधिकता के साथ कमजोर कर रहे हैं। संसदीय लोकतंत्र की रक्षा के लिए लोगों को अपने प्रतिनिधियों को समझदारी से चुनना चाहिए’’।

केआरईए विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. महेश रंगराजन, कार्यकारी समिति के अध्यक्ष श्री कपिल विश्वनाथन, श्री मोटूरी सत्यनारायण के परिवार के सदस्यों, प्रो. मुकुंद पद्मनाभन, प्रोफेसरों, कर्मचारियों और अन्य लोगों ने इस कार्यक्रम में भाग लिया।

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Journalist Anil Prabhakar

Editor UPVIRAL24 NEWS