जन्मजात हृदय रोग से पीड़ित बच्चों की आरबीएसके योजना से बची जान

जन्मजात हृदय रोग से पीड़ित बच्चों की आरबीएसके योजना से बची जान   जालौन : केस-1- डकोर ब्लॉक के रगौली गांव की डेढ़ साल की पूर्वी को जन्मजात ह्दय रोग की परेशानी थी। थोड़ा सा चलने पर सांस फूलने लगती थी। जिसकी वजह से उसका ठीक से विकास नहीं हो पा रहा था। इसे लेकर घरवाले भी परेशान थे। पूर्वी के पिता हरिओम पेंटिंग का काम करते हैं। वह बताते है कि गांव में एक दिन आरबीएसके की टीम आई। टीम ने बच्ची की जाँच की और आरबीएस के अंतर्गत इलाज के बारे में बताया। इसके बाद टीम के प्रयास से पलवल स्थित सत्य सांई संजीवनी इंटरनेशनल सेंटर फार चाइल्ड हार्ट केयर एंड रिसर्च संस्थान भेजा गया। जहां 11 मई को भर्ती कर पूर्वी का आपरेशन किया है और 18 मई को अस्पताल से डिस्चार्ज कर दिया गया। अब उनकी बिटिया बिल्कुल ठीक हो गई है।    केस-2-डकोर ब्लाक के ही बंधौली के हर्ष को भी बचपन से ही ह्दय संबंधी परेशानी थी। उसके पिता अशोक के पास नाममात्र की खेती है। जिसकी वजह से घर का खर्च भी बमुश्किल चल पाता है। अशोक बताते है कि वह इलाज के लिए परेशान था। बेटे की उम्र बढ़ते हुए 11 साल हो गई थी। उसके इलाज की चिंता सता रही थी। जबकि प्राइवेट इलाज में करीब दो लाख से ज्यादा खर्च बता रहे थे। इसी बीच गांव में आई आरबीएसके की टीम ने इलाज की जानकारी दी। इस पर घरवालों को राहत मिली। टीम ने हर्ष को पलवल स्थित अस्पताल भेजा। 22 अप्रैल को अस्पताल में भर्ती हुए। जहां उसके ह्दय की सर्जरी कर दी गई। 29 अप्रैल को डिस्चार्ज कर दिया गया। अब बेटा बिल्कुल ठीक है।    सात बच्चों की हो चुकी है हार्ट सर्जरी  ऐसे एक दो नहीं बल्कि सात मामले है। जिन्हें राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम (आरबीएसके) के माध्यम से इलाज में ​मदद मिली है। आरबीएसके के द्वारा जन्मजात बीमारियों का इलाज कराया जाता है। डीईआईसी मैनेजर रवींद्र कुमार ने बताया कि जिले केसभी ब्लाक में आरबीएसके की टीम कार्य कर रही हैं। जो स्कूलों और आंगनबाड़ी केंद्रों में जाकर बच्चों की जांच करती है। बीमार बच्चों की स्क्री​निंग कर उनके इलाज का काम करती है।    बच्चों को नया जीवन देती है आरबीएसके योजना  अपर मुख्य चिकित्सा अधिकारी व नोडल अधिकारी आरबीएस के डॉ. एसडी चौधरी ने बताया कि जन्मजात ह्दय रोग संबंधी 14 बच्चों को आरबीएसके की टीम ने खोजा है। जिसमें सात बच्चों की सर्जरी कराई जा चुकी है। जो स्वस्थ जीवन जी रहे है। इलाज के बाद उनके परिवार वाले भी खुश है। वह मानते है कि इस योजना में उनके बच्चों का नया जीवन मिला है।    जन्मजात बीमारियों में लाभकारी है आरबीएसके योजना  मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ. एनडी शर्मा भी बताते है कि यह योजना उन बच्चों के मदद के लिए बनाई गई है। जिनके माता पिता आर्थिक परेशान के चलते इलाज नहीं करा पाते हैं। ऐसेबच्चों को आरबीएसके की टीम खोजकर उनके इलाज में मदद करती है। इस योजना में रीढ़ की हड्डी में फोड़ा, कटे होंट और तालू, टेढ़े पांव, जन्मजात ह्दय रोग, जन्मजात मोतियाबिंद, जन्मजात बहरा और गूंगापन जैसी 40 से अधिक बीमारियों से पीड़ित बच्चों का इलाज कराया जाता है। इसके अलावा कुष्ठ और क्षय रोग से पी​ड़ित बच्चों का भी इस योजना से इलाज कराया जाता है। इलाज के बाद अपने बच्चों के ठीक होने के बाद उनके परिजन सीएमओ आफिस भी आए और उन्होंने मुख्य चिकित्सा अधिकारी को धन्यवाद भी दिया।
जन्मजात हृदय रोग से पीड़ित बच्चों की आरबीएसके योजना से बची जान   जालौन : केस-1- डकोर ब्लॉक के रगौली गांव की डेढ़ साल की पूर्वी को जन्मजात ह्दय रोग की परेशानी थी। थोड़ा सा चलने पर सांस फूलने लगती थी। जिसकी वजह से उसका ठीक से विकास नहीं हो पा रहा था। इसे लेकर घरवाले भी परेशान थे। पूर्वी के पिता हरिओम पेंटिंग का काम करते हैं। वह बताते है कि गांव में एक दिन आरबीएसके की टीम आई। टीम ने बच्ची की जाँच की और आरबीएस के अंतर्गत इलाज के बारे में बताया। इसके बाद टीम के प्रयास से पलवल स्थित सत्य सांई संजीवनी इंटरनेशनल सेंटर फार चाइल्ड हार्ट केयर एंड रिसर्च संस्थान भेजा गया। जहां 11 मई को भर्ती कर पूर्वी का आपरेशन किया है और 18 मई को अस्पताल से डिस्चार्ज कर दिया गया। अब उनकी बिटिया बिल्कुल ठीक हो गई है।    केस-2-डकोर ब्लाक के ही बंधौली के हर्ष को भी बचपन से ही ह्दय संबंधी परेशानी थी। उसके पिता अशोक के पास नाममात्र की खेती है। जिसकी वजह से घर का खर्च भी बमुश्किल चल पाता है। अशोक बताते है कि वह इलाज के लिए परेशान था। बेटे की उम्र बढ़ते हुए 11 साल हो गई थी। उसके इलाज की चिंता सता रही थी। जबकि प्राइवेट इलाज में करीब दो लाख से ज्यादा खर्च बता रहे थे। इसी बीच गांव में आई आरबीएसके की टीम ने इलाज की जानकारी दी। इस पर घरवालों को राहत मिली। टीम ने हर्ष को पलवल स्थित अस्पताल भेजा। 22 अप्रैल को अस्पताल में भर्ती हुए। जहां उसके ह्दय की सर्जरी कर दी गई। 29 अप्रैल को डिस्चार्ज कर दिया गया। अब बेटा बिल्कुल ठीक है।    सात बच्चों की हो चुकी है हार्ट सर्जरी  ऐसे एक दो नहीं बल्कि सात मामले है। जिन्हें राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम (आरबीएसके) के माध्यम से इलाज में ​मदद मिली है। आरबीएसके के द्वारा जन्मजात बीमारियों का इलाज कराया जाता है। डीईआईसी मैनेजर रवींद्र कुमार ने बताया कि जिले केसभी ब्लाक में आरबीएसके की टीम कार्य कर रही हैं। जो स्कूलों और आंगनबाड़ी केंद्रों में जाकर बच्चों की जांच करती है। बीमार बच्चों की स्क्री​निंग कर उनके इलाज का काम करती है।    बच्चों को नया जीवन देती है आरबीएसके योजना  अपर मुख्य चिकित्सा अधिकारी व नोडल अधिकारी आरबीएस के डॉ. एसडी चौधरी ने बताया कि जन्मजात ह्दय रोग संबंधी 14 बच्चों को आरबीएसके की टीम ने खोजा है। जिसमें सात बच्चों की सर्जरी कराई जा चुकी है। जो स्वस्थ जीवन जी रहे है। इलाज के बाद उनके परिवार वाले भी खुश है। वह मानते है कि इस योजना में उनके बच्चों का नया जीवन मिला है।    जन्मजात बीमारियों में लाभकारी है आरबीएसके योजना  मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ. एनडी शर्मा भी बताते है कि यह योजना उन बच्चों के मदद के लिए बनाई गई है। जिनके माता पिता आर्थिक परेशान के चलते इलाज नहीं करा पाते हैं। ऐसेबच्चों को आरबीएसके की टीम खोजकर उनके इलाज में मदद करती है। इस योजना में रीढ़ की हड्डी में फोड़ा, कटे होंट और तालू, टेढ़े पांव, जन्मजात ह्दय रोग, जन्मजात मोतियाबिंद, जन्मजात बहरा और गूंगापन जैसी 40 से अधिक बीमारियों से पीड़ित बच्चों का इलाज कराया जाता है। इसके अलावा कुष्ठ और क्षय रोग से पी​ड़ित बच्चों का भी इस योजना से इलाज कराया जाता है। इलाज के बाद अपने बच्चों के ठीक होने के बाद उनके परिजन सीएमओ आफिस भी आए और उन्होंने मुख्य चिकित्सा अधिकारी को धन्यवाद भी दिया।  जन्मजात हृदय रोग से पीड़ित बच्चों की आरबीएसके योजना से बची जान   जालौन : केस-1- डकोर ब्लॉक के रगौली गांव की डेढ़ साल की पूर्वी को जन्मजात ह्दय रोग की परेशानी थी। थोड़ा सा चलने पर सांस फूलने लगती थी। जिसकी वजह से उसका ठीक से विकास नहीं हो पा रहा था। इसे लेकर घरवाले भी परेशान थे। पूर्वी के पिता हरिओम पेंटिंग का काम करते हैं। वह बताते है कि गांव में एक दिन आरबीएसके की टीम आई। टीम ने बच्ची की जाँच की और आरबीएस के अंतर्गत इलाज के बारे में बताया। इसके बाद टीम के प्रयास से पलवल स्थित सत्य सांई संजीवनी इंटरनेशनल सेंटर फार चाइल्ड हार्ट केयर एंड रिसर्च संस्थान भेजा गया। जहां 11 मई को भर्ती कर पूर्वी का आपरेशन किया है और 18 मई को अस्पताल से डिस्चार्ज कर दिया गया। अब उनकी बिटिया बिल्कुल ठीक हो गई है।    केस-2-डकोर ब्लाक के ही बंधौली के हर्ष को भी बचपन से ही ह्दय संबंधी परेशानी थी। उसके पिता अशोक के पास नाममात्र की खेती है। जिसकी वजह से घर का खर्च भी बमुश्किल चल पाता है। अशोक बताते है कि वह इलाज के लिए परेशान था। बेटे की उम्र बढ़ते हुए 11 साल हो गई थी। उसके इलाज की चिंता सता रही थी। जबकि प्राइवेट इलाज में करीब दो लाख से ज्यादा खर्च बता रहे थे। इसी बीच गांव में आई आरबीएसके की टीम ने इलाज की जानकारी दी। इस पर घरवालों को राहत मिली। टीम ने हर्ष को पलवल स्थित अस्पताल भेजा। 22 अप्रैल को अस्पताल में भर्ती हुए। जहां उसके ह्दय की सर्जरी कर दी गई। 29 अप्रैल को डिस्चार्ज कर दिया गया। अब बेटा बिल्कुल ठीक है।    सात बच्चों की हो चुकी है हार्ट सर्जरी  ऐसे एक दो नहीं बल्कि सात मामले है। जिन्हें राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम (आरबीएसके) के माध्यम से इलाज में ​मदद मिली है। आरबीएसके के द्वारा जन्मजात बीमारियों का इलाज कराया जाता है। डीईआईसी मैनेजर रवींद्र कुमार ने बताया कि जिले केसभी ब्लाक में आरबीएसके की टीम कार्य कर रही हैं। जो स्कूलों और आंगनबाड़ी केंद्रों में जाकर बच्चों की जांच करती है। बीमार बच्चों की स्क्री​निंग कर उनके इलाज का काम करती है।    बच्चों को नया जीवन देती है आरबीएसके योजना  अपर मुख्य चिकित्सा अधिकारी व नोडल अधिकारी आरबीएस के डॉ. एसडी चौधरी ने बताया कि जन्मजात ह्दय रोग संबंधी 14 बच्चों को आरबीएसके की टीम ने खोजा है। जिसमें सात बच्चों की सर्जरी कराई जा चुकी है। जो स्वस्थ जीवन जी रहे है। इलाज के बाद उनके परिवार वाले भी खुश है। वह मानते है कि इस योजना में उनके बच्चों का नया जीवन मिला है।    जन्मजात बीमारियों में लाभकारी है आरबीएसके योजना  मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ. एनडी शर्मा भी बताते है कि यह योजना उन बच्चों के मदद के लिए बनाई गई है। जिनके माता पिता आर्थिक परेशान के चलते इलाज नहीं करा पाते हैं। ऐसेबच्चों को आरबीएसके की टीम खोजकर उनके इलाज में मदद करती है। इस योजना में रीढ़ की हड्डी में फोड़ा, कटे होंट और तालू, टेढ़े पांव, जन्मजात ह्दय रोग, जन्मजात मोतियाबिंद, जन्मजात बहरा और गूंगापन जैसी 40 से अधिक बीमारियों से पीड़ित बच्चों का इलाज कराया जाता है। इसके अलावा कुष्ठ और क्षय रोग से पी​ड़ित बच्चों का भी इस योजना से इलाज कराया जाता है। इलाज के बाद अपने बच्चों के ठीक होने के बाद उनके परिजन सीएमओ आफिस भी आए और उन्होंने मुख्य चिकित्सा अधिकारी को धन्यवाद भी दिया।

जन्मजात हृदय रोग से पीड़ित बच्चों की आरबीएसके योजना से बची जान


जालौन : केस-1- डकोर ब्लॉक के रगौली गांव की डेढ़ साल की पूर्वी को जन्मजात ह्दय रोग की परेशानी थी। थोड़ा सा चलने पर सांस फूलने लगती थी। जिसकी वजह से उसका ठीक से विकास नहीं हो पा रहा था। इसे लेकर घरवाले भी परेशान थे। पूर्वी के पिता हरिओम पेंटिंग का काम करते हैं। वह बताते है कि गांव में एक दिन आरबीएसके की टीम आई। टीम ने बच्ची की जाँच की और आरबीएस के अंतर्गत इलाज के बारे में बताया। इसके बाद टीम के प्रयास से पलवल स्थित सत्य सांई संजीवनी इंटरनेशनल सेंटर फार चाइल्ड हार्ट केयर एंड रिसर्च संस्थान भेजा गया। जहां 11 मई को भर्ती कर पूर्वी का आपरेशन किया है और 18 मई को अस्पताल से डिस्चार्ज कर दिया गया। अब उनकी बिटिया बिल्कुल ठीक हो गई है।



केस-2-डकोर ब्लाक के ही बंधौली के हर्ष को भी बचपन से ही ह्दय संबंधी परेशानी थी। उसके पिता अशोक के पास नाममात्र की खेती है। जिसकी वजह से घर का खर्च भी बमुश्किल चल पाता है। अशोक बताते है कि वह इलाज के लिए परेशान था। बेटे की उम्र बढ़ते हुए 11 साल हो गई थी। उसके इलाज की चिंता सता रही थी। जबकि प्राइवेट इलाज में करीब दो लाख से ज्यादा खर्च बता रहे थे। इसी बीच गांव में आई आरबीएसके की टीम ने इलाज की जानकारी दी। इस पर घरवालों को राहत मिली। टीम ने हर्ष को पलवल स्थित अस्पताल भेजा। 22 अप्रैल को अस्पताल में भर्ती हुए। जहां उसके ह्दय की सर्जरी कर दी गई। 29 अप्रैल को डिस्चार्ज कर दिया गया। अब बेटा बिल्कुल ठीक है।



सात बच्चों की हो चुकी है हार्ट सर्जरी

ऐसे एक दो नहीं बल्कि सात मामले है। जिन्हें राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम (आरबीएसके) के माध्यम से इलाज में ​मदद मिली है। आरबीएसके के द्वारा जन्मजात बीमारियों का इलाज कराया जाता है। डीईआईसी मैनेजर रवींद्र कुमार ने बताया कि जिले केसभी ब्लाक में आरबीएसके की टीम कार्य कर रही हैं। जो स्कूलों और आंगनबाड़ी केंद्रों में जाकर बच्चों की जांच करती है। बीमार बच्चों की स्क्री​निंग कर उनके इलाज का काम करती है।



बच्चों को नया जीवन देती है आरबीएसके योजना

अपर मुख्य चिकित्सा अधिकारी व नोडल अधिकारी आरबीएस के डॉ. एसडी चौधरी ने बताया कि जन्मजात ह्दय रोग संबंधी 14 बच्चों को आरबीएसके की टीम ने खोजा है। जिसमें सात बच्चों की सर्जरी कराई जा चुकी है। जो स्वस्थ जीवन जी रहे है। इलाज के बाद उनके परिवार वाले भी खुश है। वह मानते है कि इस योजना में उनके बच्चों का नया जीवन मिला है।



जन्मजात बीमारियों में लाभकारी है आरबीएसके योजना

मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ. एनडी शर्मा भी बताते है कि यह योजना उन बच्चों के मदद के लिए बनाई गई है। जिनके माता पिता आर्थिक परेशान के चलते इलाज नहीं करा पाते हैं। ऐसेबच्चों को आरबीएसके की टीम खोजकर उनके इलाज में मदद करती है। इस योजना में रीढ़ की हड्डी में फोड़ा, कटे होंट और तालू, टेढ़े पांव, जन्मजात ह्दय रोग, जन्मजात मोतियाबिंद, जन्मजात बहरा और गूंगापन जैसी 40 से अधिक बीमारियों से पीड़ित बच्चों का इलाज कराया जाता है। इसके अलावा कुष्ठ और क्षय रोग से पी​ड़ित बच्चों का भी इस योजना से इलाज कराया जाता है। इलाज के बाद अपने बच्चों के ठीक होने के बाद उनके परिजन सीएमओ आफिस भी आए और उन्होंने मुख्य चिकित्सा अधिकारी को धन्यवाद भी दिया।

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Journalist Anil Prabhakar

Editor UPVIRAL24 NEWS