पर्यावरण के साथ संतुलित विकास' विषय पर सिविल20 इंडिया 2023 के स्थापना सम्मेलन का पहला पूर्ण सत्र हुआ

पर्यावरण के साथ संतुलित विकास' विषय पर सिविल20 इंडिया 2023 के स्थापना सम्मेलन का पहला पूर्ण सत्र हुआ

सत्र मुख्‍य रूप से एकीकृत समग्र स्वास्थ्य, स्‍थायी और लचीले समूहों, लाइफ और नदियों तथा जल प्रबंधन के पुनरुद्धार पर केंद्रित रहा


सिविल-20 (सी-20) भारत 2023 के स्थापना सम्मेलन का पहला पूर्ण सत्र आज (20 मार्च, 2023) नागपुर में आयोजित किया गया। सत्र का विषय था 'पर्यावरण के साथ संतुलित विकास'। सत्र की अध्यक्षता पूर्व मुख्य सूचना आयुक्त सत्यानंद मिश्रा ने की।


सत्र के वक्ताओं में द क्लिंटन हेल्थ एक्सेस इनिशिएटिव के नैदानिक ​​निदेशक डॉ. एंडी कारमोन, टीयू डेल्फ़्ट, नीदरलैंड्स में पर्यावरण प्रौद्योगिकी के प्रोफेसर, डॉ. मर्ले डे क्रुक, माजुली, असम के पर्यावरणविद जादव पायेंग और बाढ़ और सूखे पर पीपल्स वर्ल्ड कमीशन की आयुक्त इंदिरा खुराना शामिल थे।


इस सत्र में सिविल 20 इंडिया 2023 के निम्नलिखित कार्य समूह शामिल थे: एकीकृत समग्र स्वास्थ्य: मन, शरीर और पर्यावरण; स्‍थायी और लचीले समूह: जलवायु, पर्यावरण और शुद्ध शून्य लक्ष्य; पर्यावरण के लिए जीवन शैली (लाइफ); और नदियों और जल प्रबंधन का पुनरुद्धार। इन कार्य समूहों के संबंधित समन्वयकों ने भी सत्र में बात की। इनमें अमृता विश्व विद्यापीठम के स्कूल ऑफ मेडिसिन की डॉ. प्रिया नायर, अमृता विश्व विद्यापीठम की प्रोवोस्ट डॉ. मनीषा सुधीर, योजक के अध्‍यक्ष डॉ. गजानन डांगे और सत्संग फाउंडेशन, इंडिया के वासुकी कल्याणसुंदरम शामिल थे।


अध्यक्ष के रूप में सत्यानंद मिश्रा ने टिप्पणी की कि कार्य समूह के सभी विषयों में एक सामान्य विषय संयोग से मिलता था जो यह था कि मनुष्य अपने परिवेश और प्रकृति के मामले में एक-दूसरे पर आश्रित है। ऐसा माना जा रहा है कि माता अमृतानंदमयी (अम्मा) सिविल20 इंडिया 2023 चेयर के विचार व्‍यापक रूप से बढ़ावा देती रही हैं और उसका प्रचार करती रही हैं।


डॉ. प्रिया नायर ने समग्र स्वास्थ्य की अवधारणा के बारे में विस्तार से बताया जो स्वास्थ्य और पर्यावरण के बीच संबंध पर जोर देता है। उन्होंने कहा कि उनके कार्य समूह ने समग्र स्वास्थ्य पर उनके कार्य समूह की गतिविधियों से संबंधित सर्वोत्तम उदाहरणों की तलाश की। उन्होंने समग्र स्‍वास्‍थ्‍य के अभिन्‍न अंग के रूप में मानसिक स्वास्थ्य, पोषण, बुजुर्ग स्वास्थ्य और जीवन की देखभाल 'समग्र स्वास्थ्य, गैर-संचारी रोग, एक स्वास्थ्य तथा महिला एवं बाल स्वास्थ्य पर विशेष रूप से चर्चा की।


डॉ. मनीष सुधीर ने कहा कि कार्य समूह ने चार उप-विषयों पर ध्यान केंद्रित किया: इनमें जलवायु लचीलापन और सामाजिक न्याय; पर्यावरण स्थिरता, शुद्ध शून्य उत्सर्जन प्रबंधन, तथा निरंतर विकास के लिए करुणा प्रेरित दृष्टिकोण शामिल हैं।


श्री गजानन डांगे ने कहा कि जीवन शैली और विकास जुड़ा हुआ है। उन्होंने कहा कि हमें मूल्य आधारित ढांचे के साथ लक्ष्य आधारित ढांचे को जोड़ना चाहिए। मूल्य आधारित दृष्टिकोण ढांचे को जोड़ना पर्यावरण केन्‍द्रित जीवन शैली के लिए महत्वपूर्ण होगा। उन्होंने कहा कि हम दुनिया के लिए विकास के भारतीय तरीके को आगे बढ़ाएंगे।


वासुकी कल्याणसुंदरम ने नदियों के संरक्षण के महत्व के बारे में बात की। नदियों का लुप्त होना और जल निकायों का प्रदूषण एक चिंता का विषय था। उन्होंने जल प्रबंधन में 5-आर (5R)- कम इस्‍तेमाल, पुन: उपयोग, रिचार्ज, रीसायकल करें और सम्मान की भूमिका पर प्रकाश डाला। उन्‍होंने कहा कि यह एक सकारात्‍मक संकेत है कि दुनिया भर की सरकारों जैसे भारत और न्यूजीलैंड ने नदियों की एक जीवित इकाई के रूप में पहचान की गई है।


डॉ. एंडी कारमोन ने कहा कि स्वास्थ्य पर चर्चा करते समय दो विषय बहुत महत्वपूर्ण थे: समानता और लिंग एकीकरण तथा समग्र स्वास्थ्य। उन्होंने जोर देकर कहा कि हमें सुदूरवर्ती  क्षेत्रों में रहने वाले लोगों और उपेक्षित लोगों की स्वास्थ्य समस्याओं पर ध्यान देने की आवश्यकता है।


डॉ. मेरले डी क्रुक ने जल चक्र के महत्व के बारे में बात की। उन्होंने कहा कि मानवता ने जल चक्र को तोड़ दिया। वैज्ञानिकों और शोधकर्ताओं के रूप में, हम इसे सुधारने के तरीकों की तलाश कर रहे हैं, लेकिन हमें इसे ठीक करने की आवश्यकता है। जलवायु परिवर्तन की समस्‍या के समाधान और उसे सीमित करना ही जल चक्र को ठीक करने का हमारे पास एकमात्र अवसर है।


इंदिरा खुराना ने जलवायु परिवर्तन, सूखा और बाढ़ विषय पर बात की। उन्होंने वर्षा जल संरक्षण के महत्व के बारे में बात की। उन्होंने विकेन्द्रीकृत जल संरक्षण दृष्टिकोण की चर्चा की, जो आवश्यक पहलुओं के रूप में पारिस्थितिकी और क्षेत्र की वर्षा के साथ स्वदेशी ज्ञान तथा फसल की खेती को देखता है। उन्‍होंने समुदाय की भागीदारी के महत्व पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि उत्सर्जन पर ध्यान केंद्रित करना पर्याप्त नहीं था और जल और जल संरक्षण पर ध्यान देने की आवश्यकता थी। जलवायु की किसी भी चर्चा के एजेंडे में पानी होना चाहिए।


जादव पायेंग ने वन संरक्षण में अपने काम के बारे में बात की। उन्होंने वृक्षारोपण और पोषण की भूमिका पर जोर दिया। पेड़ों को न केवल लगाया जाना चाहिए बल्कि उनका पालन-पोषण होना चाहिए। उन्‍होंने कहा कि उनके द्वारा रोपे गए जंगलों ने जीवों की विविधता को जन्म दिया है। उनके जंगल में एक प्रोजेक्ट खोला गया था जो पर्यावरण से प्यार और सम्मान करना और पेड़ लगाना सिखा रहा था। उन्होंने सभी से केक काटने के बजाय अपने जन्मदिन पर एक पेड़ लगाने की अपील की।


सत्यानंद मिश्र ने सभी वक्ताओं को धन्यवाद देते हुए सत्र का समापन किया। उन्होंने कहा कि सत्र में पर्यावरण से जुड़े कई महत्वपूर्ण मुद्दों पर चर्चा हुई।

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Journalist Anil Prabhakar

Editor UPVIRAL24 NEWS