"स्वच्छता" अभियान में तकनीकी विकल्प और 'कचरे से धन' तक की प्रक्रियाएं शामिल होंगी: डॉ. जितेन्द्र सिंह

"स्वच्छता" अभियान में तकनीकी विकल्प और 'कचरे से धन' तक की प्रक्रियाएं शामिल होंगी: डॉ. जितेन्द्र सिंह

केन्द्रीय मंत्री ने नवीन स्वच्छता अभियान पहल 5.0 को अपनाकर 'आत्मनिर्भरता' की ओर बढ़ने पर ज़ोर दिया

केन्द्रीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी; पृथ्वी विज्ञान; प्रधानमंत्री कार्यालय; कार्मिक, लोक शिकायत एवं पेंशन; परमाणु ऊर्जा विभाग और अंतरिक्ष राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार), डॉ. जितेन्द्र सिंह ने आज "स्वच्छता" अभियान में प्रौद्योगिकी विकल्पों और 'कचरे से धन' तक की प्रक्रियाओं को शामिल करने का आह्वान किया।

डॉ. सिंह ने कहा कि स्वच्छता को एक आदर्श, आदत और दैनिक जीवन में शामिल करने के लिए नागरिकों में जागरूकता अत्यंत आवश्यक है। उन्होंने एम्स की एक पहल का उल्लेख किया, जहाँ एक वैन प्रयोगशालाओं से कचरा एकत्र करती है और उसे निष्क्रिय पदार्थों में परिवर्तित करके, बाद में तकनीक का उपयोग करके पुनर्चक्रित करती है। एक अन्य उदाहरण देते हुए, उन्होंने कहा कि कुंभ में भी कचरे का निपटान अपनाया गया था, जहाँ निपटान के बाद बेकार जल का उपयोग सिंचाई के लिए किया गया था। इन उपरोक्त पहलों ने 'आत्मनिर्भर' बनने के लिए प्रौद्योगिकी के उपयोग की दृष्टि से स्वच्छता को देखने में सक्षम बनाया है।

डॉ. जितेन्द्र सिंह ने कहा कि ई-कचरे का पुनर्प्रसंस्करण और पुनर्चक्रण विभिन्न तरीकों का उपयोग करके 'कचरे से धन' का सृजन संभव बनाता है। इस संदर्भ में, डॉ. जितेन्द्र सिंह ने इस बात पर ज़ोर दिया कि स्वच्छता अभियान पहल 5.0 को अपनाकर आत्मनिर्भरता न केवल स्वच्छ और हरित वातावरण में बदलाव ला रही है, बल्कि लोगों को कार्यस्थल में स्वस्थ जीवनशैली और कार्य पद्धति अपनाने में भी सक्षम बना रही है। ई-कचरे की सफाई, खाद्य तेल का पुनर्प्रसंस्करण, प्रौद्योगिकी-सक्षम समाधान और ई-फाइलिंग, सिस्टम-आधारित डैशबोर्ड विकास सहित डिजिटल नवाचार ने जागरूकता पैदा करने में मदद की है।

केन्द्रीय मंत्री ने बताया कि बेकार खाद्य तेल के पुनर्चक्रण से दोहरा लाभ मिलता है, क्योंकि इस प्रक्रिया में उत्पन्न उप-उत्पाद 'एथेनॉल' का उपयोग किया जा सकता है; साथ ही, इसके पुन: उपयोग से बचा जा सकता है, जो स्वास्थ्य के लिए हानिकारक हो सकता है। डॉ. जितेन्द्र सिंह ने इस बात पर ज़ोर दिया कि इस तरह की 'आत्मनिर्भर' पहल भारत को आयात पर निर्भर न रहने और हमारे स्वदेशी उत्पादों एवं समाधानों को मज़बूत बनाने में मदद करेगी।

इस अवसर पर, डीएआरपीजी सचिव, श्री वी. श्रीनिवास ने कहा कि पिछली उपलब्धियों के आधार पर, डीएआरपीजी विशेष अभियान 5.0 का सफल और प्रभावी कार्यान्वयन सुनिश्चित करने के लिए पूरी तरह प्रतिबद्ध है, और स्वच्छता, दक्षता, पारदर्शिता और बेहतर सेवा वितरण के प्रति अपनी प्रतिबद्धता का आश्वासन देता है।

सरकार ने 2 अक्टूबर से 31 अक्टूबर 2025 तक विशेष अभियान 5.0 शुरू किया है, जिसका विशेष ध्यान स्वच्छता और सरकारी मंत्रालयों और विभागों में लंबित मामलों को कम करने पर है। 

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Journalist Anil Prabhakar

Editor UPVIRAL24 NEWS