भारत की जी-20 प्रेसीडेंसी : तीसरी एचडब्लयूजी मीटिंग

भारत की जी-20 प्रेसीडेंसी : तीसरी एचडब्लयूजी मीटिंग  भारत का डिजिटल विकास दुनिया के लिए है, भारत की डिजिटल अवसंरचना और क्षमताएं वैश्विक आर्थिक विकास और मानव विकास के प्रवर्तक हैं: डॉ. वी.के. पॉल, सदस्य, नीति आयोग  वैश्विक दक्षिण की आवाज के रूप में भारत सार्वभौमिक स्वास्थ्य कवरेज में सहायता के लिए डिजिटल समाधान और नवाचार को बढ़ावा देकर डिजिटल स्वास्थ्य विभाजन को कम करने के लिए प्रतिबद्ध है: डॉ. वी. के. पॉल    “भारत का डिजिटल विकास दुनिया के लिए है। भारत की डिजिटल अवसंरचना और क्षमताएं वैश्विक आर्थिक विकास और मानव विकास के समर्थक हैं।” यह बात नीति आयोग के सदस्य (स्वास्थ्य) डॉ. वी. के. पॉल ने तीसरे स्वास्थ्य दिवस के दूसरे दिन जी-20 इंडिया का वर्किंग ग्रुप आज हैदराबाद, तेलंगाना में ‘डिजिटल स्वास्थ्य नवाचारों और सार्वभौमिक स्वास्थ्य कवरेज में सहायता और स्वास्थ्य सेवा में सुधार के समाधान’ पर सत्र में मुख्य भाषण देते हुए कही।     डिजिटल स्वास्थ्य के क्षेत्र में भारत के नेतृत्व पर प्रकाश डालते हुए, डॉ. पॉल ने कहा, “वैश्विक दक्षिण की आवाज के रूप में भारत सार्वभौमिक स्वास्थ्य कवरेज की सहायता के लिए डिजिटल समाधान और नवाचार को बढ़ावा देकर डिजिटल स्वास्थ्य विभाजन को कम करने के लिए प्रतिबद्ध है।” डिजिटल इंडिया पर प्रधानमंत्री के एक उद्धरण को दोहराते हुए जहां उन्होंने कहा “मैं एक डिजिटल भारत का सपना देखता हूं जिसमें गुणवत्तापूर्ण स्वास्थ्य सेवा ई-स्वास्थ्य सेवा द्वारा संचालित दूरस्थ क्षेत्रों तक पहुंच योग्य है।” उन्होंने आगे कहा कि स्वास्थ्य कार्य समूहों में विचार-विमर्श ने हमें आगे बढ़ाया है। इस विश्वास के लिए कि डिजिटल प्रौद्योगिकियां सार्वभौमिक स्वास्थ्य कवरेज प्राप्त करने और स्वास्थ्य आपात स्थितियों का मुकाबला करने में बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती हैं।    आगे विस्तार से बताते हुए डॉ. पॉल ने कहा, “डिजिटल स्वास्थ्य टेलीमेडिसिन और मोबाइल एप्लिकेशन जैसी पहलों के माध्यम से लोगों द्वारा उनके स्थान और सामाजिक-आर्थिक स्थिति की परवाह किए बिना स्वास्थ्य देखभाल सेवाओं की पहुंच बढ़ाकर सार्वभौमिक स्वास्थ्य कवरेज को सक्षम बनाता है। यह कई प्रणालियों के माध्यम से प्रदाताओं, प्रणालियों, रोगियों, नीति-निर्माताओं आदि के बीच स्वास्थ्य सूचनाओं के निर्बाध आदान-प्रदान के माध्यम से सार्वभौमिक स्वास्थ्य कवरेज की सुविधा भी प्रदान करता है।” डिजिटल पहलों के प्रभाव को रेखांकित करते हुए, डॉ. पॉल ने आयुष्मान भारत डिजिटल मिशन का उदाहरण देते हुए कहा, “यह राज्य सरकार, केंद्र सरकार, प्रयोगशालाओं, बीमा प्रदाताओं, स्वास्थ्य तकनीक कंपनियों, डॉक्टरों, गैर सरकारी संगठनों के कार्यक्रम प्रबंधकों, अन्य हितधारकों को एक साथ लाता है और इस प्रयास के केंद्र में नागरिकों को रखता है।    डिजिटल स्वास्थ्य के महत्व को रेखांकित करते हुए, डॉ. पॉल ने सभी से सार्वभौमिक स्वास्थ्य कवरेज के लिए डिजिटल स्वास्थ्य के क्षेत्र में वैश्विक क्रांति का हिस्सा बनने का आग्रह किया। उन्होंने जोर देकर कहा, “आइए हम एक ऐसी दुनिया की कल्पना करें जहां डिजिटल स्वास्थ्य उपकरणों और सेवाओं का एक व्यापक पैकेज सभी के लिए सुलभ हो, जहां 2035 तक डिजिटल स्वास्थ्य सभी के लिए उपलब्ध हो।”    सत्र के अन्य महत्वपूर्ण वक्ताओं में डॉ. क्रिस्टोफर एलियास, अध्यक्ष, वैश्विक विकास, बिल एंड मेलिंडा गेट्स फाउंडेशन और डॉ. एलेन लैब्रिक, निदेशक, डिजिटल स्वास्थ्य और नवाचार विभाग, डब्ल्यूएचओ शामिल थे।    डॉ. क्रिस्टोफर एलियास ने जी20 प्रेसीडेंसी में डिजिटल स्वास्थ्य को प्राथमिकता के रूप में शामिल करने की सराहना की और कहा, “इस प्राथमिकता के लिए समावेशिता, इक्विटी और सामर्थ्य प्रमुख सिद्धांत हैं।” उन्होंने आगे कहा, “प्रौद्योगिकी, विशेष रूप से डिजिटल प्रौद्योगिकी की सार्वभौमिक स्वास्थ्य कवरेज की दिशा में प्रगति को तेज करने और स्वास्थ्य सेवा वितरण में सुधार करने में महत्वपूर्ण सक्षम भूमिका है। दुनिया ने डिजिटल स्वास्थ्य की महत्वपूर्ण गति और डिजिटल स्वास्थ्य उपकरणों के विकास को देखा है जो कि निम्न और मध्यम आय वाले देशों ने पिछले एक दशक में अनुभव किया है, और विशेष रूप से हाल ही में कोविड महामारी की शुरुआत के बाद ऐसा अनुभव किया है।”    इस अवसर पर बोलते हुए, डॉ एलेन लैब्रिक ने कहा, “जब हम डिजिटल स्वास्थ्य के बारे में बात करते हैं, तो हम प्राथमिक स्वास्थ्य देखभाल प्रणालियों को मजबूत करने, सार्वभौमिक स्वास्थ्य कवरेज में सुधार करने और निर्णय लेने और संसाधन आवंटन के लिए समय पर और प्रासंगिक डेटा के बारे में बात कर रहे हैं। सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि हम समानता की बात कर रहे हैं ताकि कोई भी पीछे न छूटे। डिजिटल स्वास्थ्य सार्वभौमिक स्वास्थ्य लक्ष्यों को प्राप्त करने का एक सिद्ध मार्ग है।”    डिजिटल स्वास्थ्य की प्रासंगिकता और महत्व को रेखांकित करते हुए उन्होंने कहा कि महामारी ने कई सरकारों को डिजिटल प्रयोग से डिजिटल परिवर्तन की ओर बढ़ने के लिए प्रेरित किया है। डिजिटल स्वास्थ्य स्तरों पर वैश्विक पहल की वजह से सभी के लिए समान और अनुकूल अवसर हैं मिल रहा है जिससे निवेश बढ़ रहा है, स्वास्थ्य की आधारभूत संरचना तक लोगों की पहुंच का लोकतंत्रीकरण हो रहा है, और देश की जरूरत के हिसाब से जवाबदेही में सुधार भी हो रहा है। उन्होंने जोर दिया कि वैश्विक स्वास्थ्य प्रणालियों में डिजिटलीकरण अपरिहार्य है। इसके प्रभाव को रेखांकित करते हुए उन्होंने कहा, “क्या यह गुणवत्ता, दक्षता, इक्विटी और समावेशन सुनिश्चित करने के तरीके से होता है, यह एक समूह के रूप में हम पर निर्भर करेगा।” जी-20 प्रेसीडेंसी की भूमिका पर प्रकाश डालते हुए उन्होंने कहा, “एक समूह के रूप में हमें रणनीतिक रूप से निवेश करना चाहिए। यह सभी सदस्य देशों के लिए उपलब्ध विश्वसनीय स्वास्थ्य सूचनाओं के सीमा पार आदान-प्रदान को सक्षम करेगा।”    इंडोनेशिया और ब्राजील के ट्रोइका के सदस्यों ने स्वास्थ्य के लिए सार्वभौमिक धुरी में एक शक्तिशाली उपकरण के रूप में डिजिटल स्वास्थ्य की सराहना की और कहा कि डिजिटल स्वास्थ्य व्यापक और सुलभ स्वास्थ्य देखभाल को सक्षम करने वाली परिवर्तनकारी सफलता का प्रतिनिधित्व करता है। उन्होंने सदस्य देशों और प्रमुख हितधारकों के साथ सहयोग की सिफारिश की और वैश्विक डिजिटल स्वास्थ्य नेटवर्क के मानदंडों को अपनाने के लिए देशों के समर्थन और मार्गदर्शन में अंतर्राष्ट्रीय संगठन की भागीदारी का आग्रह किया। उन्होंने प्रासंगिक क्षेत्रों में डिजिटल बुनियादी ढांचे के विकास को बढ़ावा देने, डिजिटल साक्षरता और शिक्षा को बढ़ावा देने और सभी के लिए डिजिटल स्वास्थ्य समाधान की पहुंच सुनिश्चित करने पर जोर दिया।    केंद्रीय स्वास्थ्य सचिव श्री राजेश भूषण ने जी-20 इंडिया प्रेसीडेंसी की तीन स्वास्थ्य प्राथमिकताओं पर प्रकाश डाला और भदीदारों के योगदान की सराहना की। यह देखते हुए कि अगली महामारी वैश्विक संधि करने के लिए हमारा इंतजार नहीं करेगी, उन्होंने कहा कि “यह सुनिश्चित करना समय की आवश्यकता है कि अगली महामारी आने तक हम पर्याप्त रूप से तैयार दिखे क्योंकि अरबों लोगों का जीवन और आजीविका दांव पर होगी, इसलिए हम अति-आवश्यकता की भावना के साथ काम करना चाहिए।” उन्होंने सभी हितधारकों से एक साथ आने और ‘एक पृथ्वी, एक परिवार, एक भविष्य’ - भारत की जी20 प्रेसीडेंसी की थीम के लिए कार्य करने का आग्रह किया।    डॉ. राजीव बहल, सचिव, स्वास्थ्य अनुसंधान विभाग और महानिदेशक, आईसीएमआर; जी कमला वर्धन राव, भारतीय खाद्य सुरक्षा और मानक प्राधिकरण (एफएसएसएआई) के सीईओ; श्री अभय ठाकुर, अतिरिक्त सचिव, विदेश मंत्रालय और भारत के जी-20 प्रेसीडेंसी के सूस शेरपा; श्री लव अग्रवाल, अतिरिक्त सचिव, स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय; श्रीमती हेकाली झिमोमी, अतिरिक्त सचिव, स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय; अन्य सरकारी अधिकारी; और केंद्र सरकार के वरिष्ठ अधिकारी; जी-20 सदस्य देशों के प्रतिनिधि; विशेष आमंत्रित देश, आदि कार्यक्रम में शामिल थे। सत्र में कई अंतर्राष्ट्रीय संगठन, फोरम और भागीदार शामिल थे जिनमें विश्व स्वास्थ्य संगठन, विश्व बैंक, वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम, आदि भी शामिल थे।

भारत की जी-20 प्रेसीडेंसी : तीसरी एचडब्लयूजी मीटिंग

भारत का डिजिटल विकास दुनिया के लिए है, भारत की डिजिटल अवसंरचना और क्षमताएं वैश्विक आर्थिक विकास और मानव विकास के प्रवर्तक हैं: डॉ. वी.के. पॉल, सदस्य, नीति आयोग

वैश्विक दक्षिण की आवाज के रूप में भारत सार्वभौमिक स्वास्थ्य कवरेज में सहायता के लिए डिजिटल समाधान और नवाचार को बढ़ावा देकर डिजिटल स्वास्थ्य विभाजन को कम करने के लिए प्रतिबद्ध है: डॉ. वी. के. पॉल


“भारत का डिजिटल विकास दुनिया के लिए है। भारत की डिजिटल अवसंरचना और क्षमताएं वैश्विक आर्थिक विकास और मानव विकास के समर्थक हैं।” यह बात नीति आयोग के सदस्य (स्वास्थ्य) डॉ. वी. के. पॉल ने तीसरे स्वास्थ्य दिवस के दूसरे दिन जी-20 इंडिया का वर्किंग ग्रुप आज हैदराबाद, तेलंगाना में ‘डिजिटल स्वास्थ्य नवाचारों और सार्वभौमिक स्वास्थ्य कवरेज में सहायता और स्वास्थ्य सेवा में सुधार के समाधान’ पर सत्र में मुख्य भाषण देते हुए कही। 


डिजिटल स्वास्थ्य के क्षेत्र में भारत के नेतृत्व पर प्रकाश डालते हुए, डॉ. पॉल ने कहा, “वैश्विक दक्षिण की आवाज के रूप में भारत सार्वभौमिक स्वास्थ्य कवरेज की सहायता के लिए डिजिटल समाधान और नवाचार को बढ़ावा देकर डिजिटल स्वास्थ्य विभाजन को कम करने के लिए प्रतिबद्ध है।” डिजिटल इंडिया पर प्रधानमंत्री के एक उद्धरण को दोहराते हुए जहां उन्होंने कहा “मैं एक डिजिटल भारत का सपना देखता हूं जिसमें गुणवत्तापूर्ण स्वास्थ्य सेवा ई-स्वास्थ्य सेवा द्वारा संचालित दूरस्थ क्षेत्रों तक पहुंच योग्य है।” उन्होंने आगे कहा कि स्वास्थ्य कार्य समूहों में विचार-विमर्श ने हमें आगे बढ़ाया है। इस विश्वास के लिए कि डिजिटल प्रौद्योगिकियां सार्वभौमिक स्वास्थ्य कवरेज प्राप्त करने और स्वास्थ्य आपात स्थितियों का मुकाबला करने में बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती हैं।


आगे विस्तार से बताते हुए डॉ. पॉल ने कहा, “डिजिटल स्वास्थ्य टेलीमेडिसिन और मोबाइल एप्लिकेशन जैसी पहलों के माध्यम से लोगों द्वारा उनके स्थान और सामाजिक-आर्थिक स्थिति की परवाह किए बिना स्वास्थ्य देखभाल सेवाओं की पहुंच बढ़ाकर सार्वभौमिक स्वास्थ्य कवरेज को सक्षम बनाता है। यह कई प्रणालियों के माध्यम से प्रदाताओं, प्रणालियों, रोगियों, नीति-निर्माताओं आदि के बीच स्वास्थ्य सूचनाओं के निर्बाध आदान-प्रदान के माध्यम से सार्वभौमिक स्वास्थ्य कवरेज की सुविधा भी प्रदान करता है।” डिजिटल पहलों के प्रभाव को रेखांकित करते हुए, डॉ. पॉल ने आयुष्मान भारत डिजिटल मिशन का उदाहरण देते हुए कहा, “यह राज्य सरकार, केंद्र सरकार, प्रयोगशालाओं, बीमा प्रदाताओं, स्वास्थ्य तकनीक कंपनियों, डॉक्टरों, गैर सरकारी संगठनों के कार्यक्रम प्रबंधकों, अन्य हितधारकों को एक साथ लाता है और इस प्रयास के केंद्र में नागरिकों को रखता है।


डिजिटल स्वास्थ्य के महत्व को रेखांकित करते हुए, डॉ. पॉल ने सभी से सार्वभौमिक स्वास्थ्य कवरेज के लिए डिजिटल स्वास्थ्य के क्षेत्र में वैश्विक क्रांति का हिस्सा बनने का आग्रह किया। उन्होंने जोर देकर कहा, “आइए हम एक ऐसी दुनिया की कल्पना करें जहां डिजिटल स्वास्थ्य उपकरणों और सेवाओं का एक व्यापक पैकेज सभी के लिए सुलभ हो, जहां 2035 तक डिजिटल स्वास्थ्य सभी के लिए उपलब्ध हो।”


सत्र के अन्य महत्वपूर्ण वक्ताओं में डॉ. क्रिस्टोफर एलियास, अध्यक्ष, वैश्विक विकास, बिल एंड मेलिंडा गेट्स फाउंडेशन और डॉ. एलेन लैब्रिक, निदेशक, डिजिटल स्वास्थ्य और नवाचार विभाग, डब्ल्यूएचओ शामिल थे।


डॉ. क्रिस्टोफर एलियास ने जी20 प्रेसीडेंसी में डिजिटल स्वास्थ्य को प्राथमिकता के रूप में शामिल करने की सराहना की और कहा, “इस प्राथमिकता के लिए समावेशिता, इक्विटी और सामर्थ्य प्रमुख सिद्धांत हैं।” उन्होंने आगे कहा, “प्रौद्योगिकी, विशेष रूप से डिजिटल प्रौद्योगिकी की सार्वभौमिक स्वास्थ्य कवरेज की दिशा में प्रगति को तेज करने और स्वास्थ्य सेवा वितरण में सुधार करने में महत्वपूर्ण सक्षम भूमिका है। दुनिया ने डिजिटल स्वास्थ्य की महत्वपूर्ण गति और डिजिटल स्वास्थ्य उपकरणों के विकास को देखा है जो कि निम्न और मध्यम आय वाले देशों ने पिछले एक दशक में अनुभव किया है, और विशेष रूप से हाल ही में कोविड महामारी की शुरुआत के बाद ऐसा अनुभव किया है।”


इस अवसर पर बोलते हुए, डॉ एलेन लैब्रिक ने कहा, “जब हम डिजिटल स्वास्थ्य के बारे में बात करते हैं, तो हम प्राथमिक स्वास्थ्य देखभाल प्रणालियों को मजबूत करने, सार्वभौमिक स्वास्थ्य कवरेज में सुधार करने और निर्णय लेने और संसाधन आवंटन के लिए समय पर और प्रासंगिक डेटा के बारे में बात कर रहे हैं। सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि हम समानता की बात कर रहे हैं ताकि कोई भी पीछे न छूटे। डिजिटल स्वास्थ्य सार्वभौमिक स्वास्थ्य लक्ष्यों को प्राप्त करने का एक सिद्ध मार्ग है।”


डिजिटल स्वास्थ्य की प्रासंगिकता और महत्व को रेखांकित करते हुए उन्होंने कहा कि महामारी ने कई सरकारों को डिजिटल प्रयोग से डिजिटल परिवर्तन की ओर बढ़ने के लिए प्रेरित किया है। डिजिटल स्वास्थ्य स्तरों पर वैश्विक पहल की वजह से सभी के लिए समान और अनुकूल अवसर हैं मिल रहा है जिससे निवेश बढ़ रहा है, स्वास्थ्य की आधारभूत संरचना तक लोगों की पहुंच का लोकतंत्रीकरण हो रहा है, और देश की जरूरत के हिसाब से जवाबदेही में सुधार भी हो रहा है। उन्होंने जोर दिया कि वैश्विक स्वास्थ्य प्रणालियों में डिजिटलीकरण अपरिहार्य है। इसके प्रभाव को रेखांकित करते हुए उन्होंने कहा, “क्या यह गुणवत्ता, दक्षता, इक्विटी और समावेशन सुनिश्चित करने के तरीके से होता है, यह एक समूह के रूप में हम पर निर्भर करेगा।” जी-20 प्रेसीडेंसी की भूमिका पर प्रकाश डालते हुए उन्होंने कहा, “एक समूह के रूप में हमें रणनीतिक रूप से निवेश करना चाहिए। यह सभी सदस्य देशों के लिए उपलब्ध विश्वसनीय स्वास्थ्य सूचनाओं के सीमा पार आदान-प्रदान को सक्षम करेगा।”


इंडोनेशिया और ब्राजील के ट्रोइका के सदस्यों ने स्वास्थ्य के लिए सार्वभौमिक धुरी में एक शक्तिशाली उपकरण के रूप में डिजिटल स्वास्थ्य की सराहना की और कहा कि डिजिटल स्वास्थ्य व्यापक और सुलभ स्वास्थ्य देखभाल को सक्षम करने वाली परिवर्तनकारी सफलता का प्रतिनिधित्व करता है। उन्होंने सदस्य देशों और प्रमुख हितधारकों के साथ सहयोग की सिफारिश की और वैश्विक डिजिटल स्वास्थ्य नेटवर्क के मानदंडों को अपनाने के लिए देशों के समर्थन और मार्गदर्शन में अंतर्राष्ट्रीय संगठन की भागीदारी का आग्रह किया। उन्होंने प्रासंगिक क्षेत्रों में डिजिटल बुनियादी ढांचे के विकास को बढ़ावा देने, डिजिटल साक्षरता और शिक्षा को बढ़ावा देने और सभी के लिए डिजिटल स्वास्थ्य समाधान की पहुंच सुनिश्चित करने पर जोर दिया।


केंद्रीय स्वास्थ्य सचिव श्री राजेश भूषण ने जी-20 इंडिया प्रेसीडेंसी की तीन स्वास्थ्य प्राथमिकताओं पर प्रकाश डाला और भदीदारों के योगदान की सराहना की। यह देखते हुए कि अगली महामारी वैश्विक संधि करने के लिए हमारा इंतजार नहीं करेगी, उन्होंने कहा कि “यह सुनिश्चित करना समय की आवश्यकता है कि अगली महामारी आने तक हम पर्याप्त रूप से तैयार दिखे क्योंकि अरबों लोगों का जीवन और आजीविका दांव पर होगी, इसलिए हम अति-आवश्यकता की भावना के साथ काम करना चाहिए।” उन्होंने सभी हितधारकों से एक साथ आने और ‘एक पृथ्वी, एक परिवार, एक भविष्य’ - भारत की जी20 प्रेसीडेंसी की थीम के लिए कार्य करने का आग्रह किया।


डॉ. राजीव बहल, सचिव, स्वास्थ्य अनुसंधान विभाग और महानिदेशक, आईसीएमआर; जी कमला वर्धन राव, भारतीय खाद्य सुरक्षा और मानक प्राधिकरण (एफएसएसएआई) के सीईओ; श्री अभय ठाकुर, अतिरिक्त सचिव, विदेश मंत्रालय और भारत के जी-20 प्रेसीडेंसी के सूस शेरपा; श्री लव अग्रवाल, अतिरिक्त सचिव, स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय; श्रीमती हेकाली झिमोमी, अतिरिक्त सचिव, स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय; अन्य सरकारी अधिकारी; और केंद्र सरकार के वरिष्ठ अधिकारी; जी-20 सदस्य देशों के प्रतिनिधि; विशेष आमंत्रित देश, आदि कार्यक्रम में शामिल थे। सत्र में कई अंतर्राष्ट्रीय संगठन, फोरम और भागीदार शामिल थे जिनमें विश्व स्वास्थ्य संगठन, विश्व बैंक, वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम, आदि भी शामिल थे।

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Journalist Anil Prabhakar

Editor UPVIRAL24 NEWS