जालौन : कंगारू मदर केयर और स्तनपान कराने का बताया जा रहा सही तरीका

कंगारू मदर केयर और स्तनपान कराने का बताया जा रहा सही तरीका   स्तनपान से रोग प्रतिरोधक क्षमता में होती है वृद्धि, स्तनपान को लेकर न पालें भ्रम  जालौन : जिला महिला अस्पताल के ऊपरी मंजिल में बने कंगारु मदर केयर (केएमसी) वार्ड में माताओं को स्तनपान कराने का सहीतरीका सिखाया जा रहा है। केएमसी वार्ड में इलाज के लिए बच्चों को लेकर आने वाली धात्री माताओं को बताया जाता है कि बच्चे को छह माह तक सिर्फ और सिर्फ अपना दूध पिलायें | ऊपरी दूध पिलाने से बच्चे संक्रमण की चपेट में आते हैं। ऐसे बच्चों के इलाज के साथ ही माताओं को दूध पिलाने  का तरीका भी सिखाया जाता है।   जिला महिला अस्पताल के मुख्य चिकित्सा अधीक्षक डा. एनआर वर्मा का कहना है  कि शिशु कोजन्म से छह माह तक केवल मां का दूध ही देना चाहिए। स्तनपान से माँ एवं बच्चे दोनों को लाभ होता है  । स्तनपान को लेकर माताएं किसी तरह का भ्रम न पालें। जब महिलाएं स्तनपान कराती हैं तो उनके शरीर से लगभग 500 कैलोरी ऊर्जा खर्च होती है, इससे प्राकृतिक ढंग से वजन कम करने में मदद मिलती है। स्तनपान मां और शिशु के बीच भावनात्मक रिश्ते को मजबूत करता है। स्तनपान ब्रेस्ट और ओवेरियन कैंसर के खतरे को खत्म करता है। स्तनपान कराने वाली मां को भी अपने  खानपान का ख्याल रखना चाहिए,  क्योंकि जैसा आहार माताएं ग्रहण करेंगी उसके शिशु पर भी वैसा ही असर पड़ेगा।    एसएनसीयू एवं केएमसी वार्ड के नोडल अधिकारी डा. एसके पाल का कहना  है कि अगस्त 2020 से अगस्त 2021 तक 150 बच्चों और अगस्त 2021 से अगस्त 2022 तक 175 बच्चों को केएमसी के माध्यम से माताओं को स्तनपान का तरीका बताया गया। उन्हें बताया गया कि जिस प्रकार कंगारू अपने बच्चे को सीने से लगाकर दूध पिलाती है, उसी प्रकार माताओं को दूध पिलाना चाहिए। छह माह तक केवल मां का दूध ही बच्चे के पोषण में मदद करता है।      केस-1-  -स्तनपान से आठ दिन में सुधर गई सेहत  कदौरा के बारा निवासी आरती नेतीनअगस्त को बेटे को जन्म दिया । जन्म के समय बेटे का वजन 1500 ग्राम था। घर में उचित देखभाल न होने और ऊपरी दूध पिलाने की वजह से बच्चे की सेहत गिरने लगी। वजन घटकर 1300 ग्राम पहुंच गया। ब्लड, शुगर लेबल भी कम हो गया। इस पर परिजन 20 अगस्त को जिला महिला अस्पताल के कंगारु मदर केयर (केएमसी) वार्ड पहुंचे। जहां चिकित्सकों की सलाह पर बच्चों को स्तनपान कराया। आठ दिन में सेहत में सुधार आया और 1600 ग्राम वजन होने पर बच्चे को डिस्चार्ज कर दिया गया।      केस-2-  कम होते वजन  को देखकर पहुंचे केएमसी  जालौन ब्लाक के ग्राम बिरिया निवासी अस्मिता को 31 जुलाई को बेटा हुआ । जन्म के वक्त बेटे का वजन 1800 ग्राम था। बेटा जालौन के एक प्राइवेट अस्पताल में हुआ था। अस्पताल से छुट्टी होने के बाद घर जाकर मां ने बेटे को ऊपरी दूध पिलाना शुरू कर दिया।  इससे बेटे का वजन घटकर 1600 ग्राम पहुंच गया। लगातार कमजोर हो रहे बेटे को देखकर परिजन 25 अगस्त कोमहिला अस्पताल के केएमसी वार्ड में लेकर पहुंचे। चिकित्सकों की देखरेख में इलाज चला और चिकित्सकों ने स्तनपान कराने का तरीका समझाया। तीन दिन बाद वजन 1700 ग्राम पहुंचने पर डिस्चार्ज कर दिया गया।    स्तनपान से शिशु को लाभ  बच्चे का स्वास्थ्य भी सही  रहता है एवं वजन भी तेजी से बढ़ता है।  -शारीरिक विकास में मदद मिलती है।  -दूध में रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने की ताकत होती है।  -बच्चों का पाचन तंत्र मजबूत होता है, पेट संबंधी बीमारियां दूर होती है।  -मां के दूध में मानसिक विकास को बढ़ाने की ताकत होती है।  -एलर्जी नहीं होती है। स्तनपान का दूध सुपाच्य होता है।  -मां के दूध में सभी पोषक तत्व होते है, जो बच्चे का संपूर्ण विकास में सहायक होते हैं।

कंगारू मदर केयर और स्तनपान कराने का बताया जा रहा सही तरीका 

स्तनपान से रोग प्रतिरोधक क्षमता में होती है वृद्धि, स्तनपान को लेकर न पालें भ्रम

जालौन : जिला महिला अस्पताल के ऊपरी मंजिल में बने कंगारु मदर केयर (केएमसी) वार्ड में माताओं को स्तनपान कराने का सहीतरीका सिखाया जा रहा है। केएमसी वार्ड में इलाज के लिए बच्चों को लेकर आने वाली धात्री माताओं को बताया जाता है कि बच्चे को छह माह तक सिर्फ और सिर्फ अपना दूध पिलायें | ऊपरी दूध पिलाने से बच्चे संक्रमण की चपेट में आते हैं। ऐसे बच्चों के इलाज के साथ ही माताओं को दूध पिलाने  का तरीका भी सिखाया जाता है। 

जिला महिला अस्पताल के मुख्य चिकित्सा अधीक्षक डा. एनआर वर्मा का कहना है  कि शिशु कोजन्म से छह माह तक केवल मां का दूध ही देना चाहिए। स्तनपान से माँ एवं बच्चे दोनों को लाभ होता है  । स्तनपान को लेकर माताएं किसी तरह का भ्रम न पालें। जब महिलाएं स्तनपान कराती हैं तो उनके शरीर से लगभग 500 कैलोरी ऊर्जा खर्च होती है, इससे प्राकृतिक ढंग से वजन कम करने में मदद मिलती है। स्तनपान मां और शिशु के बीच भावनात्मक रिश्ते को मजबूत करता है। स्तनपान ब्रेस्ट और ओवेरियन कैंसर के खतरे को खत्म करता है। स्तनपान कराने वाली मां को भी अपने  खानपान का ख्याल रखना चाहिए,  क्योंकि जैसा आहार माताएं ग्रहण करेंगी उसके शिशु पर भी वैसा ही असर पड़ेगा।


एसएनसीयू एवं केएमसी वार्ड के नोडल अधिकारी डा. एसके पाल का कहना  है कि अगस्त 2020 से अगस्त 2021 तक 150 बच्चों और अगस्त 2021 से अगस्त 2022 तक 175 बच्चों को केएमसी के माध्यम से माताओं को स्तनपान का तरीका बताया गया। उन्हें बताया गया कि जिस प्रकार कंगारू अपने बच्चे को सीने से लगाकर दूध पिलाती है, उसी प्रकार माताओं को दूध पिलाना चाहिए। छह माह तक केवल मां का दूध ही बच्चे के पोषण में मदद करता है।



केस-1-

-स्तनपान से आठ दिन में सुधर गई सेहत

कदौरा के बारा निवासी आरती नेतीनअगस्त को बेटे को जन्म दिया । जन्म के समय बेटे का वजन 1500 ग्राम था। घर में उचित देखभाल न होने और ऊपरी दूध पिलाने की वजह से बच्चे की सेहत गिरने लगी। वजन घटकर 1300 ग्राम पहुंच गया। ब्लड, शुगर लेबल भी कम हो गया। इस पर परिजन 20 अगस्त को जिला महिला अस्पताल के कंगारु मदर केयर (केएमसी) वार्ड पहुंचे। जहां चिकित्सकों की सलाह पर बच्चों को स्तनपान कराया। आठ दिन में सेहत में सुधार आया और 1600 ग्राम वजन होने पर बच्चे को डिस्चार्ज कर दिया गया।



केस-2-

कम होते वजन  को देखकर पहुंचे केएमसी

जालौन ब्लाक के ग्राम बिरिया निवासी अस्मिता को 31 जुलाई को बेटा हुआ । जन्म के वक्त बेटे का वजन 1800 ग्राम था। बेटा जालौन के एक प्राइवेट अस्पताल में हुआ था। अस्पताल से छुट्टी होने के बाद घर जाकर मां ने बेटे को ऊपरी दूध पिलाना शुरू कर दिया।  इससे बेटे का वजन घटकर 1600 ग्राम पहुंच गया। लगातार कमजोर हो रहे बेटे को देखकर परिजन 25 अगस्त कोमहिला अस्पताल के केएमसी वार्ड में लेकर पहुंचे। चिकित्सकों की देखरेख में इलाज चला और चिकित्सकों ने स्तनपान कराने का तरीका समझाया। तीन दिन बाद वजन 1700 ग्राम पहुंचने पर डिस्चार्ज कर दिया गया।


स्तनपान से शिशु को लाभ

बच्चे का स्वास्थ्य भी सही  रहता है एवं वजन भी तेजी से बढ़ता है।

-शारीरिक विकास में मदद मिलती है।

-दूध में रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने की ताकत होती है।

-बच्चों का पाचन तंत्र मजबूत होता है, पेट संबंधी बीमारियां दूर होती है।

-मां के दूध में मानसिक विकास को बढ़ाने की ताकत होती है।

-एलर्जी नहीं होती है। स्तनपान का दूध सुपाच्य होता है।

-मां के दूध में सभी पोषक तत्व होते है, जो बच्चे का संपूर्ण विकास में सहायक होते हैं।

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Journalist Anil Prabhakar

Editor UPVIRAL24 NEWS