कोविड के कारण अनाथ हुये बच्चों के साथ अन्य अनाथ बच्चों को भी किया जाये चिन्हित - मण्डलायुक्त

कोविड के कारण अनाथ हुये बच्चों के साथ अन्य अनाथ बच्चों को भी किया जाये चिन्हित - मण्डलायुक्त

कोविड के कारण अनाथ हुये बच्चों के साथ अन्य अनाथ बच्चों को भी किया जाये चिन्हित - मण्डलायुक्त
जालौन 17 जून 2021 : कोविड काल (मार्च 2020 से) में अपने माता-पिता या दोनों में से किसी एक को खोने वाले बच्चों के जीवन को संवारने के लिए प्रदेश सरकार द्वारा ‘मुख्यमंत्री बाल सेवा योजना’ की शुरुआत की गयी है।

 इसके तहत बच्चों को चिन्हित कर उनकी लिस्ट तैयार की जा रही है। 

इस योजना में एक कदम और बढ़ते हुये मंडलायुक्त अजय शंकर पांडेय ने उप मुख्य परिवीक्षा अधिकारी को निर्देश दिये कि न सिर्फ़ कोविड से बल्कि किसी अन्य कारण से भी अनाथ हुये बच्चों को चिन्हित किया जाए। 

मंडलायुक्त का कहना है कि कोविड-19 महामारी के दौरान भुत से से बच्चों ने अपने माता-पिता/अभिवाभकों को खो दिया है। ऐसे समस्त बच्चों के पुनर्वास एवं उनकी सहायता के लिए कोविड-19 से प्रभावित अनाथ बच्चों की खोज की जानी है ताकि प्रभावित बच्चों को राज्य सरकार द्वारा तय की गई व्यवस्था का लाभ प्रदान किया जा सके। उन्होंने निर्देश दिये कि इस सर्वे के दौरान कोविड-19 से अनाथ हुए बच्चों के साथ-साथ ऐसे बच्चों को भी चिन्हित करा लें जिनके माता-पिता की मृत्यु अन्य कारणों से हुई है। इस प्रकार कोविड-19 से अनाथ हुए बच्चों को निर्धारित योजना का लाभ तथा अन्य कारणों से अनाथ हुए बच्चों को सामाजिक सुरक्षा की संचालित विभिन्न योजनाओं का लाभ दिये जाने पर विचार किया जा सकता है।

कोविड-19 से अनाथ हुये बच्चों को लाभ दिलाने के लिए निम्न शर्तें हैं-

योजना में शून्य से 18 साल के ऐसे बच्चे शामिल किये जायेंगे, जिनके माता-पिता दोनों की मृत्यु कोविड काल में हो गयी हो या माता-पिता में से एक की मृत्यु एक मार्च 2020 से पहले हो गयी थी और दूसरे की मृत्यु कोविड काल में हो गयी अथवा दोनों की मौत एक मार्च 2020 से पहले हो गयी थी और वैध संरक्षक की मृत्यु कोविड काल में हो गयी।

इसके अलावा शून्य से 18 साल के ऐसे बच्चे जिनके माता-पिता में से किसी एक की मृत्यु कोविड काल में हो गयी हो और वह परिवार का मुख्य कर्ता हो और वर्तमान में जीवित माता या पिता सहित परिवार की आय दो लाख रूपये प्रतिवर्ष से अधिक न हो, को भी योजना में शामिल किया गया है।

लाभार्थी अनिवार्य रूप से उत्तर प्रदेश का मूल निवासी हो। 

एक परिवार के सभी (जैविक तथा कानूनी रूप से गोद लिए गए) बच्चों को योजना का लाभ मिल सकेगा।

कोविड से मृत्यु के साक्ष्य के लिए एंटीजन या आरटीपीसीआर की पाजिटिव टेस्ट रिपोर्ट, ब्लड रिपोर्ट या सीटी स्कैन में कोविड-19 का इन्फेक्शन होना माना जा सकता है। इसके अलावा कोविड मरीज की विभिन्न परिस्थितियों में टेस्ट रिपोर्ट निगेटिव आने के बाद भी पोस्ट कोविड जटिलताओं के चलते मृत्यु हो सकती है। यह मृत्यु भी कोविड की वजह से ही मानी जायेगी।  

योजना के तहत मिलने वाला लाभ-

योजना की श्रेणी में आने वाले शून्य से 10 साल के बच्चों के वैध संरक्षक के बैंक खाते में 4000 रूपये प्रतिमाह दिए जाएंगे। इसके साथ शर्त यह होगी कि औपचारिक शिक्षा के लिए बच्चे का पंजीयन किसी मान्यता प्राप्त विद्यालय में कराया गया हो, समय से टीकाकरण कराया गया हो और बच्चे के स्वास्थ्य व पोषण का पूरा ध्यान रखा जा रहा हो।

इसके अलावा जो बच्चे पूरी तरह अनाथ हो गए हों और बाल कल्याण समिति के आदेश से विभाग के तहत संचालित बाल्य देखभाल संस्थाओं में आवासित कराये गए हों, उनको कक्षा छह से 12 तक की शिक्षा के लिए अटल आवासीय विद्यालयों व कस्तूरबा गांधी आवासीय विद्यालयों में प्रवेशित कराया जाएगा।

11 से 18 साल के बच्चों की कक्षा-12 तक की मुफ्त शिक्षा के लिए अटल आवासीय विद्यालयों तथा कस्तूरबा गांधी आवासीय विद्यालयों में भी प्रवेश कराया जा सकेगा। ऐसे वैध संरक्षक को विद्यालयों की तीन माह की अवकाश अवधि के लिए बच्चे की देखभाल हेतु प्रतिमाह 4000 की दर से 12000 रूपये प्रतिवर्ष खाते में दिए जायेंगे। यह राशि कक्षा-12 तक या 18 साल की उम्र जो भी पहले पूर्ण होने तक दी जायेगी।

यदि बच्चे के संरक्षक इन विद्यालयों में प्रवेश नहीं दिलाना चाहते हों तो बच्चों की देखरेख और पढ़ाई के लिए उनको 18 साल का होने तक या कक्षा-12 की शिक्षा पूरी होने तक 4000 रूपये की धनराशि दी जायेगी बशर्ते बच्चे का किसी मान्यता प्राप्त विद्यालय में प्रवेश दिलाया गया हो।

योजना के तहत चिन्हित बालिकाओं के शादी के योग्य होने पर शादी के लिए एक लाख एक हजार रूपये दिए जायेंगे। 

श्रेणी में आने वाले कक्षा-9 या इससे ऊपर की कक्षा में अथवा व्यावसायिक शिक्षा प्राप्त कर रहे 18 साल तक के बच्चों को टैबलेट/लैपटॉप की सुविधा दी जाएगी। ऐसे बच्चों की चल-अचल संपत्तियों की सुरक्षा के प्रबंध होंगे।

वैध संरक्षक का चिन्हांकन जनपद स्तरीय टास्क फ़ोर्स करेगी और जिला बाल संरक्षण इकाई व बाल कल्याण समिति भी इन बच्चों के समुचित विकास पर नजर रखेगी।

इसकी समीक्षा करते हुए आयुक्त झाँसी ने कहा कि माता-पिता खो चुके बच्चों को इस योजना का समय पर लाभ पहुँचाना सरकार की प्रतिबद्धता है जिसकी मेरे स्तर पर लगातार निगरानी की जा रही है। इसके अतिरिक्त जिन बच्चों ने अन्य कारणों से अपने माता पिता को खोया है उन्हें शासन की सामाजिक सुरक्षा की विभिन्न कल्याणकारी योजनाओं से जोड़ने की भी पृथक से कार्यवाही की जाये इस हेतु संबंधित विभाग को निर्देश दिये गये। आम जनता से अपील है कि ऐसे बच्चों की जानकारी अपना सामाजिक दायित्व समझते हुए जिला परिवीक्षा अधिकारी को उपलब्ध करायें। मण्डलायुक्त ने इस योजना की साप्ताहिक समीक्षा के लिए मुख्य विकास अधिकारियों को निर्देश दिये हैं।

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Journalist Anil Prabhakar

Editor UPVIRAL24 NEWS