उपराष्ट्रपति श्री एम वेंकैया नायडू ने चुनावों को अधिक समावेशी बनाने के लिए 75 प्रतिशत मतदान सुनिश्चित करने का आह्वाहन किया
श्री नायडू ने एक साथ चुनाव कराए जाने पर सहमति बनाने का आग्रह किया
उपराष्ट्रपति ने सत्तर वर्षों में पहली बार, 2019 आम चुनावों में पुरुषों के मुकाबले महिला मतदाताओं का अधिक प्रतिशत होने पर खुशी जाहिर की
उपराष्ट्रपति ने मतदान में वृद्धि और चुनावी प्रक्रिया की विश्वसनीयता बढ़ाने के लिए टेक्नोलॉजी समाधानों की वकालत की
श्री नायडू ने मतदाताओं से उम्मीदवारों के गुण दोष के आधार पर निर्णय कर मतदान करने का आग्रह किया
उपराष्ट्रपति ने एक विश्वसनीय और प्रगतिशील संस्था के रूप में चुनाव आयोग की सराहना की
उपराष्ट्रपति श्री एम वेंकैया नायडू ने आज चुनाव आयोग तथा मतदाताओं से अगले आम चुनावों में 75% तक मतदान प्रतिशत हासिल करने का आह्वाहन किया जिससे चुनावी लोकतंत्र और अधिक समावेशी बन सके। उन्होंने एक साथ चुनाव कराए जाने के विषय पर भी सहमति बनाने का आग्रह किया जिससे प्रगति की गति निर्बाध रहे।
12वें राष्ट्रीय मतदाता दिवस पर अपने संदेश में श्री नायडू ने कहा कि यह सुनिश्चित किया जाना चाहिए कि एक भी मतदाता न छूटे। उन्होंने मतदाताओं से कहा कि चुनावों में उम्मीदवार के गुण दोष की जांच कर, उस के आधार पर मत देने का निर्णय करें। उपराष्ट्रपति कोविड से संक्रमित हैं तथा उन्होंने स्वयं को हैदराबाद में अपने आवास पर ही आइसोलेट कर लिया है। नई दिल्ली में इस आयोजन में उनकी अनुपस्थिति में उनका वक्तव्य पढ़ा गया।
1952 में पहली लोकसभा के लिए हुए आम चुनावों में 44.87% मत प्रतिशत रहा था जो 2019 में 17वीं लोकसभा के लिए हुए आमचुनावों में लगभग 50% बढ़ कर 67.40% तक पहुंच गया। इस उपलब्धि के लिए उपराष्ट्रपति ने सभी संबद्ध हितधारकों की सराहना की। विगत 70 वर्षों में लगातार बेहतरी हासिल करने के चुनाव आयोग के निरंतर प्रयासों की चर्चा करते हुए उन्होंने कहा कि आयोग ने एक विश्वसनीय, जवाबदेह और प्रगतिशील संस्था के रूप में अपनी प्रतिष्ठा स्थापित की है जिस पर लोकतंत्र के हर हिमायती को गौरव करना चाहिए।
उपराष्ट्रपति ने कहा कि हमारे चुनावी लोकतंत्र को अधिक समावेशी बनाने के लिए हर चुनाव में मत प्रतिशत बढ़ाना और मतदाताओं की भागीदारी बढ़ाने के रास्ते में आने वाली बाधाओं का समाधान करना, ये चुनाव आयोग के सामने चुनौती रही है।
उपराष्ट्रपति ने आह्वाहन किया कि आज़ादी के 75वें वर्ष में यह सुनिश्चित किया जाना चाहिए कि कोई भी मतदाता न छूटे तथा अगले आम चुनावों के लिए 75% प्रतिशत मतदान हासिल करने का लक्ष्य रखा जाय। उन्होंने कहा कि यह ध्यान रखा जाना चाहिए कि मताधिकार महज अधिकार नहीं बल्कि एक दायित्व है। श्री नायडू ने हमारी संघीय व्यवस्था के तीनों स्तरों के चुनाव एक साथ कराए जाने पर विचार विमर्श करने तथा एक राष्ट्र के रूप में सहमति बनाने का आग्रह किया जिससे चुनावों के बाद जन कल्याण और प्रगति की गति निर्बाध बनी रहे।
2009 के आम चुनावों में 58.21% मतदान प्रतिशत, 2014 के आम चुनावों में 8% बढ़ कर 66.44% पहुंच गया। इस परिपेक्ष्य में, उपराष्ट्रपति ने कहा कि अगले आम चुनावों में 75% मतदान प्रतिशत का लक्ष्य हासिल करना नितांत संभव है जबकि 2019 के आम चुनावों में मतदान प्रतिशत 67.40% तक रहा। उन्होंने चुनाव आयोग द्वारा मतदाताओं की भागीदारी बढ़ाने के लिए 2009 से शुरु किए गए Systematic Voter Education and Electoral Participation (SVEEP) कार्यक्रम की सराहना की।
सत्तर वर्षों में पहली बार, 2019 के आम चुनावों में महिला मतदाताओं का मत प्रतिशत पुरुष मतदाताओं के मुकाबले 0.17% अधिक रहा। उपराष्ट्रपति ने इसे लैंगिक विभेद समाप्त करने की दिशा में एक शुभ संकेत बताया। ध्यातव्य है कि 1962 के आम चुनावों में पुरुष मतदाताओं का प्रतिशत महिला मतदाताओं के मुकाबले 16.71% अधिक था।
श्री नायडू ने चुनावी मामलों के शीघ्र समाधान पर बल दिया। और कहा कि प्रबुद्ध नागरिक उम्मीदवारों के गुण दोष के आधार पर निर्णय कर मतदान करें। उन्होंने आयोग से आग्रह किया कि वह नवीन प्रणालियां विकसित करे तथा चुनाव प्रक्रिया को मतदाताओं के लिए अधिक सुगम्य बनाने और उसे अधिक विश्वसनीय बनाने हेतु टेक्नोलॉजी समाधान अपनाए। इस संदर्भ में उन्होंने विगत वर्ष के पांच राज्य विधान सभा चुनावों का जिक्र किया जब कोविड प्रतिबंधों और प्रोटोकॉल के बावजूद भी 74 से 84 प्रतिशत तक मतदान हुआ।
इस वर्ष के 12वें राष्ट्रीय मतदाता दिवस समारोह का विषय " Making Our Elections inclusive, Accessible and Participative" है। चुनाव आयोग की स्थापना, हमारे गणतांत्रिक संविधान के लागू होने से एक दिन पूर्व ही 25 जनवरी 1950 को हुई थी। अतः 25 जनवरी को राष्ट्रीय मतदाता दिवस के रूप में मनाया जाता है।
12वे राष्ट्रीय मतदाता दिवस के अवसर उपराष्ट्रपति जी के संदेश का मूल पाठ -
(उपराष्ट्रपति जी के इस संदेश को आज निर्वाचन आयोग द्वारा आयोजित कार्यक्रम में पढ़ा गया)
मुख्य निर्वाचन आयुक्त श्री सुशील चंद्रा, चुनाव आयुक्त गण, केंद्र और राज्य सरकारों के वरिष्ठ अधिकारी गण, सम्मानित अतिथिगण, मीडिया के मित्रों,
सबसे पहले तो आप सभी को और सभी देशवासियों को, 73वें गणतंत्र दिवस की अग्रिम बधाई देता हूं, जिसका आयोजन कल विधिवत किया जाएगा। देश में आयोजित चुनावों के 70 वर्ष पूर्ण हो रहे हैं, देश अपना 73 वां गणतंत्र दिवस भी मना रहा है, साथ ही राष्ट्र लंबे और कठिन संघर्ष के बाद अर्जित आज़ादी का 75वाँ वर्ष भी मना रहा है। इस त्रिसुयोग-संगम के सुअवसर पर आज हम सब यहां एकत्र हैं।
देश के पिछले सात दशकों पर नज़र डालें तो पाएंगे कि हमें विभिन्न क्षेत्रों में अपनी उपलब्धियों पर गौरवान्वित होने का पूरा अधिकार है। सबसे उल्लेखनीय तो यह है कि विश्व के सबसे बड़े लोकतंत्र के रूप में भारत की लोकतांत्रिक संस्थाओं को मज़बूत करने के लिए हम लगातार प्रयास करते रहे हैं। भारत को एक जीवंत, समावेशी और प्रगतिशील लोकतंत्र के रूप में बदलने के सार्थक प्रयास करते रहे हैं जहां हर नागरिक की अपनी आवाज है जो सुनी भी जाती है और हर नागरिक देश के प्रशासन और प्रगति में योगदान देता है।
जब हम आजाद हुए तभी से हमने न सिर्फ सभी के लिए सार्वभौमिक वयस्क मताधिकार लागू करने का साहसी कदम उठाया, बल्कि सभी नागरिकों के मताधिकार को सुरक्षित रखने के लिए चुनाव कराने हेतु प्रामाणिक संस्थागत ढांचा भी तैयार किया।
हमारे लोकतंत्र को समृद्ध बनाने के लिए मैं, मुख्य चुनाव आयुक्त, चुनाव आयुक्तगण, चुनाव आयोग के सभी अधिकारी और कर्मचारियों तथा सभी राज्यों के मुख्य चुनाव अधिकारियों एवं मतदान केंद्र तक पूरी चुनावी प्रक्रिया को सुचारू रूप से निष्पादित करने वाले सभी संबद्ध कर्मचारियों का अभिनंदन करता हूं। आप सभी उस गौरवशाली परंपरा के सच्चे उत्तराधिकारी है जो आपके पूर्ववर्ती आपके लिए छोड़ गए हैं।
1952 के पहले आम चुनावों में जब कुल मतदाताओं में से महज 44.87% ने अपने मताधिकार का प्रयोग किया था, आज हम उस स्थिति से बहुत आगे निकल आए हैं। 2019 के पिछले आम चुनावों में कुल मतदाताओं के दो तिहाई से अधिक अर्थात 67.40% मतदाताओं ने अपने मताधिकार का प्रयोग किया। यह संतोष का विषय है कि आज हमारी गणना विश्व के उन देशों में होती है जहां सर्वोच्च मतदान होता है। विगत 70 वर्षों में वोट देने वाले मतदाताओं में 50% की वृद्धि दर्ज की गई है।
हमारे संविधान निर्माताओं की दूरदृष्टि का अभिनंदन किया जाना चाहिए, उन असंख्य समर्पित अधिकारियों के अथक प्रयासों का, मीडिया, सिविल सोसाइटी तथा जनता और राजनैतिक दलों की सक्रिय भागीदारी का सम्मान किया जाना चाहिए। चुनाव आयोग में उनकी निष्ठा और विश्वास का आदर किया जाना चाहिए।
आज हम वही करने एकत्र हुए हैं। आज जब हम विगत 70 वर्षों के अपने चुनावी इतिहास पर नजर डालते हैं, तब हम उत्तरोत्तर सुधार हासिल करने के उन अथक प्रयासों पर भी विचार करते हैं जिन्होंने चुनाव आयोग को एक प्रामाणिक, जवाबदेह तथा प्रगतिशील संस्था बना दिया और जिन पर लोकतंत्र के हर हिमायती को सच में गर्व हो सकता है।
आज के 12वें राष्ट्रीय मतदाता दिवस का विषय "Making our Elections inclusive, Accessible and Participative" रखा गया है।
चुनाव आयोग के सामने प्रश्न रहा है कि मतदान में आने वाली बाधाओं और सीमाओं का किस प्रकार समाधान किया जाय जिससे हर चुनाव में क्रमशः अधिक से अधिक मतदाता भाग लें जिससे हमारा लोकतंत्र अधिकाधिक समावेशी बन सके। अत: इस वर्ष का यह विषय चुनावों को अधिक समावेशी, सुगम्य बनाने के संदर्भ में बहुत प्रासंगिक है।
मतदाताओं की अधिक से अधिक भागीदारी सुनिश्चित करने तथा चुनावी प्रक्रिया की प्रामाणिकता अक्षुण्ण रखने की दिशा में चुनाव आयोग द्वारा किए जा रहे प्रयासों के बारे में मुझे जानकारी दी गई है। मुझे इसका बहुत संतोष है।
Systematic Voter Education and Electoral Participation (SVEEP) जैसे कदमों से मतदाताओं की भागीदारी 2009 में 58.21% से 8% बढ़ कर 2014 में 66.44% पहुंच गई। मुझे यह जानकर विशेष हर्ष है कि 2019 के पिछले आम चुनावों में पहली बार, महिला मतदाताओं की भागीदारी पुरुष मतदाताओं से 0.17% अधिक रही। पिछले वर्ष पांच राज्य विधान सभाओं के चुनाव, आयोग द्वारा लागू किए गए कोविड- नियमों और प्रोटोकॉल के तहत कराए गए। उनमें भी मतदान का प्रतिशत 74% से 84% तक रहा।
चुनाव नियम संशोधन अधिनियम, 2021 लागू होने के बाद मतदाताओं का पंजीकरण अब काफी सरल हो गया है। अब मतदाता वर्ष में चार बार अपना पंजीकरण करा सकते हैं। चुनाव आयोग ने, समुद्र तल से 15, 256 फीट की ऊंचाई पर स्थित स्पीति घाटी जैसे दूरस्थ दुर्गम इलाकों में भी मतदाताओं के लिए सुगम्यता सुनिश्चित की है तथा चुनावी भ्रष्टाचार को नियंत्रित करने के लिए निरंतर प्रयास करता रहा है। फिर भी अभी बहुत कुछ किया जाना शेष है जैसे कि चुनाव संबंधी मामलों का शीघ्र समाधान किया जाना, जन शिक्षा और जागरण जिससे मतदाता हर उम्मीदवार के गुणों-अवगुणों को परखने में सक्षम हो सकें। आयोग ऐसे नए उपाय खोजे जिससे टेक्नोलॉजी की सहायता से मतदान प्रक्रिया को अधिक सुगम्य और प्रामाणिक बनाया जा सके।
आज़ादी के 75वें वर्ष में यह संकल्प लें कि किसी भी मतदाता को नहीं छूटने देंगे तथा अगले आम चुनावों में मतदाता भागीदारी को कम से कम 75% तक पहुंचाएंगे। हममें से हर कोई यह याद रखे कि मताधिकार सिर्फ अधिकार ही नहीं है बल्कि एक दायित्व है। एक देश के रूप में हम विचार-विमर्श करें और यह सहमति बनाएं कि हमारी संघीय व्यवस्था के तीनों स्तरों के चुनाव एक साथ हों, जिसके बाद हम जनता का चतुर्दिक कल्याण और प्रगति सुनिश्चित करने के लिए एक बेहतर प्रशासन दे सकें।
इस अवसर पर, पिछले चुनावों में उल्लेखनीय योगदान करने के लिए सम्मानित, पुरस्कार विजेताओं को हार्दिक बधाई देता हूं।
मैं चुनाव आयोग, आयोग के अधिकारियों, राजनैतिक दलों के प्रबुद्ध नेताओं, मीडिया, सिविल सोसाइटी के साथियों और सबसे पहले देश के हर एक नागरिक का अभिनंदन करता हूं जो हमारे लोकतंत्र को कारगर और सफल बनाते रहे हैं तथा हमारे इस लोकतंत्र को सार्थक और सक्षम बनाने में लगातार सहयोग देते रहे हैं।