श्री प्रधान ने छात्रों से समाज को लाभान्वित करने और वैश्विक चुनौतियों का समाधान खोजने का आह्वान किया
श्री धर्मेंद्र प्रधान ने हैदराबाद विश्वविद्यालय के 22वें दीक्षांत समारोह को संबोधित किया
केंद्रीय शिक्षा और कौशल विकास तथा हैप्पी बर्थडे उद्यमिता मंत्री श्री धर्मेंद्र प्रधान ने आज हैदराबाद विश्वविद्यालय के 22वें दीक्षांत समारोह को संबोधित किया। तेलंगाना राज्य की राज्यपाल और हैदराबाद विश्वविद्यालय की चीफ रेक्टर डॉ. तमिलिसाई सुंदरराजन इस अवसर पर उपस्थित थीं।
श्री धर्मेंद्र प्रधान ने सभा को संबोधित करते हुए कहा कि हैदराबाद को मोतियों की नगरी के रूप में जाना जाता है। यह एक ऐसा शहर भी है जो बौद्धिक मोती पैदा कर रहा है। उन्होंने कहा कि हैदराबाद अपने आईटी कौशल के लिए जाना जाता है। यह देश के एक प्रमुख चिकित्सा प्रौद्योगिकी केंद्र के रूप में भी उभर रहा है। उन्होंने कहा कि हैदराबाद विश्वविद्यालय एक उत्कृष्टता केंद्र के रूप में उभर रहा है। उन्होंने विश्वास व्यक्त करते हुए कहा कि यह विश्वविद्यालय 21वीं सदी में ज्ञान आधारित अर्थव्यवस्था का पथ प्रदर्शक होगा।
श्री प्रधान ने कहा कि हैदराबाद विश्वविद्यालय के दीक्षांत समारोह में बड़ी संख्या में छात्राओं को सम्मानित किया जा रहा है। हमारी नारीशक्ति हमारे देश के आर्थिक हितसाधन में एक प्रमुख भूमिका निभाएगी।
श्री प्रधान ने कहा कि आज जलवायु परिवर्तन, बदलते कृषि पैटर्न, नई बीमारियां सभी के लिए चिंता का विषय है। समाज इन कठिन चुनौतियों का समाधान प्रदान करने के लिए जानकार लोगों की ओर देख रहा है और हैदराबाद विश्वविद्यालय इन चुनौतियों का समाधान प्रदान करने में सक्षम है। उन्होंने कहा कि भारत एक प्रमुख आर्थिक महाशक्ति और ज्ञान आधारित अर्थव्यवस्था बनने की आकांक्षा रखता है। नवाचार और उद्यमिता हमें आगे ले जाएगी। उन्होंने कहा कि हमें अपने समाज को विकसित करने के लिए और अधिक वेल्थ-क्रिएटर और जॉब-क्रिएटर तैयार करना चाहिए।
श्री प्रधान ने यह भी कहा कि भारत एक बहुत पुरानी सभ्यता है, जिसका विज्ञान और प्रौद्योगिकी से गहरा संबंध है। कोविड-19 महामारी ने दिखाया है कि भारतीय ज्ञान प्रणाली और भारतीय जीवन-शैली के पास दुनिया को देने के लिए बहुत कुछ है। हमें आधुनिक संदर्भ में भारतीय ज्ञान प्रणाली (आईकेएस) को बढ़ावा देना है।
श्री प्रधान ने जोर देकर कहा कि दुनिया बड़ी उम्मीद से भारत की ओर देख रही है। अगले 25 साल हम सभी के लिए महत्वपूर्ण हैं। जैसे ही हम अमृत काल में प्रवेश करते हैं, एनईपी 2020 मानवता के कल्याण के लिए एक मार्गदर्शक दर्शन बनी हुई है। पूरी पृथ्वी की देखभाल करना भारत की जिम्मेदारी है।
उन्होंने कहा कि भारत जलवायु परिवर्तन, खाद्य की कमी से लड़ने, शांति और सद्भाव का मार्ग प्रशस्त करने और स्वास्थ्य देखभाल और आर्थिक मॉडल प्रदान करने में दुनिया के लिए बेंचमार्क बनने जा रहा है। उन्होंने कहा कि भारत एनईपी 2020 के दर्शन के आधार पर मानवता के अग्रणी प्रकाश स्तंभ के रूप में उभरेगा।
बाद में, श्री प्रधान ने कहा कि जब भारत स्वतंत्रता के 100 वर्ष मनाएगा, तो हैदराबाद विश्वविद्यालय हमारे ज्ञान-आधारित समाज के प्रमुख केंद्रों में से एक होगा। उन्होंने छात्रों से अपनी शिक्षा को अधिक सार्थक और उद्देश्यपूर्ण बनाने के लिए समाज को लाभान्वित करने का आग्रह किया।
हैदराबाद विश्वविद्यालय ने विभिन्न पाठ्यक्रमों में नामांकित 4800 छात्रों को प्रतिष्ठित डिग्रियां प्रदान कीं, जिनमें से 1631 ने व्यक्तिगत रूप से अपनी डिग्री प्राप्त की और अनुपस्थित रहे, 573 पीएच.डी. विद्वानों और कई छात्रों को उनके असाधारण निष्पादन के लिए पुरस्कार और पदक से सम्मानित किया गया।