जालौन : क्षय रोगियों का पंजीकरण न करने वाले चिकित्सकों के खिलाफ होगी कार्रवाई : सीएमओ डॉ. नरेंद्र देव शर्मा

जालौन : क्षय रोगियों का पंजीकरण न करने वाले चिकित्सकों के खिलाफ होगी कार्रवाई  इलाज के लिए  आने वाले क्षय रोगियों का पंजीकरण करना  अनिवार्य, प्राइवेट चिकित्सक करें सहयोग    जालौन : टीबी (क्षय रोग) के मरीजों का पंजीकरण करना प्राइवेट चिकित्सकों के लिए अनिवार्य है। ऐसा न करने पर उनके खिलाफ कानूनी कार्रवाई भी की जा सकती है। यह बात मुख्य चिकित्सा अधिकारी डा. नरेंद्र देव शर्मा ने कही। उन्होंने कहा कि क्षय रोग के खात्मे के लिए सरकारी के साथ- साथ प्राइवेट चिकित्सकों की भी जिम्मेदारी है। इस बारे में  सभी प्राइवेट चिकित्सकों को पत्र भी भेज दिया गया है।    जिला क्षय रोग अधिकारी डा.सुग्रीव बाबू ने बताया कि राष्ट्रीय क्षय उन्मूलन कार्यक्रम के अंतर्गत सभी क्षय रोगियों का निक्षय पोर्टल पर पंजीकरण कराना अनिवार्य है। मरीज चाहे सरकारी अस्पताल में इलाज ले रहे हों  या फिर प्राइवेट चिकित्सक के पास। निजी चिकित्सक, लैब और मेडिकल स्टोर पर   जो क्षय रोगी दवा लेने आते है, उनके बारे में क्षय रोग विभाग को जानकारी देना  अनिवार्य है। ऐसा न करने पर  भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 269 व 270  के तहत कार्रवाई का भी प्रावधान है। उन्होंने सभी पंजीकृत चिकित्सकों से अपील की है  कि उनके पास यदि कोई टीबी का मरीज इलाज के लिए आता है तो उसकी जानकारी विभाग को जरूर दें। उन्होंने कहा कि समय से मरीजों  के बारे में प्राइवेट चिकित्सकों से डाटा नहीं मिल पाता है, जिसकी वजह से उन्हें इलाज कराने में देरी होती है। उन्होंने यह भी बताया कि यदि कोई प्राइवेट चिकित्सक किसी क्षय रोगी को चिह्नित करता है और उसे इलाज मुहैया कराता है तो उन्हें भी निक्षय योजना के तहत पांच सौ रुपये प्रति मरीज दिए जाते हैं। यही नहीं इलाज पूरा कराने के बाद प्राइवेट चिकित्सक को 500 रुपये फिर दिए जाते है। कुल मिलाकर एक हजार रुपये दो बार में प्राइवेट चिकित्सक को मिलते है। उन्होंने बताया कि एक जनवरी 2021 से 31 दिसंबर 2021 तक 2063 मरीज सरकारी अस्पताल में इलाज ले रहे है तो 638 मरीज प्राइवेट चिकित्सकों के पास इलाज ले रहे है। 2701 मरीज सरकारी और प्राइवेट में इलाज करा रहे हैं। निक्षय पोषण योजना के तहत 2214 मरीजों के खाते में पांच सौ रुपये भेजे जा रहे हैं।    टीबी अस्पताल के चिकित्साधिकारी डा. कौशल किशोर ने बताया कि किसी मरीज को हफ्ते भर से ज्यादा खांसी, हल्का बुखार आना और वजन कम हो रहा है तो यह टीबी रोग का लक्षण है। ऐसे में मरीज को तत्काल टीबी की जांच करा लेनी चाहिए।    टीबी प्रसार में आरोपित लोगों के लिए सजा का भी प्रावधान है-  धारा 269 में यह है प्रावधान  लापरवाही से काम करने से जीवन के लिए खतरनाक बीमारी का संक्रमण फैलने की संभावना होती है।  इसमें छह महीने की सजा और जुर्माने का प्रावधान है।    धारा 270 में यह है प्रावधान  जो भी द्वेषपूर्ण ढंग से ऐसा कार्य करता है जिसे वह जानता है कि इससे जीवन में खतरनाक संक्रमण फैलने की संभावना है, इसमें दो साल तक की सजा और जुर्माने का प्रावधान है।

जालौन : क्षय रोगियों का पंजीकरण न करने वाले चिकित्सकों के खिलाफ होगी कार्रवाई

इलाज के लिए  आने वाले क्षय रोगियों का पंजीकरण करना  अनिवार्य, प्राइवेट चिकित्सक करें सहयोग


जालौन : टीबी (क्षय रोग) के मरीजों का पंजीकरण करना प्राइवेट चिकित्सकों के लिए अनिवार्य है। ऐसा न करने पर उनके खिलाफ कानूनी कार्रवाई भी की जा सकती है। यह बात मुख्य चिकित्सा अधिकारी डा. नरेंद्र देव शर्मा ने कही। उन्होंने कहा कि क्षय रोग के खात्मे के लिए सरकारी के साथ- साथ प्राइवेट चिकित्सकों की भी जिम्मेदारी है। इस बारे में  सभी प्राइवेट चिकित्सकों को पत्र भी भेज दिया गया है।


जिला क्षय रोग अधिकारी डा.सुग्रीव बाबू ने बताया कि राष्ट्रीय क्षय उन्मूलन कार्यक्रम के अंतर्गत सभी क्षय रोगियों का निक्षय पोर्टल पर पंजीकरण कराना अनिवार्य है। मरीज चाहे सरकारी अस्पताल में इलाज ले रहे हों  या फिर प्राइवेट चिकित्सक के पास। निजी चिकित्सक, लैब और मेडिकल स्टोर पर   जो क्षय रोगी दवा लेने आते है, उनके बारे में क्षय रोग विभाग को जानकारी देना  अनिवार्य है। ऐसा न करने पर  भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 269 व 270  के तहत कार्रवाई का भी प्रावधान है। उन्होंने सभी पंजीकृत चिकित्सकों से अपील की है  कि उनके पास यदि कोई टीबी का मरीज इलाज के लिए आता है तो उसकी जानकारी विभाग को जरूर दें। उन्होंने कहा कि समय से मरीजों  के बारे में प्राइवेट चिकित्सकों से डाटा नहीं मिल पाता है, जिसकी वजह से उन्हें इलाज कराने में देरी होती है। उन्होंने यह भी बताया कि यदि कोई प्राइवेट चिकित्सक किसी क्षय रोगी को चिह्नित करता है और उसे इलाज मुहैया कराता है तो उन्हें भी निक्षय योजना के तहत पांच सौ रुपये प्रति मरीज दिए जाते हैं। यही नहीं इलाज पूरा कराने के बाद प्राइवेट चिकित्सक को 500 रुपये फिर दिए जाते है। कुल मिलाकर एक हजार रुपये दो बार में प्राइवेट चिकित्सक को मिलते है। उन्होंने बताया कि एक जनवरी 2021 से 31 दिसंबर 2021 तक 2063 मरीज सरकारी अस्पताल में इलाज ले रहे है तो 638 मरीज प्राइवेट चिकित्सकों के पास इलाज ले रहे है। 2701 मरीज सरकारी और प्राइवेट में इलाज करा रहे हैं। निक्षय पोषण योजना के तहत 2214 मरीजों के खाते में पांच सौ रुपये भेजे जा रहे हैं।


टीबी अस्पताल के चिकित्साधिकारी डा. कौशल किशोर ने बताया कि किसी मरीज को हफ्ते भर से ज्यादा खांसी, हल्का बुखार आना और वजन कम हो रहा है तो यह टीबी रोग का लक्षण है। ऐसे में मरीज को तत्काल टीबी की जांच करा लेनी चाहिए।


टीबी प्रसार में आरोपित लोगों के लिए सजा का भी प्रावधान है-

धारा 269 में यह है प्रावधान

लापरवाही से काम करने से जीवन के लिए खतरनाक बीमारी का संक्रमण फैलने की संभावना होती है।

इसमें छह महीने की सजा और जुर्माने का प्रावधान है।


धारा 270 में यह है प्रावधान

जो भी द्वेषपूर्ण ढंग से ऐसा कार्य करता है जिसे वह जानता है कि इससे जीवन में खतरनाक संक्रमण फैलने की संभावना है, इसमें दो साल तक की सजा और जुर्माने का प्रावधान है।

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Journalist Anil Prabhakar

Editor UPVIRAL24 NEWS