गर्भाशय ग्रीवा के कैंसर से निपटने में एचपीवी वैक्सीन की महत्वपूर्ण भूमिका

महिलाओं के स्वास्थ्य की रक्षा: गर्भाशय ग्रीवा के कैंसर से निपटने में एचपीवी वैक्सीन की महत्वपूर्ण भूमिका  जालौन : गर्भाशय ग्रीवा का कैंसर (सर्विक्स कैंसर) एक मूक (चुपचाप होने वाला) खतरा है। जो दुनिया भर में महिलाओं के जीवन को प्रभावित करता है। भारत इस बीमारी का काफी भार उठा रहा है, जिसकी रोकथाम की जा सकती है। गर्भाशय ग्रीवा के कैंसर के खतरे को और ह्यूमन पैपिलोमावायरस (एचपीवी) वैक्सीन के प्रभावशाली असर को समझना, महिलाओं के स्वास्थ्य और भविष्य की सुरक्षा के लिए आवश्यक है। यह कहना है कि जिला प्रतिरक्षण अधिकारी डॉ. डीके भिटौरिया का।   उन्होंने बताया कि गर्भाशय ग्रीवा यानि गर्भाशय के निचले हिस्से के कैंसर की तरफ अक्सर अंतिम चरण तक किसी का ध्यान नहीं जाता है। जब गर्भाशय ग्रीवा का कैंसर अपने सबसे अधिक खतरनाक चरण में होता है,  तो  मासिक धर्म के बीच योनि से रक्तस्राव, सहवास के बाद रक्तस्राव और पानी जैसा दुर्गंधयुक्त स्राव हो सकता है। इसका असर शारीरिक दर्द से कहीं अधिक,रोगी के जीवन के भावनात्मक, सामाजिक और आर्थिक पहलुओं को प्रभावित करता है। गर्भाशय ग्रीवा के कैंसर ने भारत में अपनी पकड़ बनाई है, जहां यह महिलाओं में दूसरा सबसे आम कैंसर है।   उन्होंने बताया कि एचपीवी टीका गर्भाशय ग्रीवा के कैंसर के खिलाफ लड़ाई में आशा की एक किरण है। एचपीवी टीकों को विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा गर्भाशय ग्रीवा के कैंसर के खिलाफ सुरक्षित और प्रभावी माना गया है। भारत में, चार एचपीवी टीके, सर्वेरिक्स (एम/एस जीएसके), गार्डासिल, गार्डासिल-9 (एम/एस एमएसडी) और सर्वावैक (एम/एस सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया) को 9-45 वर्ष के आयु वर्ग की लड़कियों एवं महिलाओं में उपयोग के लिए लाइसेंस प्राप्त है, जो कि रोकथाम के लिए एक महत्वपूर्ण साधन हैं।

महिलाओं के स्वास्थ्य की रक्षा: गर्भाशय ग्रीवा के कैंसर से निपटने में एचपीवी वैक्सीन की महत्वपूर्ण भूमिका

जालौन : गर्भाशय ग्रीवा का कैंसर (सर्विक्स कैंसर) एक मूक (चुपचाप होने वाला) खतरा है। जो दुनिया भर में महिलाओं के जीवन को प्रभावित करता है। भारत इस बीमारी का काफी भार उठा रहा है, जिसकी रोकथाम की जा सकती है। गर्भाशय ग्रीवा के कैंसर के खतरे को और ह्यूमन पैपिलोमावायरस (एचपीवी) वैक्सीन के प्रभावशाली असर को समझना, महिलाओं के स्वास्थ्य और भविष्य की सुरक्षा के लिए आवश्यक है। यह कहना है कि जिला प्रतिरक्षण अधिकारी डॉ. डीके भिटौरिया का। 

उन्होंने बताया कि गर्भाशय ग्रीवा यानि गर्भाशय के निचले हिस्से के कैंसर की तरफ अक्सर अंतिम चरण तक किसी का ध्यान नहीं जाता है। जब गर्भाशय ग्रीवा का कैंसर अपने सबसे अधिक खतरनाक चरण में होता है,  तो  मासिक धर्म के बीच योनि से रक्तस्राव, सहवास के बाद रक्तस्राव और पानी जैसा दुर्गंधयुक्त स्राव हो सकता है। इसका असर शारीरिक दर्द से कहीं अधिक,रोगी के जीवन के भावनात्मक, सामाजिक और आर्थिक पहलुओं को प्रभावित करता है। गर्भाशय ग्रीवा के कैंसर ने भारत में अपनी पकड़ बनाई है, जहां यह महिलाओं में दूसरा सबसे आम कैंसर है। 

उन्होंने बताया कि एचपीवी टीका गर्भाशय ग्रीवा के कैंसर के खिलाफ लड़ाई में आशा की एक किरण है। एचपीवी टीकों को विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा गर्भाशय ग्रीवा के कैंसर के खिलाफ सुरक्षित और प्रभावी माना गया है। भारत में, चार एचपीवी टीके, सर्वेरिक्स (एम/एस जीएसके), गार्डासिल, गार्डासिल-9 (एम/एस एमएसडी) और सर्वावैक (एम/एस सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया) को 9-45 वर्ष के आयु वर्ग की लड़कियों एवं महिलाओं में उपयोग के लिए लाइसेंस प्राप्त है, जो कि रोकथाम के लिए एक महत्वपूर्ण साधन हैं।

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Journalist Anil Prabhakar

Editor UPVIRAL24 NEWS