राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन ने रिवर-सिटीज एलायंस वैश्विक संगोष्ठी का आयोजन किया

राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन ने रिवर-सिटीज एलायंस वैश्विक संगोष्ठी का आयोजन किया


राष्ट्रीय शहरी कार्य संस्थान (एनआईयूए) के सहयोग से राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन (एनएमसीजी) ने आज नई दिल्ली में 'रिवर-सिटीज एलायंस (आरसीए) वैश्विक संगोष्ठी : अंतर्राष्ट्रीय नदी-संवेदनशील शहरों के निर्माण के लिए साझेदारी' का आयोजन किया। रिवर-सिटीज एलायंस वैश्विक संगोष्ठी का उद्देश्य शहरी नदियों के प्रबंधन के लिए अच्छे अभ्यासों पर चर्चा करने और सीखने के लिए सदस्य शहरों और अंतरराष्ट्रीय हितधारकों के अधिकारियों के लिए एक मंच प्रदान करना था।

रिवर-सिटीज एलायंस गठबंधन वैश्विक संगोष्ठी में नदी-नगर गठबंधन के उद्देश्यों, उपलब्धियों और संभावित सहयोगी परिणामों को उजागर करने के लिए चुनिंदा देशों के दूतावासों/उच्चायोगों और उनके संबंधित नदी शहरों की भागीदारी देखने को मिली। स्वच्छ गंगा के लिए राज्य मिशन (एसएमसीजी) और विश्व बैंक, एशियाई विकास बैंक (एडीबी), जापान अंतर्राष्ट्रीय सहयोग एजेंसी (जेआईसीए) और पुनर्निर्माण क्रेडिट संस्थान (केएफडब्ल्यू) जैसी फंडिंग एजेंसियों ने भी चर्चाओं में हिस्सा लिया।




रिवर-सिटीज एलायंस वैश्विक संगोष्ठी की अध्यक्षता राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन (एनएमसीजी) के महानिदेशक श्री जी अशोक कुमार ने की।


राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन (एनएमसीजी) के महानिदेशक श्री जी अशोक कुमार ने सभा को संबोधित करते हुए आरसीए में शामिल होने वाले शहरों की संख्या में वृद्धि पर प्रसन्नता व्यक्त की और कहा कि राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन इस मुद्दे पर अत्यधिक रुचि उत्पन्न करने में सक्षम रहा है। उन्होंने कहा कि पानी की धारा शहरी नदी प्रबंधन योजना के साथ शुरू हुई और तब से बह रही है। उन्होंने जलवायु परिवर्तन और शहरी जल प्रबंधन से संबंधित मुद्दों के महत्व पर बल दिया और बताया कि कैसे शहरी योजनाकारों के सामने एक गंभीर चुनौती है। श्री अशोक कुमार ने कहा, "जलवायु परिवर्तन एक वास्तविकता है। हम इसे अब दिल्ली में देख सकते हैं जहां मई के महीने में हमें कंबल की जरूरत पड़ रही है।''


उन्होंने बताया कि आरसीए नदी के किनारे 30 शहरों के साथ शुरू हुआ और अंततः इसे गंगा बेसिन तक सीमित न रखते हुए सभी शहरों में विस्तारित करने का निर्णय लिया गया। उन्होंने कहा, "पुणे में धारा 2023 कार्यक्रम के दौरान, हम शहर के योजनाकारों की प्रतिक्रिया देखने के लिए उत्साहित थे, जिन्होंने पानी को महत्वहीन चीज़ के रूप में देखा।" उन्होंने कहा, "लोग और प्रशासक अब वास्तविकता के प्रति सजग हो रहे हैं क्योंकि उन्होंने महसूस किया है पानी से संबंधित मुद्दे जैसे बाढ़, सूखा, अपर्याप्त अपशिष्ट प्रबंधन आदि शहरों को बंद कर सकते हैं। राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन के महानिदेशक महोदय ने आशा व्यक्त की कि शहरी योजनाकार योजना स्तर पर जल प्रबंधन को शामिल करते हैं और इसके लायक प्राथमिकता देना शुरू करते हैं।




श्री अशोक कुमार ने कहा कि प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी के नेतृत्व में स्वच्छ भारत मिशन और जल जीवन मिशन अच्छी तरह से आगे बढ़ रहा है और जल और स्वच्छता क्षेत्रों में विश्व स्तर के उदाहरणों पर सकारात्मक प्रभाव डाल रहा है। उन्होंने कहा कि खुले में शौच पर रोक ने सुनिश्चित किया कि पेयजल स्रोत दूषित न हों, जबकि जल जीवन मिशन के अंतर्गत घरेलू जल आपूर्ति से ग्रामीण क्षेत्रों में महिलाओं की परेशानी कम हो रही है, जिन्हें पानी लाने के लिए कई किलोमीटर पैदल चलना पड़ता था। उन्होंने कहा, "शहरीकरण के साथ, अगर हम सीवेज के निपटान पर ध्यान नहीं देते हैं तो यह एक बड़ा खतरा है। शहरी नियोजकों को पूरी तरह से बुनियादी ढांचे पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए ताकि नदियों और अन्य पेयजल स्रोतों को साफ रखा जा सके।''


उन्होंने कहा कि मार्च 2023 में न्यूयॉर्क में आयोजित संयुक्त राष्ट्र जल सम्मेलन 2023 में आरसीए की थीम प्रतिध्वनित हुई थी। श्री अशोक कुमार ने कहा, "भारत में जल क्षेत्र में समय पर सफलता मुख्य रूप से लोगों की भागीदारी (जन भागीदारी) और संपूर्ण सरकार के दृष्टिकोण के कारण है।" उन्होंने कहा, "अब समय आ गया है, जैसी कि केंद्रीय जल शक्ति मंत्री ने परिकल्पना की है, पानी को विभाजित करने वाले भूमिगत भंडारणों को तोड़ने के लिए पूरी दुनिया के दृष्टिकोण की ओर बढ़ने का है।"


उन्होंने विश्व के प्रतिनिधियों से सहयोग करने, एक साथ काम करने, एक-दूसरे की सर्वोत्तम प्रथाओं को चुनने, ज्ञान साझा करने (ज्ञान भागीदारी), परिवर्तनकारी समाधानों के साथ आने और सफलता में साझा करने का आह्वान किया।




उन्होंने आरसीए ग्लोबल पर कहा कि विदेशों में राइन और टेम्स जैसी नदियों की सफाई हमारे लिए एक सबक और प्रेरणा है और हमें भारत में सुंदर शहरों का निर्माण करने के लिए अंतरराष्ट्रीय शहरों के साथ साझेदारी करनी चाहिए जिससे लोग अपनी नदियों पर गर्व कर सकें और लोग रिवर फ्रंट के अनुभव का आनंद ले सकें। उन्होंने कहा, "अंतर्राष्ट्रीय शहरों का अपनी नदियों को स्वच्छ बनाने, नदी के गुणों में सुधार करने, नदी की बाढ़ के प्रबंधन और सौंदर्य मूल्य में वृद्धि के अनुभव को हमारे लिए उपयोगी सबक के रूप में देखा जा सकता है। आरसीए ग्लोबल प्लेटफॉर्म को विदेशों के अनुभव का लाभ उठाना चाहिए।'' उन्होंने यह भी कहा कि यह किसी की नकल करने के बारे में नहीं है बल्कि आवश्यकताओं के अनुसार अनुकूलन योग्य सर्वोत्तम प्रथाओं को अपनाने और हमारे शहरों को और अधिक सुंदर बनाने के लिए उनका उपयोग करने के बारे में है।


राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन (एनएमसीजी) के महानिदेशक ने बताया कि नमामि गंगे को कनाडा के मॉन्ट्रियल में 'प्राकृतिक दुनिया को पुनर्जीवित करने के लिए शीर्ष 10 विश्व बहाली फ्लैगशिप' के रूप में मान्यता दी गई थी और स्वच्छ गंगा, जो असंभव लग रहा था, अब वास्तविकता बंता जा रहा है। उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन जल वितरण में समानता, सुरक्षित पेयजल तक पहुंच, पानी के लोकतंत्रीकरण आदि के सतत विकास लक्ष्यों के लिए प्रतिबद्ध है।


कार्यक्रम के पहले सत्र में एशियाई विकास बैंक संस्थान (एडीबीआई) ने 'जापान में विकेन्द्रीकृत शहरी अपशिष्ट जल प्रबंधन प्रणाली' पर एक प्रस्तुति दी, और एक दूतावास गोलमेज चर्चा हुई।


सत्र 2 आरसीए की संदर्भ सेटिंग के साथ शुरू हुआ जिसमें राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन के शहरी एजेंडा, शहरी नदी प्रबंधन योजना (यूआरएमपी) नदी प्रबंधन से संबंधित आरसीए और भविष्य के लक्ष्यों/कार्रवाइयों पर टिप्पणियों के साथ ढांचा का परिचय शामिल था। इसके अलावा, उदयपुर-आरहस के केस स्टडी पर फोकस के साथ भारत-डेनमार्क पार्टनरशिप के प्रतिनिधियों की ओर से एक प्रस्तुति भी दी गई। इस सत्र में आरसीए शहरों - अयोध्या और छत्रपति संभाजी नगर पर एक और प्रस्तुति दी गई।


राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन (एनएमसीजी) स्वच्छ-गंगा ने अंतर्राष्ट्रीय शहरों - ग्रेटर मैनचेस्टर से श्री मार्क टर्नर (नेशनल कोर्स जीएम टीम लीडर, ग्रेटर मैनचेस्टर कंबाइंड अथॉरिटी), सिटी ऑफ हैम्बर्ग द्वारा मिस्टर क्रिश्चियन एबेल (हैम्बर्ग में ईयू वाटर फ्रेमवर्क डायरेक्टिव के कार्यान्वयन के लिए डेस्क अधिकारी) द्वारा एल्बे नदी मुक्त और हैम्बर्ग के हंसियाटिक शहर के लिए), कोपेनहेगन शहर श्री जान बर्गडॉर्फ नेसिल्सन द्वारा, कोपेनहेगन की नगर पालिका और आरहस शहर, श्री गिट्टे नोर्मंड एंडर्सन (आर्फस नगर पालिका) प्रस्तुतियों की सुविधा प्रदान की। सत्र 2 के दौरान भी एक खुली चर्चा का आयोजन किया गया और राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन (एनएमसीजी) के उप सचिव श्री धीरज जोशी के धन्यवाद प्रस्ताव के साथ समाप्त हुआ।


राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन (एनएमसीजी) के कार्यकारी निदेशक (तकनीकी) श्री डी.पी मथुरिया ने विशेष भाषण दिया और बताया कि कैसे भारत जल क्षेत्र में भारी निवेश कर रहा है, लेकिन जल सुरक्षा और जलवायु परिवर्तन की दोहरी चुनौतियों का सामना भी कर रहा है। उन्होंने कहा कि पानी को न्यायसंगत बनाने में ये दोनों कारक आपस में जुड़े हुए हैं। उन्होंने जल सुरक्षा के पहलुओं को जल प्रबंधन और जल गुणवत्ता पर भी ध्यान केन्द्रित किया। श्री मथुरिया ने कहा कि राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन (एनएमसीजी) ने बड़ी संख्या में एसटीपी विकसित किए हैं जो मल संदूषण के मुद्दों को हल करने में सक्षम हैं। उन्होंने कहा कि नदियों में गिरने वाले जैविक कचरे के समाधान के संदर्भ में प्रकृति-आधारित समाधान और विकेंद्रीकृत प्रणालियां बहुत महत्वपूर्ण संपत्ति होंगी।


अन्य प्रतिभागियों में श्री मुकुल वर्मा (वरिष्ठ सलाहकार - इन्फ्रास्ट्रक्चर एंड फाइनेंशियल सर्विसेज, ब्रिटेन दूतावास), श्री शायन यूसेफी (ऑस्ट्रिया दूतावास), श्री बीट लैंगसेट (जलवायु और पर्यावरण के लिए परामर्शदाता, रॉयल नॉर्वेजियन दूतावास), सुश्री अनीता शर्मा (काउंसलर इन अर्बन डेवलपमेंट विद फोकस ऑन वॉटर, एम्बेसी ऑफ डेनमार्क), श्री आर.के. श्रीनिवासन (यूएसएआईडी के वरिष्ठ जल और स्वच्छता सलाहकार, अमेरिकी दूतावास), श्री डर्क स्टीफ्स-एनएन (आर्थिक सहयोग और विकास के उप प्रमुख, जर्मनी के संघीय गणराज्य के दूतावास), सुश्री मार्टिना बर्कार्ड (कार्यक्रम प्रमुख, जीआईजेड), सुश्री निशि पंत (वरिष्ठ नीति सलाहकार, नीदरलैंड दूतावास), श्री जुन सुमोरी (काउंसलर, आर्थिक सहयोग, जापान दूतावास), श्री कज़ुशी हाशिमोटो (सलाहकार, एडीबीआई), प्रोफेसर मनबेंद्र सहरिया (सहायक प्रोफेसर, आईआईटी दिल्ली), और प्रोफेसर आशीष पांडे (एचओडी, जल संसाधन विकास एवं प्रबंधन विभाग, आईआईटी रुड़की) शामिल थे।


राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन (एनएमसीजी)-राष्ट्रीय शहरी कार्य संस्थान (एनआईयूए) सहयोग




राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन (एनएमसीजी)-राष्ट्रीय शहरी कार्य संस्थान (एनआईयूए) सहयोग ने पूरे भारत में 110 नदी शहरों के 'रिवर सिटीज एलायंस (RCA)' की ऐतिहासिक स्थापना देखी है, जिसमें एक अंतरराष्ट्रीय सदस्य शहर - डेनमार्क का आरहस शहर है। 23 मार्च, 2023 को 'संयुक्त राष्ट्र 2023 जल सम्मेलन - जल कार्रवाई एजेंडा' के दौरान राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन के साइड इवेंट में आरसीए एक महत्वपूर्ण पहल थी, जिसने 'रिवर सिटीज एलायंस: बिल्डिंग फॉर पार्टनरशिप' से संबंधित प्रतिबद्धता के लिए अंतर्राष्ट्रीय नदी संवेदनशील शहर' के एक प्रमुख भागीदार के रूप में जर्मनी के महत्व पर प्रकाश डाला।


राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन (एनएमसीजी)-राष्ट्रीय शहरी कार्य संस्थान (एनआईयूए) के साथ हमारे शहरों में नदी के प्रति संवेदनशील विकास को बढ़ावा देने के लिए एक संयुक्त पहल पर अथक रूप से काम कर रहा है। यह दिसंबर 2019 में राष्ट्रीय गंगा परिषद (एनजीसी) की पहली बैठक में नदी शहरों में नई सोच के लिए प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के आह्वान के जवाब में है। इसलिए, आरसीए वैश्विक संगोष्ठी के दौरान राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन आरसीए के सदस्यों के रूप में अंतरराष्ट्रीय शहरों को शामिल करके प्रतिबद्धता को गहरा करना चाहता है। इसका उद्देशय शहरी नदी प्रबंधन के लिए नई प्रथाओं और दृष्टिकोणों को सीखने के लिए भारतीय शहरों के लिए ज्ञान विनिमय (ऑनलाइन) की सुविधा प्रदान करना है। इसी तरह, यह अंतर्राष्ट्रीय शहरों के लिए भी भारतीय शहरों में अनुभवों के बारे में जानने का एक अवसर होगा, जो उनके संदर्भों के लिए प्रासंगिक हो सकता है।


रिवर-सिटीज एलायंस


रिवर-सिटीज एलायंस (आरसीए), जल शक्ति मंत्रालय (एमओजेएस) और आवासन और शहरी कार्य मंत्रालय (एमओएचयूए) के अंतर्गत जल संसाधन, नदी विकास और गंगा संरक्षण विभाग की एक संयुक्त पहल है, जिसका उद्देश्य नदी शहरों को आपस में जोड़ना और सतत नदी केंद्रित विकास पर ध्यान केंद्रित करना है। नवंबर 2021 में 30 सदस्य शहरों के साथ शुरू होकर, इस गठबंधन का विस्तार पूरे भारत में 109 नदी शहरों और डेनमार्क से एक अंतरराष्ट्रीय सदस्य शहर तक हो गया है।


शहरी नदियों के लिए समग्र कार्रवाई का संचालन (डीएचएआरए) 2023


आरसीए की पहली वार्षिक बैठक - धारा 2023 (शहरी नदियों के लिए समग्र कार्रवाई का संचालन) 13-14 फरवरी, 2023 को पुणे में आयोजित की गई थी। धारा 2023 में शहरी नदी प्रबंधन के लिए अंतर्राष्ट्रीय सर्वोत्तम प्रथाओं और उदाहरणों पर प्रमुख सत्र आयोजित किए गए। धारा 2023 का उद्देश्य आरसीए के सदस्यों को अपने शहरों में शहरी नदी प्रबंधन के लिए प्रगतिशील कार्यों में संलग्न होने के लिए प्रेरित करना था। इस कार्यक्रम ने शहरों में नदी प्रबंधन के लिए अनसुलझे मुद्दों और चुनौतियों पर प्रकाश डाला, जिससे राष्ट्रीय शहरी कार्य संस्थान (एनआईयूए) और उसके भागीदारों को एक प्रभावी कार्य योजना तैयार करने में मदद मिली। इस कार्यक्रम ने तकनीकी समाधानों का एक सार-संग्रह विकसित करने में भी मदद की, जिसे शहर अपनी स्थानीय नदियों के प्रबंधन को बढ़ाने के लिए अपना सकते हैं।

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Journalist Anil Prabhakar

Editor UPVIRAL24 NEWS