जन्मजात गूंगी-बहरी वैष्णवी की किलकारी सुन, फूले नहीं समाते माता पिता, आरबीएसके के अंतर्गत इलाज से वैष्णवी बोलने और सुनने लगी

जन्मजात गूंगी-बहरी वैष्णवी की किलकारी सुन, फूले नहीं समाते माता पिता, आरबीएसके के अंतर्गत इलाज से वैष्णवी बोलने और सुनने लगी

जन्मजात गूंगी बहरी वैष्णवी की किलकारी सुन फूले नहीं समाते माता पिता

आरबीएसके के अंतर्गत इलाज से वैष्णवी बोलने और सुनने लगी

जालौन : राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम (आरबीएसके) के अंतर्गत मासूम वैष्णवी (5) का ऑपरेशन हुआ है अब वह  बोल सकती है| 

आरबीएसके ने उसके माता पिता के चेहरें पर खुशियां लौटा दी है। पांच साल की वैष्णवी जन्म से ही न तो कुछ बोल पाती थी और न ही कुछ सुन पाती थी। जब उसके माता पिता को उसकी इस बीमारी का पता चला तो उनका जीवन तनावपूर्ण हो गया। वह बेटी के इलाज के लिए परेशान हो गए। इस बीच जब आरबीएसके की टीम ने उस मासूम का निशुल्क आपरेशन कराया और वह अब बोलने लगी तो उनके चेहरे पर खुशी के आंसू दिखाई दे रहे हैं।

कोंच ब्लाक के लौना निवासी पेशे के प्लंबर सुशील कुमार उरई शहर के मोहल्ला पटेलनगर में किराये का कमरा लेकर रहते हैं। वे बताते हैं कि उनकी शादी करीब नौ साल पहले  नीतू  से हुई थी। शादी के करीब डेढ़ साल बाद जुड़वा बच्चें हुए।

 बेटा प्रिंस तो ठीकठाक था लेकिन बेटी वैष्णवी जन्म से ही बोल नहीं पाती थी। पहले तो उन्हें लगा कि समय के साथ बोलने लगेगी। लेकिन जब वह तीन साल की हुई और फिर भी नहीं बोली और सुनी तो उन्हें बेचैनी हुई। उन्होंने कई डॉक्टरों से सलाह ली फिर पता चला कि बेटी न तो बोल सकती है और न ही सुन सकती है। उसे जन्मजात बहरापन (डेफनेस) की बीमारी है। कई डाक्टरों को दिखाया तो उन्होंने बीमारी के इलाज में लाखों रुपये का खर्चा बताया। उनके पास इतना पैसा नहीं  था  वह  मंहगा इलाज कराने के लिए । दिल्ली के सफदरगंज स्थित अस्पताल में दिखाने गए तो वहां एक बार की जांच में ही 25 हजार रुपये से ज्यादा खर्च हो जाता था। जबकि वह बमुश्किल घर का खर्च चला पाते थे। ऐसे में दिक्कत बढ़ने लगी। तीन चार बार दिल्ली गए लेकिन कोई लाभ नहीं हुआ। इसी बीच उनकी पत्नी नीतू जालौन सीएचसी गई थी। वहां सीएचसी में तैनात उनके एक परिचित स्टाफ विजय ने उन्हें आरबीएसके टीम का नंबर देकर संपर्क करने को कहा। उन्होंने आरबीएसके टीम के डा.मोहसिन से बात की। वह तत्काल टीम के साथ उनके घर आए और उन्हें भरोसा दिया कि वह परेशान न हो, सरकार उनकी बेटी के इलाज का पूरा खर्चा उठाएगी। मार्च महीने में टीम ने उनका आरबीएसके में इलाज के लिए पंजीकरण कर दिया। तमाम जांचों के बाद बीती 20 जून 2021 को बेटी का कानपुर के मल्होत्रा ईएनटी हास्पिटल में डा. रोहित मल्होत्रा ने आपरेशन कर दिया। तीन दिन बात जांच के बाद अस्पताल से छुट्टी मिल गई। अब बेटी न सिर्फ सुन सकती है बल्कि हल्का फुल्का बोल भी सकती है। डाक्टरों के मुताबिक, धीरे धीरे स्पीच थैरेपी के माध्यम से वैष्णवी पूरी तरह बोलना और सुनना सीख जाएगी। 

माता पिता ने दिया आरबीएसके टीम को धन्यवाद

आपरेशन के बाद वैष्णवी के पिता सुशील और मां नीतू अपने बेटी के साथ सीएमओ कार्यालय स्थित आरबीएसके आफिस पहुंचे और उन्होंने आरबीएसके के नोडल अधिकारी डा. एसडी चौधरी और जिला शीघ्र हस्तक्षेप केंद्र (डीईआईसी) प्रबंधक रवींद्र चौधरी को धन्यवाद दिया। जिस वक्त वह धन्यवाद दे रहे थे, उस वक्त उनकी आंखों में आंसू थे। उनका कहना था कि वे इतना मंहगा इलाज नहीं करा पाते। जीवन भर उनकी बेटी गूंगी और बहरी रहती। आरबीएसके ने उनके जीवन में नई खुशियां ला दी है। अब उनकी बेटी भी अन्य बच्चों की तरह सामान्य जीवन जी पाएंगी और लिख पढ़ पाएगी। वे बेटी को पढ़ा लिखाकर आईएएस बनाने चाहते हैं।

क्या है राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम

राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम के अंतर्गत स्कूलों और आंगनबाड़ी केंद्रों में पढ़ने वाले 0 से 19 साल तक के बच्चों का निशुल्क इलाज कराया जाता है। इसमें जन्मजात बीमारियों के साथ हार्ट संबंधी, कुष्ठ रोग, क्षय रोग, कटे होंठ व तालु, टेढ़े पांव, जन्मजात मोतियाबिंद, कुपोषण समेत पचास प्रकार की बीमारियों क इलाज कराया जाता है। इसके लिए जनपद के सभी नौ ब्लाकों में 18 मोबाइल हेल्थ टीम कार्य कर रही है। जो समय समय पर जाकर बच्चों की स्क्रीनिंग कर उनका इलाज कराने में मदद करती है।

जन्मजात बीमारियों वाले बच्चों के माता पिता न हो परेशान, यहां करें संपर्क

जन्मजात बीमारियों वाले बच्चों के माता पिता परेशान न हो। यदि वह बीमारी के इलाज के लिए सक्षम नहीं है तो वह सीएमओ कार्यालय स्थित आरबीएसके के कार्यालय में संपर्क कर सकते हैं। जिला शीघ्र हस्तपेक्ष केंद्र के प्रबंधक रवींद्र चौधरी ने अपना मोबाइल नंबर 8299724866 पर संपर्क करने को कहा है। 

गरीब माता पिता के लिए वरदान आरबीएसके प्रोग्राम

आरबीएसके के नोडल अधिकारी डा. एसडी चौधरी बताते है कि आरबीएसके के अंतर्गत सरकार द्वारा कई गंभीर बीमारियों का इलाज निशुल्क कराया जा रहा है। गरीब रेखा के नीचे जीवन जीने वाले बच्चों  के माता पिता अपने क्षेत्र में कार्य करने वाली आरबीएसके टीमों की मदद लेकर इलाज करा सकते हैं। इलाज जिले से लेकर प्रदेश भर में आरबीएसके के अंतर्गत पंजीकृत

अस्पतालों में मुफ्त कराया जाएगा। आरबीएसके गरीब बच्चों के लिए वरदान साबित हो रहा है। अब तक करीब चार सौ बच्चों के माता पिता को आरबीएसके के माध्यम से लाभ दिलाया जा चुका है।



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Journalist Anil Prabhakar

Editor UPVIRAL24 NEWS