वैश्विक स्तर पर कंटेनर की कमी के प्रतिकूल असर को कम करने के उपाय

वैश्विक स्तर पर कंटेनर की कमी के प्रतिकूल असर को कम करने के उपाय

कोविड-19 महामारी के कारण आई अड़चनों की वजह से शिपिंग फ्रेट रेट जहां उच्च स्तर पर हैं, वहीं वैश्विक स्तर पर कंटेनर की कमी हो गई है। इस समस्या को भारत में भी निर्यातकों द्वारा बार-बार उठाया गया है।

एमओसीआई की सभी संबंधित पक्षों के साथ परामर्श में यह बात सामने आई है कि खाली कंटेनरों के निर्यात को नीतिगत कदमों के जरिए हतोत्साहित किया जा सकता है। इस कदम से कंटेनर की समस्या को भी कम किया जा सकता है। मौजूदा व्यवस्था में छह महीने से ज्यादा समय तक कंटेनर रखने पर डीम्ड आयात के रूप में आयात शुल्क लगाया जाता है। इस नीति को कंटेनरों के लंबे समय तक रखने की कोशिशों को हतोत्साहित करने और निर्यात प्रक्रिया को कम से कम समय में बढ़ावा देने के लिए डिज़ाइन किया गया है। इस बात की जानकारी सामने आई कि कभी-कभी खाली कंटेनरों पर शुल्क भुगतान से बचने के लिए खाली कंटेनरों को शिपिंग लाइनों में निर्यात के लिए शामिल कर दिया जाता है।

कंटेनरों की समस्या को कम करने के लिए सरकार द्वारा तय किए गए एक्शन योजना में से एक पर काम करते हुए, एक अस्थायी उपाय के रुप में वर्तमान में लोडेड कंटेनरों के निर्यात को बढ़ावा देने के उद्देश्य से, सीबीआईसी ने फील्ड कार्यालयों के लिए एक गाइडलाइन जारी की है। इसके तहत देश से बाहर जाने वाले कंटेनरों की अवधि को 3 महीने तक बढ़ा दिया गया है। यह उन कंटेनरों पर लागू होगा जहां कंटेनर को लोडेड स्थिति में देश से बाहर ले जाया जा रहा है, बशर्ते कि 6 महीने की अवधि वित्त वर्ष - 22 लागू होने के पहले तक हो। (सर्कुलर नंबर 21/2021- कस्टम 24 सितंबर, 2021)। इसका विस्तार संबंधित आयातक के जरिए लिया जाएगा।

इस कदम से आयात शुल्क लगाने के आधार पर देश से खाली कंटेनरों के निर्यात में कमी आने की उम्मीद है, जिससे व्यापार के लिए कंटेनरों की उपलब्धता में वृद्धि होगी।

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Journalist Anil Prabhakar

Editor UPVIRAL24 NEWS